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सीताराम येचुरी ने कहा, इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में ईडी क्यों नहीं कर रही मनी लॉन्ड्रिंग की जांच

सीताराम येचुरी ने कहा, इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में ईडी क्यों नहीं कर रही मनी लॉन्ड्रिंग की जांच

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव, सीताराम येचुरी अंग्रेजी अखबार द हिंदू को दिए एक साक्षात्कार में सवाल उठाएं हैं कि ईडी इलेक्टोरल बॉन्ड योजना में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच क्यों नहीं कर रही है। 

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव, सीताराम येचुरी अंग्रेजी अखबार द हिंदू को दिए एक साक्षात्कार में सवाल उठाएं हैं कि ईडी इलेक्टोरल बॉन्ड योजना में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच क्यों नहीं कर रही है। 

उन्होंने कहा कि कई कंपनियों ने अपने मुनाफे से कई गुना अधिक मूल्य के चुनावी बांड खरीदे। अब यह जानकारी सामने आ चुकी है कि ऐसी कई कंपनियां थीं जिन्होंने घाटे के बावजूद इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे। ऐसे में सवाल उठता है कि उन्हें यह पैसा कहां से मिला और घाटे में रहने के बावजूद वह चंदा क्यों दे रही थी? 

इन जानकारियों के सामने आने के बाद भी प्रवर्तन निदेशालय इलेक्टोरल बॉन्ड से संबंधित मामलों की जांच के लिए धन शोधन निवारण अधिनियम का उपयोग क्यों नहीं कर रहा है? द हिंदू में छपे उनके इस इंटरव्यू में कहा गया है कि आपके पास इलेक्टोरल बॉन्ड में मनी लॉन्ड्रिंग के स्पष्ट मामले हैं। 

अब ईडी को कार्रवाई करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने बीते 15 फरवरी को इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए इसे  रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इससे दानदाताओं और राजनीतिक दलों के बीच पारस्परिक लाभ की व्यवस्था हो सकती है। 

सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को भारतीय स्टेट बैंक को निर्देश दिया था कि वह 12 अप्रैल, 2019 से चुनावी बांड प्राप्त करने वाले राजनीतिक दलों का विवरण चुनाव आयोग को सौंपे। 

एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद डाटा सौंपने में काफी टालमटोल का रवैया अपनाने की कोशिश की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद इसे डाटा सौंपना पड़ा था। 

स्टेट बैंक ऑफ इडिया  द्वारा चुनाव आयोग को सौंपे गए इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़े आंकड़ों के विश्लेषण के बाद पता चला कि भाजपा को इलेक्टोरल बॉन्ड से मिले चंदे का बड़ा हिस्सा प्राप्त हुआ है। इलेक्टोरल बॉन्ड के खरीदारों में से कुछ ऐसी कंपनियां भी शामिल थीं जिन्हें केंद्रीय एजेंसियों द्वारा छापे का सामना करना पड़ा था।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) भी इस मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक थी। यह उन राजनीतिक दलों में से था जो इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से मिले चंदे को स्वीकार नहीं करता था। 

द हिंदू को दिए अपने साक्षात्कार में सीताराम येचुरी ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बन गया है। येचुरी ने कहा कि जहां भी हम चुनाव प्रचार के लिए गए, लोगों ने हमसे कहा कि उन्हें कभी नहीं पता था कि मोदी या यह सरकार देश को इस तरह से लूट सकती है। 

सीताराम येचुरी ने ये बातें ऐसे समय में कही है जब बीते सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एएनआई को दिए अपने साक्षात्कार में कहा था कि इलेक्टोरल बॉन्ड पर विपक्ष झूठ फैला रहा है। काले धन से मुक्ति के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड योजना लाई गई थी। 

पीएम मोदी ने यह भी दावा किया था कि 3,000 कंपनियों ने चुनावी बांड खरीदे थे, जिनमें से 26 दानदाताओं की केंद्रीय एजेंसियां ​​जांच कर रही हैं। इनमें से 16 कंपनियों ने उस समय चुनावी बांड खरीदे थे जब उन पर छापे मारे गए थे। इन चुनावी बांड्स से 37 प्रतिशत राशि भाजपा को मिली थी जबकि 63 प्रतिशत राशि विपक्षी दलों को मिली थी। 

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