कर्नाटक के बाद, एमपी, राजस्थान पहुँचा सरकार गिरने का ‘डर’
कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन वाली सरकार के गिरने के बाद यह ‘डर’ सामने आ रहा है कि कहीं कांग्रेस की मध्य प्रदेश और राजस्थान की सरकारों पर तो कोई ख़तरा नहीं है। कहीं इन दोनों राज्यों में तो पार्टी के विधायक बाग़ी नहीं हो जाएँगे। क्योंकि हाल ही में गोवा में भी कांग्रेस के 10 विधायक बाग़ी होकर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं जिनमें नेता विपक्ष जैसे अहम पद पर रहे विधायक भी शामिल हैं। ऐसा ही कुछ महाराष्ट्र में भी हुआ जहाँ कांग्रेस के नेता विपक्ष बीजेपी में शामिल हो गए। बता दें कि लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद से ही यह आशंका जताई जा रही थी कि देश में विपक्षी दलों की राज्य सरकारों को ख़तरा पैदा हो सकता है।
कर्नाटक के प्रकरण के बाद बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि अगर मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरती है तो इसके लिए बीजेपी ज़िम्मेदार नहीं होगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए कांग्रेस के नेता स्वयं ही ज़िम्मेदार होंगे क्योंकि कांग्रेस और उसे समर्थन देने वाले दलों में काफ़ी आतंरिक मतभेद हैं।
Shivraj Singh Chouhan, BJP: We'll not cause the fall of govt here (Madhya Pradesh). Congress leaders themselves have been responsible for fall of their govts. There is an internal conflict in Congress, & support of BSP-SP, if something happens to that then we can't do anything. pic.twitter.com/1w25KOw2RK
— ANI (@ANI) July 23, 2019
हाल ही में राजस्थान के बीजेपी विधायक अशोक लाहोटी ने कहा था कि अशोक गहलोत सरकार का यह आख़िरी बजट है। उन्होंने दावा किया था कि 2 महीने में राजस्थान में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बन जाएगा। एक अन्य बीजेपी विधायक कालीचरण सराफ़ ने राजस्थान में मध्यावधि चुनाव की भविष्यवाणी की थी। उन्होंने कहा, ‘गहलोत और पायलट के बीच अनबन की वजह से सरकार ख़तरे में पड़ गई है और यह कभी भी गिर सकती है।’
200 सीटों वाली राजस्थान विधानसभा में बहुमत के लिए 101 विधायक होने ज़रूरी हैं। राजस्थान में कांग्रेस के पास 100 विधायक थे और बाद में 12 निर्दलीय विधायक पार्टी में शामिल हो गये थे। बसपा के 6, भारतीय ट्राइबल पार्टी के 2 और रालोद का 1 विधायक कांग्रेस की गहलोत सरकार को समर्थन दे रहे हैं और इस तरह कांग्रेस और उसके समर्थक दलों के विधायकों की संख्या 121 है। यह बहुमत के लिए ज़रूरी संख्या से 20 अधिक है। लेकिन अगर बसपा ने समर्थन वापस ले लिया और कुछ विधायकों ने बग़ावत कर दी तो निश्चित रूप से गहलोत सरकार के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है। क्योंकि बसपा पहले भी समर्थन वापसी के मुद्दे पर कड़ा रुख दिखा चुकी है।
राजस्थान में ख़तरा इसलिए भी ज़्यादा है कि क्योंकि कांग्रेस पहले से ही पायलट और गहलोत ख़ेमों में बुरी तरह बँटी हुई है। कर्नाटक प्रकरण के बाद बाद यह आशंका बढ़ गई है कि कहीं कांग्रेस के विधायकों में गोवा और कर्नाटक की तरह भगदड़ न मच जाए।
ऐसा ही कुछ ‘डर’ मध्य प्रदेश को लेकर है। राज्य की विधानसभा में कुल 230 सीट हैं। बहुमत के लिए 116 विधायकों की ज़रूरत है। कांग्रेस के विधायकों की संख्या 114 है। चार निर्दलीय, बीएसपी के दो और एसपी के एक विधायक के भरोसे किसी तरह कांग्रेस की सरकार चल रही है। इस तरह कुल 121 विधायक उसके पास हैं। उधर, बीजेपी के पास 108 विधायक हैं। अगर 6-7 विधायकों ने भी बग़ावत कर दी तो सरकार का जाना तय है।
मध्य प्रदेश में चर्चा है कि कांग्रेस के विधायक और कमलनाथ सरकार को समर्थन दे रहे विधायक भी बार-बार सरकार पर भौहें तान रहे हैं। कर्नाटक और गोवा में बहुत तेज़ी से बदले राजनीतिक हालातों के बाद मध्य प्रदेश के स्पीकर नर्मदा प्रसाद प्रजापति ‘एक्शन’ में दिख रहे हैं।
स्पीकर प्रजापति ने बिना ठोस कारण विधानसभा से ग़ैर हाजिर रहने वाले विधायकों के ख़िलाफ़ ‘कार्रवाई’ का फ़रमान सुना दिया है। स्पीकर ने विधायकों को दो टूक कह दिया है कि छुट्टी लेनी ही है तो पूर्व में सूचना ज़रूर दें। बीमारी और कार्यक्रमों का ‘बहाना’ मंजूर ना किये जाने की नसीहत भी उन्होंने विधायकों को दे दी है। स्पीकर के मौखिक निर्देशों के बाद विधायक सकते में हैं।
स्पीकर प्रजापति भले ही सदन में मिलने वाले समय के सदुपयोग के लिए विधायकों पर ‘सख़्ती’ करने की दलील दे रहे हैं, लेकिन माना जा रहा है कि कर्नाटक और गोवा में पार्टी विधायकों द्वारा कांग्रेस को धोखा दिये जाने से मध्य प्रदेश की सरकार भयभीत है।
कांग्रेस के कई विधायक मंत्री ना बनाये जाने से ख़फ़ा हैं। तीन निर्दलीय विधायक और बीएसपी-एसपी के विधायक भी मंत्री अथवा कोई अन्य मलाईदार पद की चाहत रखते हैं। यही वजह है कि 121 विधायक होते हुए भी कमलनाथ सरकार के भविष्य पर तलवार लटकी हुई है।
गुजरात में पहले ही कांग्रेस के पाँच विधायकों ने पार्टी का साथ छोड़ दिया था और वे बीजेपी में शामिल हो गए थे। हाल ही में ओबीसी नेता और विधायक अल्पेश ठाकोर और एक अन्य विधायक कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए। कांग्रेस बीजेपी पर उसकी सरकारों को अस्थिर करने का आरोप लगा रही है लेकिन बीजेपी, कांग्रेस के आरोपों को नकारती रही है और उसका कहना है कि कांग्रेस अपने विधायकों को नहीं संभाल पा रही है और उस पर ग़लत आरोप लगा रही है।