काजीरंगा नेशनल पार्क में नियम टूटे, रात में सुपर VIP भ्रमण
असम के काजीरंगा नेशनल पार्क (KNP) में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और सदगुरु जग्गी वासुदेव, राज्य के पर्यटन मंत्री जयंत बरुआ ने रात को खुली जीप में सफारी का आनंद लिया। इस विवाद ने अब तूल पकड़ लिया है, पर्यावरणवादियों की नजर इस घटनाक्रम पर है। दो लोगों ने पुलिस में लिखित शिकायत दी है। यहां पर श्री श्री रविशंकर ने अपना चिन्तन शिविर भी लगाया, जिसमें काफी लोगों ने भाग लिया। उसका वीडियो नीचे मिलेगा। ऐसी जगहों पर ऐसे कार्यक्रमों का कोई मतलब नहीं होना चाहिए लेकिन कार्यक्रम खुद असम सरकार ने आयोजित किया था। लेकिन अब सारे मामले पर लीपापोती भी शुरू हो गई है। हालांकि काजीरंगा नेशनल पार्क का खुद का नियम इस मामले में स्पष्ट है। लेकिन पार्क के चीफ भी मामले को घुमा रहे हैं। यह पार्क एक सींग वाले गैंडे के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है।
His blessings are special. His teachings, extraordinary.
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) September 24, 2022
Revered @SadhguruJV, in whose presence Kaziranga National Park opened today for tourists, has a special message to save precious Rhinos. And indeed he enjoyed the Jeep Safari.
Tourism Min Shri @jayanta_malla accompanied. pic.twitter.com/0donjtW9Vy
सोशल मीडिया और स्थानीय चैनलों पर एक वीडियो में सद्गुरु को मुख्यमंत्री सरमा और पर्यटन मंत्री बरुआ के साथ एक ओपन सफारी में एसयूवी चलाते हुए दिखाया गया है।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने दो पर्यावरण कार्यकर्ताओं सोनेश्वर नारा और प्रबीन पेगू के आरोपों से इनकार किया है कि उन्होंने, सद्गुरु जग्गी वासुदेव और पर्यटन मंत्री जयंतमल्ल बरुआ ने काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में रात की सफारी के लिए प्रवेश करके वन्यजीव संरक्षण कानून तोड़ा है। सरमा ने कहा कि इस तरह का कोई कानून नहीं है कि रात में नाइट सफारी में नहीं जाया जा सकता। अगर वाइल्ड लाइफ वार्डन अनुमति देता है तो रात 2 बजे भी नेशनल पार्क में जाया जा सकता है।
एएनआई न्यूज एजेंसी के मुताबिक सरमा ने पत्रकारों से कहा कि वन्यजीव कानून के अनुसार, वार्डन रात में भी संरक्षित क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति दे सकता है। कोई कानून लोगों को रात में प्रवेश करने से नहीं रोकता है। कल, हमने इस मौसम के लिए पार्क का औपचारिक उद्घाटन किया था। अब सद्गुरु और श्री श्री रविशंकर आए थे, और चूंकि उनके लाखों अनुयायी हैं, इसलिए उनको बुलाया गया था। इस बार हम उम्मीद करते हैं कि काजीरंगा के लिए पर्यटन का मौसम बहुत अच्छा होगा।
Prominent spiritual leader @SriSri Ravi Shankar at Chintan Shivir being held at Kaziranga.@himantabiswa@ArtofLiving pic.twitter.com/te1ZdZbWDl
— MyGov Assam (@mygovassam) September 25, 2022
असम में दो पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने सद्गुरु जग्गी वासुदेव, सीएम सरमा और मंत्री बरुआ के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि वे तीनों शनिवार को पार्क में तय यात्रा समय से भी ज्यादा समय तक काजीरंगा नेशनल पार्क में घूमते रहे।
पुलिस में शिकायत देने वाले पर्यावरण कार्यकर्ताओं का दावा है कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत जानवरों की सुरक्षा और उनके आवास को अछूता (अनटच) रखने के लिए एक तय वक्त के बाद राष्ट्रीय उद्यान में जाने की मनाही है। रात में सफारी पर्यटन पर प्रतिबंध है।