कर्नाटक: 14 महीने पुरानी कांग्रेस-जेडीएस सरकार गिरी
कर्नाटक की कांग्रेस-जेडीएस सरकार गिर गई है। कर्नाटक विधानसभा में विश्वास मत के पक्ष में 99 वोट पड़े जबकि विपक्ष में 105 वोट पड़े हैं। विश्वास मत के दौरान सदन में 204 विधायक मौजूद थे। मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने राज्यपाल वजुभाईवाला को अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया है। सरकार गिरने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता बीएस येदियुरप्पा को पार्टी के विधायकों ने बधाई दी। इससे पहले मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने विश्वास मत पेश किया था। बीजेपी के नेता लगातार दावा कर रहे थे कि कुमारस्वामी सरकार अल्पमत में है और वह गिर जाएगी। बता दें कि स्पीकर ने विश्वासमत के लिए शाम 6 बजे की डेडलाइन तय की थी। कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार सिर्फ़ 14 महीने ही चल सकी।
BS Yeddyurappa & other Karnataka BJP MLAs show victory sign in the Assembly, after HD Kumaraswamy led Congress-JD(S) coalition government loses trust vote. pic.twitter.com/hmkGHL151z
— ANI (@ANI) July 23, 2019
कर्नाटक की सत्ता पर लंबे समय से बीजेपी की नज़र है। विधानसभा चुनाव में सबसे ज़्यादा सीटें जीतने के बाद भी वह सरकार बनाने में नाकामयाब रही थी। सरकार बनाने के लिए उसने ‘ऑपरेशन लोटस’ भी चलाया था और कांग्रेस-जेडीएस के विधायकों को तोड़ने की कोशिश की थी। लेकिन आख़िरकार उसे कुमारस्वामी सरकार को गिराने में सफलता मिल गई। कांग्रेस-जेडीएस सरकार गिरने के बाद बीजेपी के कार्यकर्ता पूरे राज्य में जश्न मना रहे हैं। उम्मीद है कि बीजेपी जल्द ही सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है। माना जा रहा है कि कर्नाटक बीजेपी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री बन सकते हैं।
Karnataka: BJP supporters celebrate at party's state office in Bengaluru after HD Kumaraswamy led Congress-JD(S) coalition government lost trust vote in the assembly. pic.twitter.com/JS2dtRFYpr
— ANI (@ANI) July 23, 2019
लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद कांग्रेस-जेडीएस के आपसी संबंध भी ख़राब हो गए थे और इस वजह से भी कुमारस्वामी सरकार का बचना मुश्किल माना जा रहा था। ख़ुद पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा कह चुके थे कि वह कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करना चाहते थे। उनके बेटे और राज्य के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी भी सार्वजनिक रूप से कह चुके थे कि वह गठबंधन की राजनीति का जहर पीने के लिए मजबूर हैं।
इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सिद्धारमैया मंगलवार को बाग़ी विधायकों पर जमकर बरसे। सिद्धारमैया ने कहा कि अगर एक-दो सदस्यों की ख़रीद-फरोख़्त होती तो कोई समस्या नहीं थी लेकिन होलसेल व्यापार एक समस्या है। उन्होंने कहा कि जो विधायक गए हैं, वे होलसेल व्यापार में शामिल हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि 25 करोड़, 30 करोड़, 50 करोड़, ये पैसे कहाँ से आ रहे हैं बाग़ियों को अयोग्य घोषित किया जाएगा और उनकी राजनीतिक समाधि बनेगी। 2013 के बाद जिसे भी अयोग्य घोषित किया गया है, वह चुनाव हारा है।
कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस की सरकार गिरने के बाद अब मध्य प्रदेश की सरकार पर भी संकट गहरा सकता है। दरअसल, कुल 230 सदस्यों वाली मध्य प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस के पास 114 विधायक ही हैं। अपने दम पर बहुमत के लिए 116 विधायकों की ज़रूरत है। कांग्रेस को चार निर्दलीय, बीएसपी के दो और एसपी के एक विधायक का समर्थन हासिल है। इस तरह कुल 121 विधायक उसके पास हैं और वह दूसरों के समर्थन पर ही टिकी है। उधर, बीजेपी के पास 108 विधायक हैं और उसके नेता कह चुके हैं कि कमलनाथ सरकार ज़्यादा दिन नहीं चलेगी।
विश्वास मत से पहले सदन में मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने कहा कि वह कर्नाटक की जनता से माफ़ी माँगते हैं। कर्नाटक में चले राजनीतिक ड्रामे पर मीडिया और सोशल मीडिया पर भी कुमारस्वामी ने जमकर भड़ास निकाली और कहा कि उनके बारे में ग़लत ख़बरें दिखाई गईं।
यह राजनीतिक संकट तब शुरू हुआ था जब कांग्रेस और जेडीएस के 13 विधायकों ने इस्तीफ़ा दे दिया था और बाद में कई और विधायकों ने भी इस्तीफ़ा दिया था। हालाँकि विधानसभा के स्पीकर ने इसे मंज़ूर नहीं किया था। बाद में इस मामले को कोर्ट में ले जाया गया। इस बीच कांग्रेस नेतृत्व ने बाग़ी विधायकों को मनाने की बहुत कोशिश की और अपने संकटमोचक डी.के. शिवकुमार को भी भेजा, लेकिन उससे बहुत ज़्यादा सफलता नहीं मिली।
इससे पहले सोमवार को मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के इस्तीफ़े का एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था जिसे बाद में झूठा पाया गया। कुमारस्वामी ने भी इसे ग़लत बताते हुए कहा कि किसी ने उनके फर्जी हस्ताक्षर करके यह लेटर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।
बता दें कि 19 जुलाई को राज्यपाल वजुभाई वाला ने मुख्यमंत्री कुमारस्वामी को चिट्ठी लिखकर उसी दिन शाम 6 बजे से पहले विश्वास मत हासिल करने के लिए कहा था। लेकिन फ़्लोर टेस्ट नहीं हुआ था। इससे पहले भी राज्यपाल ने शुक्रवार दोपहर 1.30 बजे तक विश्वास मत हासिल करने के लिए कहा था, लेकिन तब भी सदन में फ़्लोर टेस्ट नहीं हो सका था।
दूसरी ओर, बीजेपी फ़्लोर टेस्ट की माँग पर अड़ी हुई थी। बीजेपी के विधायक 18 जुलाई को विधानसभा के भीतर ही रात भर के लिए धरने पर बैठ गए थे और उन्होंने सरकार से राज्यपाल के पत्र का जवाब देने और फ़्लोर टेस्ट कराने की माँग की थी।
कर्नाटक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव ने दोबारा सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी थी। दिनेश गुंडू राव ने अदालत में याचिका दायर कर कहा है कि कोर्ट के पिछले आदेश से उनकी पार्टी के अधिकारों का हनन हुआ है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में विधायकों को व्हिप से छूट दे दी थी। कांग्रेस का कहना है कि उसके पास यह अधिकार है कि वह पार्टी विधायकों को व्हिप जारी कर सकती है और जब सदन चल रहा हो तो राज्यपाल किसी तरह के निर्देश नहीं दे सकते या डेडलाइन नहीं जारी कर सकते हैं। कुमारस्वामी ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर राज्यपाल के आदेश को चुनौती दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह फ़ैसला सुनाया था कि स्पीकर को इस बात की छूट है कि वह नियमों के हिसाब से फ़ैसला करें और उन्हें किसी निश्चित समय सीमा में फ़ैसला लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा था कि विधायकों को विश्वास मत में भाग लेने के लिए मज़बूर नहीं किया जा सकता।