4000 कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने कहा- सुरक्षा दो, तब तक काम नहीं
जम्मू कश्मीर में सरकारी कामकाज लगभग ठप होकर रह गया है। राज्य के करीब 4000 कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने कहा है कि जब तक उन्हें सुरक्षित जगहों पर ट्रांसफर नहीं किया जाता तब तक वो काम नहीं करेंगे। हालांकि सरकार का दावा है कि वो कश्मीरी पंडितों और अन्य हिन्दू कर्मचारियों को अन्य जगहों पर ट्रांसफर कर रही है। केंद्र सरकार समय-समय पर कहती रही है कि वो घाटी में कश्मीरी पंडितों को वापस लाएगी लेकिन ताजा हालात बता रहे हैं कि वहां बचे हुए कश्मीरी पंडित ही सुरक्षित नहीं हैं और सरकार उन्हें पर्याप्त सुरक्षा नहीं दे पा रही है। द कश्मीर फाइल्स फिल्म आने के बाद घाटी में कश्मीरी पंडितों के हालात में व्यापक बदलाव हुआ है।
घाटी में सरकारी कर्मचारी राहुल भट्ट की हत्या का विरोध जारी है। हालांकि जम्मू-कश्मीर सरकार ने कश्मीरी पंडित कर्मचारियों को अपेक्षाकृत सुरक्षित पोस्टिंग या उनके घरों के करीब स्थानों पर ट्रांसफर करना शुरू कर दिया है।
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सोमवार को शेखपुरा प्रवासी शिविर का दौरा किया था। वहां प्रधानमंत्री पैकेज के तहत नौकरी पाने वाले कश्मीरी पंडित कर्मचारी राहुल भट्ट की हत्या का विरोध कर रहे थे। सिन्हा ने कश्मीरी पंडितों के साथ बातचीत की और उन्हें आश्वासन दिया कि वह उनकी शिकायतों को देखेंगे। हालांकि, प्रदर्शनकारी कर्मचारियों ने काम में शामिल होने से इनकार कर दिया और कहा कि जब तक उन्हें जम्मू में सुरक्षित क्षेत्रों में ट्रांसफर नहीं किया जाता तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
Why main stream media ignoring protest of Kashmiri Pandits in Kashmir 👇 https://t.co/cHg6SesYyS
— NITIN SHARMA 🕉️🇮🇳 (@Allpha_Bravo) May 23, 2022
एलजी मनोज सिन्हा ने उन लोगों से कहा कि प्रशासन अपने कर्मचारियों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। हमारे इरादे को देखने की जरूरत है। किसी भी तरह की भावना रखने की कोई आवश्यकता नहीं है। मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि आपकी समस्याओं को ईमानदारी और विवेकपूर्ण तरीके से संबोधित किया जाएगा।
LG Manoj Sinha met Kashmiri Pandits who staged protests against the killing of Chadoora Tehsil Office employee Rahul Bhat
— JAMMU LINKS NEWS (@JAMMULINKS) May 23, 2022
Bhat was shot dead by terrorists on May 12 in his office. pic.twitter.com/k8VvL4ez7m
सरकारी कर्मचारी राहुल भट्ट की 12 मई को सेंट्रल कश्मीर के बडगाम जिले के चदूरा इलाके में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों ने उनके दफ्तर में गोली मारकर हत्या कर दी थी। तब से 4,000 से अधिक कश्मीरी पंडित कर्मचारी उन्हें सुरक्षा प्रदान करने में प्रशासन की "विफलता" को लेकर घाटी में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रधानमंत्री के विशेष रोजगार पैकेज के तहत घाटी में लौटे पंडित कर्मचारियों का कहना है कि वे अब कश्मीर में सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं, खासकर राहुल भट्ट की हत्या के बाद।
पूरा मामला सरकार की कश्मीर नीति के खिलाफ चला गया है। केंद्र सरकार ने बार-बार कहा है कि वो कश्मीरी पंडितों को घाटी में वापस लाएगी। लेकिन आंकड़े बता रहे हैं कि भारी तादाद में कश्मीरी पंडित अभी भी जम्मू कश्मीर में रह रहे हैं। लेकिन सरकार उनकी ही सुरक्षा में नाकाम साबित हो रही है। द कश्मीर फाइल्स फिल्म आने के बाद घाटी में रह रहे कश्मीरी पंडितों पर हमले बढ़े हैं और दो-तीन हत्याएं भी हुईं हैं। कई कश्मीरी पंडितों ने फिल्म के आने पर ही यह आशंका जताई थी कि घाटी में जो पंडित अमन-चैन से रह रहे थे उनके लिए अब खतरा बढ़ गया है। क्योंकि कश्मीरी आतंकी ज्यादातर सेना और पुलिस बलों को निशाना बनाते थे। कश्मीरी पंडितों की हत्याओं को उंगलियों पर गिना जा सकता है, जबकि इसके मुकाबले सेना और पुलिस बल के जवान ज्यादा शहीद हुए हैं। बहरहाल, घाटी में रह रहे कश्मीरी पंडितों का जीवन खतरे में जरूर नजर आ रहा है।