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हाईकोर्ट ने चुनावी बांड केस में  निर्मला व अन्य के खिलाफ जांच से क्यों रोका

हाईकोर्ट ने चुनावी बांड केस में  निर्मला व अन्य के खिलाफ जांच से क्यों रोका

कर्नाटक भाजपा के पूर्व प्रमुख नलिन कुमार कतील ने मामले की जांच और आगे की कार्यवाही पर रोक लगाने के लिए कर्नाटक हाईकोर्ट में निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी है। जिसमें केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और अन्य के खिलाफ चुनावी बांड फिरौती मामले में पुलिस जांच का आदेश दिया गया था। इसके बाद बेंगलुरु पुलिस ने निर्मला सीतारमण के खिलाफ केस दर्ज किया था।

कर्नाटक हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने बेंगलुरु पुलिस द्वारा दर्ज 'चुनावी बांड जबरन वसूली मामले' में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, कर्नाटक भाजपा के पूर्व प्रमुख नलिन कुमार कतील और अज्ञात ईडी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगा दी। कतील ने मामले की जांच और आगे की कार्यवाही पर रोक लगाने के लिए कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।

याचिकाकर्ता कतील की ओर से वरिष्ठ वकील केजी राघवन ने तर्क दिया कि शिकायत में जबरन वसूली का कोई मामला नहीं बनाया गया है। निजी शिकायतकर्ता के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने तर्क दिया कि चुनावी बांड योजना में जबरन वसूली का एक क्लासिक मामला शामिल है, जहां ईडी ने कुछ कंपनियों के बीच चुनावी बांड खरीदने के लिए डर पैदा किया था।

हाईकोर्ट ने कहा, "धारा 383 में कहा गया है कि कोई भी शख्स जो संबंधित न्यायालय या क्षेत्राधिकार वाली पुलिस के पास जाता है, तो उसके पास अपने डर को बताने का वाजिब कारण होना चाहिए। इस तरह के डर के कारण, आरोपी की संपत्ति को कुछ नुकसान पहुंचा हो।" 

हाईकोर्ट ने आगे कहा कि ऐसा तभी होता है जब पीड़ित के आधार पर उस आरोपी के खिलाफ प्रथम दृष्टया जबरन वसूली स्थापित की जा सके। कानून का यह स्थापित सिद्धांत है कि आपराधिक कानून को किसी भी व्यक्ति द्वारा लागू किया जा सकता है, लेकिन आईपीसी के तहत ऐसे प्रावधान हैं कि उन्हें धारा 379 के तहत हमले के अपराध, चोरी के अपराध को दर्शाने के लिए केवल पीड़ित द्वारा ही इस्तेमाल किया जा सकता है। आईपीसी की धारा 383 के तहत जबरन वसूली का मामला तभी बनता है।“

अपने अंतरिम आदेश में, कर्नाटक हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया, “पहली नजर में ही, आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) की धारा 383 इस मामले में पूरी तरह लागू नहीं की जा सकती है। इसलिए यह आईपीसी की धारा 384 के तहत अपराध है। ऐसे में उपरोक्त अपराध में आगे की जांच की अनुमति देना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा... इसलिए, सुनवाई की अगली तारीख तक मामले में आगे की जांच पर रोक रहेगी। मामले की आगे की सुनवाई के लिए 22 अक्टूबर को दोपहर में होगी।

सिंगल बेंच ने संकेत दिया कि चुनावी बांड योजना के माध्यम से कथित जबरन वसूली के मामले की जांच को उचित ठहराने के लिए वकील प्रशांत भूषण और अन्य द्वारा प्रस्तुत सभी मामलों पर दशहरा अवकाश के बाद हाईकोर्ट की सुनवाई के दौरान विचार किया जाएगा।

एनजीओ जनाधिकार संघर्ष परिषद के कार्यकर्ता आदर्श अय्यर की निजी शिकायत पर स्थानीय अदालत ने पुलिस को जांच के लिए कहा। उसके बाद बेंगलुरु पुलिस ने शनिवार को एफआईआर दर्ज की थी। बेंगलुरु की तिलकनगर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 384 और 120 बी के तहत एफआईआर दर्ज की थी। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि केंद्रीय वित्त मंत्री और अन्य ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा कार्रवाई का डर दिखा कर चुनावी बांड योजना के माध्यम से कॉरपोरेट्स से 8,000 करोड़ रुपये की उगाही की।

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