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गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल का निधन

गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल का निधन

गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के क़रीबी रहे केशुभाई पटेल का निधन हो गया। वह 92 साल के थे। उनको दिल का दौरा पड़ा था। अहमदाबाद के अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन उन्हें नहीं बचाया जा सका।

गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के क़रीबी रहे केशुभाई पटेल का निधन हो गया। वह 92 साल के थे। उनको दिल का दौरा पड़ा था। अहमदाबाद के अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन उन्हें नहीं बचाया जा सका। केशुभाई को कुछ समय पहले कोरोना भी हुआ था, लेकिन वह संक्रमण से पूरी तरह ठीक हो गए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। 

प्रधानमंत्री ने एक के बाद एक तीन ट्वीट किए और अपनी संवेदना व्यक्त की। प्रधानमंत्री ने उनके साथ पुराने दिनों को भी याद किया और उनके साथ की तसवीरें भी पोस्ट कीं। एक ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'हमारे प्यारे और सम्मानित केशुभाई का निधन हो गया है... मुझे गहरा दुख हुआ। वह एक उत्कृष्ट नेता थे जिन्होंने समाज के हर वर्ग की देखभाल की। उनका जीवन गुजरात की प्रगति और हर गुजराती के सशक्तीकरण के लिए समर्पित था।'

प्रधानमंत्री मोदी ने केशुभाई के निधन को अपूरणीय क्षति बताया और गहरी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने लिखा, 'केशुभाई ने जनसंघ और बीजेपी को मज़बूत करने के लिए पूरे गुजरात का दौरा किया। उन्होंने आपातकाल का पूरी ताक़त से विरोध किया। किसान कल्याण के मुद्दे उनके दिल के सबसे क़रीब थे। चाहे वह विधायक, सांसद, मंत्री या सीएम रहे हों, उन्होंने किसान हितैषी कई उपाय पारित करना सुनिश्चित किया।'

देश के गृहमंत्री अमित शाह ने भी शोक व्यक्त किया और कहा कि केशुभाई के निधन से गुजरात की राजनीति में ऐसी रिक्तता आयी है जिसका भरना आसान नहीं है। 

केशुभाई पटेल 2 बार गुजरात के मुख्यमंत्री रहे थे, लेकिन कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए थे। वह अपना कार्यकाल पूरा भी नहीं कर पाए थे कि 2001 में उनकी जगह नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। यह केशुभाई पटेल के लिए बड़ा झटका था। कहा जाता है कि इसके चलते उनके और नरेंद्र मोदी के रिश्ते में खटास भी आ गई थी। हालाँकि, रिपोर्टों में कहा जाता रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं। केशुभाई पटेल सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष भी थे। उन्हें 30 सितंबर को ही मंदिर ट्रस्ट का प्रमुख चुना गया था। 

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