कर्नाटक बीजेपी ने मंगलवार को विधान परिषद चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों के नामों का एलान कर दिया। लेकिन हैरानी तब हुई जब राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के बेटे का नाम इसमें शामिल नहीं था। सूत्रों के मुताबिक, येदियुरप्पा अपने बेटे बीवाई विजयेंद्र के लिए एमएलसी का टिकट चाहते थे। बीवाई विजयेंद्र राज्य में बीजेपी के उपाध्यक्ष हैं।
जबकि बीजेपी ने हाल ही में जनता दल सेक्युलर से आए वरिष्ठ नेता बसवराज को एमएलसी चुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया है।
माना जा रहा है कि बीजेपी ने परिवारवाद के आरोपों से बचने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे को टिकट नहीं दिया है। क्योंकि येदियुरप्पा के एक और बेटे बीवाई राघवेंद्र पार्टी के टिकट पर सांसद हैं।
विजयेंद्र को लेकर थी शिकायत
कर्नाटक की सियासत में कहा जाता है कि येदियुरप्पा अपनी सियासी विरासत विजयेंद्र को सौंपना चाहते हैं। इसलिए येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री रहते हुए विपक्षी नेता आरोप लगाते थे कि कर्नाटक सरकार में सभी बड़े फ़ैसले विजयेंद्र ही लेते हैं और येदियुरप्पा सिर्फ नाम मात्र के मुख्यमंत्री हैं। बीजेपी के कई नेताओं को भी विजयेंद्र के दख़ल से आपत्ति थी। विजयेंद्र को 'कर्नाटक का सुपर सीएम' कहा जाता था।
विजयेंद्र भी अपने पिता के राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में खुद को स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। यही वजह है कि वे अपने पिता की तरह ही लिंगायत समुदाय के सभी छोटे-बड़े धार्मिक और आध्यात्मिक गुरुओं से करीबी बनाये रखते हैं।
येदियुरप्पा को एक लंबी मशक्कत के बाद बीजेपी आलाकमान ने जुलाई 2021 में मुख्यमंत्री के पद से हटा दिया था और उनकी जगह बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया था। लेकिन बोम्मई के 9 महीने के कार्यकाल में हिजाब, हलाल मीट विवाद सहित कई और विवाद हुए हैं और इसके बाद से ही राज्य में एक बार फिर नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाओं ने जोर पकड़ा था।
हालांकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कुछ दिन पहले कर्नाटक के दौरे पर पहुंचे थे और उन्होंने मुख्यमंत्री को भरोसा दिलाया था कि वह अपने काम पर ध्यान दें और राज्य में नेतृत्व परिवर्तन नहीं होगा।
बड़े नेता हैं येदियुरप्पा
निश्चित रूप से बीएस येदियुरप्पा कर्नाटक में बीजेपी की सियासत के सबसे बड़े नेता हैं। बीजेपी को अगले चुनाव में अगर राज्य में वापसी करनी है तो उसे येदियुरप्पा को साथ लेना ही होगा।
येदियुरप्पा कुछ साल पहले पार्टी को अपनी ताकत का एहसास करा चुके हैं जब उन्होंने अपने राजनीतिक दल का गठन कर बीजेपी को राज्य की सत्ता में आने से रोक दिया था। इसके बाद बीजेपी को उन्हें फिर से पार्टी में शामिल करना पड़ा था और उन्हें मुख्यमंत्री भी बनाया गया था।