परमेश्वर के पीए का आत्महत्या केस: आयकर विभाग पर उत्पीड़न का आरोप
कर्नाटक के पूर्व डिप्टी सीएम और कांग्रेस नेता जी. परमेश्वर के निजी सहायक रमेश की मौत के मामले में आयकर विभाग के अधिकारियों पर सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं। 40 साल के रमेश शनिवार को मृत अवस्था में मिले थे। मामले की जांच के दौरान पुलिस ने रमेश के मोबाइल फ़ोन, कार से मिले सुसाइड नोट को फ़ॉरेंसिक साइंस लैब को भेज दिया है।
रमेश जी. परमेश्वर के साथ आठ साल तक काम कर चुके थे। आयकर विभाग के अधिकारी रमेश की मौत से दो दिन पहले से उनसे पूछताछ कर रहे थे। बताया जाता है कि यह पूछताछ जी. परमेश्वर के ठिकानों पर आयकर विभाग की छापेमारी के सिलसिले में की जा रही थी। छापेमारी के दौरान आयकर विभाग ने 4 करोड़ से ज़्यादा की नक़दी बरामद की थी।
रमेश के परिजनों ने मामले की सीबीआई जांच की मांग की है और आयकर विभाग के अधिकारियों पर रमेश का उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है। लेकिन विभाग के अधिकारियों ने रमेश के घर पर छापे मारे जाने और उससे पूछताछ की बात से इनकार किया है। हालांकि पुलिस को सीसीटीवी फ़ुटेज मिली है जिसमें दिखाई दे रहा है कि अधिकारियों की एक टीम 10 अक्टूबर को रमेश के घर जा रही है और उससे कथित मेडिकल सीट घोटाले के बारे में पूछताछ कर रही है।
कांग्रेस के नेताओं ने रमेश की मौत के लिए आयकर विभाग के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि आयकर विभाग ने रमेश का उत्पीड़न किया था। परमेश्वर ने भी कहा है कि उन्होंने रमेश को फ़ोन कर हिम्मत से हालात का सामना करने के लिए कहा था।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भी रविवार को आयकर विभाग पर प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया था। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव ने कहा है कि वह जानना चाहते हैं कि जांच एजेंसियां सिर्फ़ कांग्रेस के नेताओं के ख़िलाफ़ ही छापेमारी क्यों कर रही हैं। ख़बरों के मुताबिक़, पुलिस को मौक़े से जो सुसाइड नोट मिला है, उसमें रमेश ने छापेमारी से परेशान होकर जान देने की बात कही है। उन्होंने नोट में आयकर विभाग के अधिकारियों से अपने परिजनों को परेशान नहीं करने की अपील की थी।
IT raids have become politically motivated & in due course of their vindictive action they’ve claimed innocent lives.
— ದಿನೇಶ್ ಗುಂಡೂರಾವ್/ Dinesh Gundu Rao (@dineshgrao) October 12, 2019
I castigate the barbaric heckling by IT officials which has resulted in Ramesh’s suicide.
We demand a transparent & impartial enquiry by the govt.#ಬಿಜೆಪಿದ್ರೋಹ
आयकर विभाग की कार्रवाई के ख़िलाफ़ रमेश के गाँव में बहुत ग़ुस्सा है। रमेश के परिजनों का कहना है कि रमेश की मौत के बाद आयकर विभाग के अधिकारियों ने अचानक ही छापेमारी कम कर दी और वे लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं कि वे उसकी मौत के लिए ज़िम्मेदार नहीं हैं।
यहां पर कैफ़े कॉफ़ी डे के मालिक वीजी सिद्धार्थ के मामले का भी ज़िक्र करना ज़रूरी होगा। सिद्धार्थ लापता हो गए थे और उनका शव एक नदी में मिला था। वह पूर्व विदेश मंत्री एसएम कृष्णा के दामाद थे। लापता होने से पहले उन्होंने अपने कर्मचारियों को एक चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी में उन्होंने आयकर विभाग के अधिकारियों द्वारा प्रताड़ित किए जाने का आरोप लगाया था। सिद्धार्थ के कार्यालयों पर सितंबर 2017 में आयकर अधिकारियों ने छापे मारे थे।
जी. परमेश्वर के पीए रमेश के परिजनों के आरोपों और सिद्धार्थ के मामले को देखें तो यह कहा जा सकता है कि ये लोग आयकर विभाग के अधिकारियों के उत्पीड़न से परेशान थे। जांच एजेंसियों का काम ही यही है कि अगर कहीं कोई ग़लत है तो वे उस मामले की जांच करें लेकिन जांच के नाम पर उत्पीड़न करना और वह भी इस हद तक कि कोई शख़्स ख़ुदक़ुशी के लिए तैयार हो जाए तो इसे जांच कहा जाना सही नहीं होगा।
इसे महज इत्तेफ़ाक नहीं माना जा सकता कि कर्नाटक में कुछ ही महीनों के भीतर आयकर विभाग के उत्पीड़न से तंग आकर दो लोग ख़ुदक़ुशी कर लें। कुछ दिन पहले अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने ख़बर दी थी कि सीबीडीटी के चेयरमैन पर आरोप लगे थे कि वह अपनी कुर्सी इसलिए बचा सके थे, क्योंकि उन्होंने विपक्ष के एक नेता के ख़िलाफ़ सफल सर्च ऑपरेशन चलाया था। ऐसे में यह सवाल पूछा जा सकता है कि क्या आयकर विभाग किसी राजनीतिक दबाव में काम करता है और इन दोनों मामलों से विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े होते हैं।