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि अभी कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है, लेकिन हमने प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है। एनजीओ जीपल कृषक के मुख्य सलाहकार सोनेश्वर नारा ने कहा, हमने तीनों के खिलाफ शिकायत दे दी है और उम्मीद करते हैं कि कार्रवाई होगी। हम इस मामले को कोर्ट में भी ले जा सकते हैं। हम कई वर्षों से काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के क्षेत्र में रह रहे हैं और वन्य जीवों, राष्ट्रीय उद्यान के लिए कई चीजों का त्याग किया है। हमारे कई लोगों को वनकर्मियों ने मार डाला और उन्हें शिकारियों के रूप में प्रचारित किया। उन्होंने कहा, कानून सभी के लिए समान है। वे वन्यजीव संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन कैसे कर सकते हैं? हम ऐसी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्हें कानून का उल्लंघन करने के लिए गिरफ्तार किया जाना चाहिए।
सोशल मीडिया पर भी लोगों ने सद्गुरु, सरमा और बरुआ की इस हरकत के लिए आलोचना की है।
मामले में लीपापोती
असम के प्रधान मुख्य वन संरक्षक एमके यादव ने कहा कि वन विभाग ने सद्गुरु और मुख्यमंत्री को आमंत्रित किया था। इसलिए यह कहना गलत है कि सद्गुरु और हमारे मुख्यमंत्री ने देर रात पार्क में प्रवेश किया और सफारी का आनंद लिया। हमने सभी इंतजाम किए थे और ऐसी कोई वजह नहीं थी कि हम योजना को सिर्फ इसलिए रद्द कर सकें क्योंकि अंधेरा हो रहा था। काजीरंगा नेशनल पार्क को बदनाम करने के लिए लोगों का छिपा एजेंडा है। इसलिए वे इस मामले को तूल दे रहे हैं। बयान देने वाले लोग सच्चाई जानना ही नहीं चाहते हैं।There's a hidden agenda behind this to defame Kaziranga National Park & people making these statements aren't aware of actual facts & haven't even tried to know the facts: MK Yadava, PCCF & HoFF, Assam & Chief Wildlife Warden on CM HB Sarma& Sadhguru's jungle safari late at night pic.twitter.com/pWFJg4ORlK
— ANI (@ANI) September 26, 2022
सद्गुरु के ईशा फाउंडेशन ने एक बयान में कहा कि उन्हें सरकार ने आमंत्रित किया था। हमारा मानना है कि इस विशेष अवसर के लिए सरकार द्वारा सभी आवश्यक अनुमतियां ली गई थीं। सद्गुरु राज्य सरकार द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए असम में थे।
नियम क्या कहता है
पूरी दुनिया में तमाम नेशनल पार्क में एक प्रोटोकॉल का पालन होता है। जहां सूर्यास्त के बाद पार्क के अंदर जाने की अनुमति नहीं है क्योंकि इससे वन्यजीवों को परेशानी होती है। वो सोते रहते हैं और उनकी नींद में खलल पड़ता है। कुछ वन्य जीव सिर्फ रात को अंधेरे में ही निकलते हैं। गाड़ी रोशनी उन्हें परेशान करती है। जिन अंतरराष्ट्रीय नाइट सफारी में जाने की अनुमति है, वो भी एक सीमित दायरे में पर्यटकों को ले जाया जाता है, जिसके लिए खास इंतजाम और वाहन होते हैं।
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की वेबसाइट पर ही लिखा हुआ है कि पार्क में सुबह 8 से 10 बजे तक और दोपहर 2 से 4 बजे तक ही जीप और हाथी सफारी का संचालन किया जाता है। इसका अर्थ यह है कि शाम 5 बजे के बाद पार्क के अंदर जाना मना है।
केएनपी के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर नॉर्थ ईस्ट मीडिया को बताया कि शाम 5 बजे के बाद पार्क के अधिकारियों और कर्मचारियों को छोड़कर किसी को भी पार्क के अंदर जाने की अनुमति नहीं है।
वन्यजीव कार्यकर्ता मुबीना अख्तर ने गंभीर चिंता जताते हुए सद्गुरु पर वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के प्रावधानों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि यह वन्यजीव संरक्षण प्रोटोकॉल का खुला उल्लंघन है। सद्गुरु ने खुद को एक पर्यावरणविद् होने का दावा किया है, क्या उनके पास वन्यजीव संरक्षण मानदंडों का मूल विचार भी नहीं है?
इस साल जुलाई में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने मध्य प्रदेश सरकार से राज्य के बाघ अभयारण्यों में नाइट सफारी पर रोक लगाने को कहा था क्योंकि इससे वन्यजीवों को परेशानी होती है।
एनटीसीए ने राज्य के वन विभाग को लिखे पत्र में कहा था कि नाइट सफारी से वन्यजीव क्षेत्र में शोर होता है। एनसीटीए ने कहा था कि जानवर वाहनों की रोशनी से जाग जाते हैं। ये जानवरों को तनाव में डालते हैं क्योंकि वे कुदरती रोशन के आदी होते हैं।