कर्नाटक: स्पीकर ने 14 बाग़ी विधायकों को अयोग्य घोषित किया
कर्नाटक में स्पीकर के. आर. रमेश कुमार ने एक बड़ा क़दम उठाते हुए 14 बाग़ी विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी है। इनमें 11 विधायक कांग्रेस के हैं और 3 विधायक जेडीएस के हैं। इससे पहले भी स्पीकर ने 3 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था। सोमवार को मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को बहुमत साबित करना है लेकिन उससे पहले स्पीकर के इस क़दम से राज्य की राजनीति में हलचल तेज़ हो गई है। अयोग्य घोषित किए गए विधायक विधानसभा का वर्तमान कार्यकाल ख़त्म होने तक चुनाव नहीं लड़ पाएँगे।
Karnataka Speaker KR Ramesh Kumar: The disqualified MLAs cannot fight elections until the expiry of the term of the 15th assembly https://t.co/qlwCqdPA0K
— ANI (@ANI) July 28, 2019
स्पीकर ने कांग्रेस के बैराठी बसवराज, मुनिरत्न, एसटी सोमशेखर, रोशन बेग, डॉ. सुधाकर, शिवराम हेब्बार, श्रीमंत पाटिल, आनंद सिंह, एमटीबी नागराज, बीसी पाटिल, प्रताप गौड़ा पाटिल को अयोग्य करार दिया है। इसके अलावा जेडीएस के तीन बाग़ी विधायकों के. गोपालैया, एएच विश्वनाथ, नारायण गौड़ा को भी अयोग्य करार दिया गया है। अब तक कुल 17 विधायकों को अयोग्य घोषित किया जा चुका है।
224 विधायकों के सदन में 17 विधायकों के अयोग्य घोषित होने के बाद कर्नाटक विधानसभा की संख्या 207 रह गई है। इस हिसाब से बहुमत के लिए अब 104 विधायक चाहिए। बीजेपी के पास कुल 105 विधायक हैं। बीजेपी को एक निर्दलीय विधायक का भी समर्थन हासिल है। बता दें कि विश्वास मत हासिल न कर पाने के कारण कुमारस्वामी सरकार गिर गई थी। विश्वास मत के दौरान कुमारस्वामी सरकार के पक्ष में 99 और विपक्ष में 105 वोट पड़े थे।
फ़ैसले के बाद स्पीकर रमेश कुमार ने कहा कि उनके ऊपर इस स्थिति से निपटने के लिए दबाव बनाया गया और इन सभी बातों से उन्हें बेहद निराशा हुई। बी. एस. येदियुरप्पा यह चुके हैं कि वह 29 जुलाई को विधानसभा में बहुमत साबित करेंगे। चौथी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनने वाले येदियुरप्पा ने शुक्रवार को पद और गोपनीयता की शपथ ली थी। उन्हें राज्यपाल वजूभाई वाला ने शपथ दिलाई थी।
बता दें कि कर्नाटक की सत्ता पर लंबे समय से बीजेपी की नज़र है। विधानसभा चुनाव में सबसे ज़्यादा सीटें जीतने के बाद भी वह सरकार बनाने में नाकामयाब रही थी। सरकार बनाने के लिए उसने ‘ऑपरेशन लोटस’ भी चलाया था और कांग्रेस-जेडीएस के विधायकों को तोड़ने की कोशिश की थी। लेकिन आख़िरकार उसे कुमारस्वामी सरकार को गिराने में सफलता मिल गई।