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उत्तर प्रदेश बीजेपी से अब कायस्थ माँग रहे हैं राजनीतिक हिस्सा

उत्तर प्रदेश बीजेपी से अब कायस्थ माँग रहे हैं राजनीतिक हिस्सा

लखनऊ में बीच सड़क पर ऐसे पोस्टर लगा दिए गए हैं, जिन पर नवगठित बीजेपी कार्यकारिणी में कायस्थों को शामिल नहीं किए जाने पर सवाल उठाए गए हैं।

उत्तर प्रदेश की पहले से चली आ रही जातिवादी राजनीति में ब्राह्मणों के बाद अब दूसरी अगड़ी जाति कायस्थ अपना हिस्सा मांग रही है। लखनऊ में बीच सड़क पर ऐसे पोस्टर लगा दिए गए हैं, जिन पर नवगठित बीजेपी कार्यकारिणी में कायस्थों को शामिल नहीं किए जाने पर सवाल उठाए गए हैं।

पोस्टर पर लिखा गया है, 'कायस्थों, अब तो जाग जाओ, या फिर हमेशा के लिए सो जाओ।'

इसी पोस्टर पर लिखा हुआ है, 'नवगठित बीजेपी कार्यकारिणी में किसी भी कायस्थ को स्थान ना देने के लिए, राष्ट्रीय प्रदेश नेतृत्व का आभार।'

एक दूसरे पोस्टर पर लिखा हुआ है, 'बीजेपी को धन्यवाद पार्टी के बंधुआ वोटर कायस्थ साज को कोई स्थान न देने के लिए।'

कार्यकारिणी में एक भी कायस्थ नहीं

उत्तर प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने बीते हफ़्ते कार्यकारिणी का ऐलान किया। इसमें 42 सदस्यों के नाम हैं, इन्हें 2022 में होने वाले राज्य विधानसभा की ज़िम्मेदारी दी गई है। नई कार्यकारिणी में 7 महासचिव, 16 उपाध्यक्ष और 16 सचिव शामिल हैं। बीजेपी ने अलग-अलग सामाजिक समूहों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने का दावा किया है, लेकिन कायस्थ समुदाय का एक भी सदस्य इसमें नहीं है।

लेकिन, राज्य बीजेपी ने इससे इनकार करते हुए पोस्टर को समाजवादी पार्टी की साजिश क़रार दिया है। उसका कहना है कि यह पार्टी का अंदरूनी मामला है, जिससे दूसरे दलों को कोई मतलब नहीं होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि समाजवादी पार्टी ने बीजेपी की छवि ख़राब करने के लिए ये पोस्टर लगवाए हैं।

'जाति कोई आधार नहीं'

राज्य बीजेपी के एक वरिष्ठ सदस्य ओ. पी. श्रीवास्तव ने सफ़ाई देते हुए टाइम्स ऑफ़ इंडिया से कहा है कि पार्टी ने जाति और समुदाय के आधार पर किसी को कोई पद नहीं दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि कायस्थ समुदाय के लोगों को नाराज़ नहीं होना चाहिए कि क्योंकि पार्टी के पास उनके लिए कई तरह की योजनाएं हैं।

बता दें कि उत्तर प्रदेश की पिछली कार्यकारणी में भी कायस्थों को पद नहीं दिया गया था। बाद में समुदाय के नेताओ ने इसका विरोध किया तो उन्हें नई टीम में जगह देने का आश्वासन दिया गया था। लेकिन इस बार भी पार्टी नेतृत्व ने किसी कायस्थ को कार्यकारिणी में शामिल नहीं किया।

ब्राह्मणों को लुभाने की होड़

इसके पहले समाजवादी पार्टी ने ब्राह्मणों को लुभाने के लिए एलान किया था कि वह लखनऊ में 108 फुट की और हर जिले में भगवान परशुराम की प्रतिमा लगवाएगी।

इसके बाद बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने इससे बड़ा एलान किया। उन्होंने कहा कि एसपी द्वारा भगवान परशुराम की ऊंची मूर्ति लगवाने की बात कहना चुनावी स्वार्थ है और बीएसपी की सरकार बनने पर हर मामले में एसपी से ज़्यादा भव्य परशुराम की प्रतिमा लगाई जाएगी।

कांग्रेस भी पीछे नहीं

कांग्रेस की निगाहें काफी पहले से ब्राह्मणों पर है। पार्टी ने अलग-अलग क्षेत्रों में अपने ब्राह्मण नेताओं को सक्रिय किया है। पिछड़ी जाति से आने वाले प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के साथ बराबर की तरजीह के साथ विधानमंडल दल की नेता आराधना शुक्ला को खड़ा किया है।

कांग्रेस ने वाराणसी से सांसद रहे राजेश मिश्रा को पूर्वांचल के ब्राह्मणों को जोड़ने के काम में लगाया गया है। जितिन प्रसाद ब्राह्मण वोट बैंक को फिर से कांग्रेस के पाले में लाने के लिए 'ब्राह्मण चेतना संवाद' की शुरुआत कर चुके हैं और ब्राह्मणों से जुड़े मसलों पर खुलकर सक्रिय हैं। प्रियंका गांधी की अगुआई वाला कांग्रेस नेतृत्व भी ऐसा ही संदेश देने में जुटा है।

उत्तर प्रदेश में पिछड़ों के बाद अगड़ों की राजनीति एक बार फिर शुरू हो रही है। 

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