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कर्नाटक में सत्ता किसके हाथ, फ़ैसला 18 जुलाई को 

कर्नाटक में सत्ता किसके हाथ, फ़ैसला 18 जुलाई को 

कर्नाटक में जारी सियासी ड्रामे का फ़ैसला अब 18 जुलाई को होगा। उस दिन सदन में 11 बजे इस पर बहस शुरू होगी और उसके बाद फ़्लोर टेस्ट होगा।

कर्नाटक में जारी सियासी ड्रामे का फ़ैसला अब 18 जुलाई को होगा। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने बताया कि उस दिन सदन में 11 बजे इस पर बहस शुरू होगी और उसके बाद फ़्लोर टेस्ट होगा। यह राजनीतिक संकट तब शुरू हुआ था जब कांग्रेस और जेडीएस के 13 विधायकों ने इस्तीफ़ा दे दिया था और बाद में कई और विधायकों ने भी इस्तीफ़ा दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हुई सुनवाई में राज्य में 16 जुलाई तक स्थिति को जस की तस बनाए रखने का आदेश दिया था। इस बीच कांग्रेस नेतृत्व ने बाग़ी विधायकों को मनाने की बहुत कोशिश की और अपने संकटमोचक डीके शिवकुमार को भी भेजा, लेकिन उसे बहुत ज़्यादा सफलता मिलती नहीं दिख रही है। 

मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने बीते शुक्रवार को फ़्लोर टेस्ट कराने की माँग की थी। उन्होंने दावा किया था कि उनकी सरकार स्थिर है और अपना काम करती रहेगी। सिद्धारमैया ने भी इस बात का दावा किया कि वह अविश्वास प्रस्ताव को ज़रूर जीतेंगे। उसके बाद से ही कांग्रेस, बीजेपी और जेडीएस ने अपने विधायकों को ‘सुरक्षित’ करना शुरू कर दिया था। 

दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता येदियुरप्पा ने कहा है कि उन्हें बहुमत हासिल करने का पूरा भरोसा है। येदियुरप्पा ने कहा कि मुंबई में मौजूद 15 विधायक, 2 निर्दलीय विधायक बीजेपी को समर्थन देंगे। उन्होंने कहा कि बीजेपी को 2 और विधायकों का समर्थन हासिल है। बीजेपी नेता जगदीश शेट्टार ने कहा कि बीजेपी के 105 विधायक एकजुट हैं। 

फ़्लोर टेस्ट की तारीख़ तय होने के बाद मुंबई के एक होटल में ठहरे बाग़ी विधायकों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। 224 सदस्यीय सदन में कर्नाटक-जेडीएस गठबंधन में अध्यक्ष को छोड़कर कुल 116 विधायक हैं। इसमें कांग्रेस के 78, जेडीएस के 37 और बीएसपी का 1 विधायक है। लेकिन 16 विधायकों के इस्तीफे़ के बाद यह संख्या घटकर 100 हो गई है। दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन के साथ बीजेपी के विधायकों की संख्या 107 है। 

बता दें कि कर्नाटक की सत्ता पर लंबे समय से बीजेपी की नज़र है। लोकसभा चुनाव में सबसे ज़्यादा सीटें जीतने के बाद भी वह सरकार बनाने में नाकामयाब रही थी। सरकार बनाने के लिए उसने ‘ऑपरेशन लोटस’ भी चलाया था और कांग्रेस-जेडीएस के विधायकों को तोड़ने की कोशिश की थी। लेकिन कांग्रेस-जेडीएस के संबंध भी ठीक नहीं हैं। ख़ुद पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा कह चुके हैं कि वह कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करना चाहते थे। उनके बेटे और राज्य के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी भी कह चुके हैं कि वह गठबंधन की राजनीति का जहर पीने को मजबूर हैं। ऐसे हालात में अगर सरकार बचानी है तो कांग्रेस और जेडीएस को सारे मतभेद भुलाकर विधायकों को एकजुट रखना ही होगा। 

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