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केजरीवालः जर्मनी के बाद अब यूएस के दूत को भी भारत ने तलब किया

केजरीवालः जर्मनी के बाद अब यूएस के दूत को भी भारत ने तलब किया

केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर जहां अंतरराष्ट्रीय टिप्पणियां बढ़ रही हैं, वहीं भारत सरकार भी अपने स्टैंड को लगातार स्पष्ट कर रही है। पहले जर्मनी ने केजरीवाल पर टिप्पणी की, अगले दिन दूत को तलब कर लिया गया। अब अमेरिका की टिप्पणी के बाद बुधवार को उसके दूत को भी भारतीय विदेश मंत्रालय ने तलब कर लिया। 

भारत ने बुधवार को एक वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक को तलब किया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर अमेरिकी विदेश विभाग के एक अधिकारी की टिप्पणी पर कड़ा विरोध दर्ज कराया। 

विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने मिशन के कार्यवाहक उपप्रमुख ग्लोरिया बरबेना को यहां साउथ ब्लॉक स्थित अपने कार्यालय में तलब किया। बैठक 30 मिनट से अधिक समय तक चली।


रॉयटर्स के मुताबिक केजरीवाल की गिरफ्तारी पर सोमवार को अमेरिकी विदेश विभाग के एक अधिकारी ने कहा था कि वाशिंगटन ने " उम्मीद है कि मुख्यमंत्री केजरीवाल के मामले में एक निष्पक्ष, पारदर्शी और समय पर कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाएगा।" प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने केजरीवाल को कथित दिल्ली शराब 'घोटाले' से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में चुनाव की घोषणा होने के बाद गिरफ्तार किया है।

भारत ने अमेरिकी दूत को तलब किए जाने का विवरण जारी नहीं किया है। हालांकि जर्मनी के दूत को तलब करने के बाद सूत्रों के हवाले से मीडिया को सारी जानकारी दे दी गई थी। आमतौर पर दूत को तलब करने से पहले विदेश मंत्रालय प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अपना बयान भी देता है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं किया गया। 

 - Satya Hindi

विदेश मंत्रालय के दफ्तर के बाहर यूएस दूत

जर्मनी के दूत को तलब किए जाने के समय भारत ने जर्मनी के प्रवक्ता की टिप्पणी को "आंतरिक मामलों में ज़बरदस्त हस्तक्षेप" करार दिया था। विदेश मंत्रालय ने कहा था, "हम ऐसी टिप्पणियों को हमारी न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप और हमारी न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कम करने के रूप में देखते हैं। इस मामले में पक्षपातपूर्ण धारणाएं सबसे अनुचित हैं।"

अरविंद केजरीवाल को कथित शराब नीति घोटाले के सिलसिले में पिछले हफ्ते ईडी ने गिरफ्तार किया था। इसके बाद AAP ने दिल्ली में उग्र विरोध प्रदर्शन किया। केजरीवाल को इस सप्ताह 28 मार्च तक जेल भेज दिया गया।

ईडी का मानना ​​है कि अब खत्म हो चुकी शराब नीति खुदरा विक्रेताओं के लिए 185 प्रतिशत और थोक विक्रेताओं के लिए 12 प्रतिशत का असंभव उच्च लाभ मार्जिन दे रही थी। बाद में इस मामले में ₹ 600 करोड़ से अधिक की रिश्वत भी दी गई, इस पैसे का इस्तेमाल कथित तौर पर आप के चुनाव अभियानों के वित्तपोषण के लिए किया गया। हालांकि इन आरोपों से आप और उसके नेताओं ने हमेशा इनकार किया है।

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