कश्मीरी पंडित क्यों कर रहे हैं लगातार प्रदर्शन
जम्मू कश्मीरी पंडितों का पुनर्वास की मांग को लेकर फिर से प्रदर्शन शुरू हो गया है। इसका सिलसिला कल ,सोमवार से शुरू हुआ था जो आज मंगलवार को भी जारी रहा। कश्मीरी पंडितों ने राज्य बीजेपी मुख्यालय पर भी प्रदर्शन किए हैं। सड़कों पर खुले आम 'एलजी गो बैक' के नारे लग रहे हैं। राज्य की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती, पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद, पूर्व मंत्री लाल सिंह और कांग्रेस पार्टी ने कश्मीरी पंडितों की मांग का समर्थन देते हुए केंद्र सरकार और खासकर बीजेपी के खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया दी है।
We, the Kashmiri Pandit PM Pkg employees strongly condemn the statement made by LG Manoj Sinha. We will never accept this injustice and will continue to protest against it, until our demands are met. #KashmiriPandits #PMPackageEmployees #LGManojSinha #Protest #relocation_2_jammu pic.twitter.com/90JVDcPTk9
— Mahpoot (@mahpoot) December 23, 2022
दरअसल, कश्मीरी पंडितों का यह गुस्सा अचानक नहीं फूटा है। इसके पीछे खास वजह है। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा था जो कश्मीरी पंडित कर्मचारी काम नहीं करते हैं, उन्हें भुगतान नहीं किया जाएगा। कश्मीरी पंडितों ने सबसे पहले गुरुवार को एलजी की टिप्पणी का विरोध करने के लिए धरना दिया। इसके बाद सोमवार से यह सिलसिला फिर शुरू हो गया। कश्मीरी पंडित यह आरोप लगाते हुए विरोध कर रहे हैं कि उन्हें आतंकवादियों से धमकियां मिल रही हैं और वे काम पर वापस नहीं जा सकते। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया है कि एलजी कश्मीरी पंडितों की हत्याओं को 'सामान्य' करने की कोशिश कर रहे हैं।
हाल ही में एक इंटरव्यू में एलजी मनोज सिन्हा ने कहा, "कश्मीर में धर्म के आधार पर हत्याएं देखना बंद करें।" प्रदर्शनकारियों के मुताबिक, इस मुद्दे पर एलजी का रुख उनके दुख के प्रति 'असंवेदनशील' है।
प्रदर्शनकारियों में से एक ने कहा, "एलजी साहब स्वीकार करते हैं कि राज्य में 'टारगेट-किलिंग' हो रही है। लेकिन वो इसे 'छिटपुट' घटनाएं कहते हैं जो वास्तव में नहीं है।
एक अन्य प्रदर्शनकारी ने मीडिया से कहा, कश्मीरी पंडितों का विरोध 200 दिनों से अधिक समय से चल रहा है। हम उच्च अधिकारियों से संवेदनशीलता की उम्मीद करते हैं। लेकिन एलजी साहब की टिप्पणी बार-बार बदल जाती है। प्रदर्शनकारियों ने एक स्वर में कहा कि उन्हें अपनी जान का खतरा है।
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद का उदाहरण देते हुए एक प्रदर्शनकारी ने कहा, इन नेताओं ने हमारी दुर्दशा के प्रति संवेदनशीलता दिखाई है। हम एलजी से इसी तरह के व्यवहार की उम्मीद करते हैं। इस मामले को मानवीय आधार पर माना जाना चाहिए और धर्म के आधार पर नहीं।
इस बीच, कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा है कि बीजेपी ने अपनी असली रंग दिखा दिया है। जयराम रमेश ने एक कश्मीरी पंडित के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए यह टिप्पणी की गई है। कश्मीरी पंडित ने अपने ट्वीट में लिखा है कि जम्मू कश्मीर के एलजी अब तो कश्मीरी पंडितों के किसी भी संगठन से न मिलना चाहते हैं और न ही बात करना चाहते हैं। बहुत दुखद स्थिति है।
जम्मू कश्मीर में डोगरा स्वाभिमान संगठन, डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) आदि के अध्यक्षों और नेताओं ने कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की मांग का समर्थन किया है। इससे पहले केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था कि अगर कुछ दफ्तरों को जम्मू कश्मीर में बंद करना पड़ा तो बंद कर देंगे, लेकिन कश्मीरी पंडित कर्मचारियों की सुरक्षा पहले करेंगे।