कश्मीरः कुपवाड़ा में सेना और पुलिस में संघर्ष, ड्रग्स से क्यों जुड़ा हैं मामला
कुपवाड़ा पुलिस स्टेशन पर हिंसक हमले में कथित संलिप्तता के लिए सेना के तीन लेफ्टिनेंट कर्नल और 13 अन्य के खिलाफ हत्या और डकैती के प्रयास का मामला दर्ज किया गया है। पीटीआई की खबर में बताया गया है कि मंगलवार और बुधवार की मध्यरात्रि की यह घटना कथित नशीली दवाओं के मामले में जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा टेरिटोरियल आर्मी के एक जवान से की गई पूछताछ के कारण हुई।
160 टेरिटोरियल आर्मी के सशस्त्र और वर्दीधारी कर्मियों के एक समूह ने, इंडियन आर्मी के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ, पुलिस स्टेशन पर धावा बोल दिया था। इस सिलसिले में एक वीडियो भी वायरल है। बता दें कि टेरिटोरियल आर्मी एक सैन्य आरक्षित बल है जो अंशकालिक वालंटियर्स से बना है जो इंडियन आर्मी को सेवाएँ प्रदान करता है।
पीटीआई ने कुपवाड़ा थाने में दर्ज एफआईआर के हवाले से बताया, लेफ्टिनेंट कर्नल अंकित सूद, राजीव चौहान और निखिल के नेतृत्व में सशस्त्र समूह जबरन पुलिस स्टेशन के परिसर में घुस गया। इसमें कहा गया है कि वे बिना किसी उकसावे के राइफल बट और लाठियों और लातों से वहां मौजूद पुलिस कर्मियों पर जानलेवा हमला करने लगे।
एफआईआर में कहा गया है कि स्थिति तब और बिगड़ गई जब सेना के जवानों ने अपने हथियार लहराए, घायल पुलिस अधिकारियों से मोबाइल फोन जब्त कर लिए और घटनास्थल से भागने से पहले एक पुलिस कांस्टेबल का अपहरण भी कर लिया।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के हस्तक्षेप और कार्रवाई से पुलिस कर्मियों किसी तरह बचाया गया और फिर कानूनी कार्रवाई शुरू की गई। एफआईआर में आईपीसी की धारा 186 (सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में लोक सेवक को बाधा पहुंचाना), 332 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य से रोकने के लिए जानबूझकर चोट पहुंचाना), 307 (हत्या का प्रयास), 342 ( गलत कारावास) और 147 (दंगा करने के लिए सज़ा) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
श्रीनगर स्थित रक्षा प्रवक्ता ने इस घटना को मामूली बताया और कहा कि पुलिस और सेना के जवानों के बीच विवाद और "पुलिस कर्मियों की पिटाई की खबरें गलत हैं।" प्रवक्ता ने बयान में कहा, "एक ऑपरेशनल मामले पर पुलिस कर्मियों और टेरिटोरियल आर्मी यूनिट के बीच मामूली मतभेदों को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया गया है।"