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केरल के मंत्री ने कहा- जनता को लूटने के लिए लिखा गया देश का संविधान

केरल के मंत्री ने कहा- जनता को लूटने के लिए लिखा गया देश का संविधान

केरल के मंत्री और सीपीएम नेता साजी चेरियन ने भारतीय संविधान के खिलाफ बोलकर नए विवाद को जन्म दे दिया है। अभी तक सीपीएम ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

जिस संविधान की शपथ लेकर केरल के विधायक और सीपीएम नेता साजी चेरियन मंत्री बने, उसी संविधान को अब वो बुरा-भला कह रहे हैं। उनके बयान का वीडियो मंगलवार को सामने आया और उसी के बाद से विवाद तूल पकड़ रहा है। साजी चेरियन केरल के मत्स्य पालन और सांस्कृतिक मामलों के मंत्री हैं।

हाल ही में पथानामथिट्टा के मल्लापल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए चेरियन ने कहा, मानव जाति का शोषण शुरुआत से ही हो रहा है। लेकिन चर्चा अमीरों की होती है। फिर हम सब कहेंगे कि हमारे पास एक सुंदर लिखित संविधान है। लेकिन मैं कहूंगा कि देश का संविधान इस तरह से लिखा गया है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को लूटा जा सके।

मंत्री ने कहा, अंग्रेजों ने जिसे तैयार किया, वही संविधान भारतीयों ने लिख दिया है। पिछले 75 वर्षों से यह लागू है। मेरा कहना है कि यह देश की जनता को लूटने के लिए एक सुंदर संविधान है। हालांकि संविधान में लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता जैसी कुछ अच्छी चीजों के निशान हैं, लेकिन इसका उद्देश्य आम आदमी का शोषण करना है।

उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहां श्रमिकों के आंदोलन को मान्यता नहीं दी जाती है। इसका कारण संविधान है, जो श्रमिकों के शोषण को स्वीकार करता है, उन्होंने देश में अडानी और अंबानी के विकास की ओर इशारा करते हुए कहा-  

अडानी, अंबानी संविधान द्वारा "संरक्षित" हैं। हम में से कितने लोग उनके खिलाफ आंदोलन कर सकते हैं।


-साजी चेरियन, केरल के मंत्री

इस बात पर जोर देते हुए कि भारत में श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा नहीं की जाती है, चेरियन ने कहा, जब केरल में पहली (कम्युनिस्ट) सरकार 1957 में सत्ता में आई, तो उसका पहला निर्णय श्रम कानूनों को लागू करना था। उसने किया। दूसरी तरफ संविधान ने शोषण की निंदा की है। लेकिन कम वेतन वाले श्रमिकों की कीमत पर देश में करोड़पति शक्तिशाली बनकर उभरे हैं। श्रमिकों को मजदूरी से वंचित किया जाता है और उनका शोषण किया जाता है। लाभ श्रमिकों की कड़ी मेहनत का परिणाम है। मजदूरों को आठ घंटे की ड्यूटी के बजाय 18 से 20 घंटे तक मेहनत करनी पड़ती है। क्या संविधान उन्हें किसी सुरक्षा की गारंटी देता है? 

सीपीएम नेता ने संदेह व्यक्त किया कि क्या आंदोलनकारी ट्रेड यूनियनों को अब आम आदमी का समर्थन मिल रहा है क्योंकि राज्य में सभी समस्याओं के लिए ट्रेड यूनियन नेताओं को दोषी ठहराया जाता है।

ट्विटर पर साजी चेरियन के बयान की जबरदस्त निन्दा हो रही है। लोगों का कहना है कि सीपीएम नेता को संविधान के खिलाफ बोलने से पहले कुछ सोचना था। आखिरकार वो भी इसी संविधान की शपथ लेकर ही मंत्री बने हैं। सीपीएम ने अभी तक इस समाचार के लिखे जाने तक साजी चेरियन के बयान पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

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