कश्मीर में हो रही हत्याओं को धर्म के आधार पर ना देखें: सिन्हा
जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा है कि यह सच है कि कश्मीर में कई कश्मीरी पंडित टारगेट किलिंग के शिकार हुए हैं लेकिन इसका एक दूसरा पक्ष भी है। उन्होंने कहा है कि इसे धर्म के आधार पर देखने की कोशिश देश को बंद कर देनी चाहिए।
बताना होगा कि बीते कुछ महीनों से कश्मीर घाटी में एक बार फिर कश्मीरी पंडित आतंकियों के निशाने पर हैं। बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडितों ने घाटी से पलायन किया है। उन्हें घाटी से बाहर ट्रांसफर करने की मांग को लेकर भी वे लगातार आंदोलन कर रहे हैं।
लेकिन कश्मीरी पंडितों के अलावा बाहर से कश्मीर में काम करने आए लोगों को भी आतंकियों ने निशाना बनाया था।
उप राज्यपाल ने कहा है कि काफी संख्या में दूसरे लोग भी मारे गए हैं। उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि आतंकियों के द्वारा कश्मीर की घाटी के लोगों के अलावा बिहार, ओडिशा, झारखंड से काम करने आए मजदूरों को भी निशाना बनाया गया है लेकिन एक झूठा नैरेटिव चलाया गया।
सिन्हा ने कहा कि कश्मीर के रहने वाले लोगों का मानना है कि जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था में मजदूरों की बहुत बड़ी भूमिका है, उनकी यहां के विकास में भूमिका है। जम्मू-कश्मीर भारत का अंग है और कोई भी यहां आकर काम कर सकता है और उन्हें यहां काम करने का हक है।
उप राज्यपाल ने कहा कि कश्मीर में अधिकतर लोग ऐसे हैं जो इस बात का समर्थन करते हैं और चाहते हैं कि बाहर से लोग यहां आएं और काम करें। उप राज्यपाल ने कहा कि हम भी बाहर से आने वाले लोगों की सुरक्षा करते हैं। सेब के सीजन के दौरान हमने उनकी सुरक्षा के लिए गाइडलाइंस जारी की थी।
पिछले कुछ महीनों में कश्मीरी पंडितों के अलावा राजस्थान के रहने वाले बैंक मैनेजर विजय कुमार से लेकर सरकारी स्कूल की टीचर रजनीबाला सहित बिहार के मजदूर दिलखुश कुमार और बडगाम जिले की सोशल मीडिया पर सक्रिय कलाकार अमरीन भट्ट की भी आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।
कश्मीरी पंडितों के मामले में उप राज्यपाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने उनके लिए पुनर्वास नीति का ऐलान किया है। पहले चरण में 3000 नौकरियां और 3000 घर शामिल थे और दूसरे चरण में भी ऐसा ही होना है। लेकिन इनमें से केवल 700 घर ही बन सके हैं। उन्होंने बताया कि दूसरे चरण की नौकरियों को नहीं भरा गया है और पहले चरण की भी कुछ नौकरियां खाली हैं। उप राज्यपाल ने कहा कि सभी 6000 घरों के लिए जमीन ले ली गई है और घरों के निर्माण के लिए टेंडर जारी कर दिए गए हैं।
आने वाले साल में कश्मीरी पंडितों को बड़ी संख्या में घर दिए जाएंगे और सभी घरों का निर्माण कार्य जल्दी पूरा होगा।
टारगेट किलिंग के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे कश्मीरी पंडितों के गुस्से पर उप राज्यपाल ने कहा कि वह इस बात को समझते हैं और वह सभी लोगों के संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि वह उनके मसलों को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं।
मनोज सिन्हा ने कुछ दिन पहले कहा था कि अगर कश्मीरी पंडित अपनी नौकरी पर नहीं जाएंगे और घर में बैठे रहेंगे तो उन्हें उनकी तनख्वाह नहीं मिलेगी।
प्रधानमंत्री विशेष रोजगार योजना के तहत करीब 6,000 कश्मीरी पंडित कर्मचारी घाटी लौटे थे। लेकिन टारगेट किलिंग के डर से वे पिछले छह महीने से अपने दफ्तर नहीं जा रहे हैं।
उप राज्यपाल ने पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि 31 अगस्त तक की तनख्वाह सभी कश्मीरी पंडितों को दे दी गई है लेकिन अब यह नहीं हो सकता कि घर बैठकर तनख्वाह दी जाए। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन उनकी मदद और सुरक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार है।