कर्नाटकः भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या की फजीहत, मंच छोड़कर क्यों जाना पड़ा
गुरु राघवेंद्र सहकारी बैंक नियमिता (एसजीआरएसबीएन) से जुड़े करोड़ों रुपये के घोटाले में नुकसान झेलने वाले असंतुष्ट जमाकर्ताओं के विरोध के बाद भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या को बेंगलुरु में एक सार्वजनिक बैठक छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।
यह घटना सहकारी बैंक एसोसिएशन के नेताओं के साथ विचार-मंथन सत्र के दौरान हुई। सूर्या और बसवांगुडी विधायक रवि सुब्रमण्यम के समर्थक भी वहां मौजूद थे। तेजस्वी सूर्या इस कार्यक्रम में लोकसभा चुनाव की तैयारी के सिलसिले में आए थे।
बैठक में उस समय अफरा-तफरी मच गई जब घोटाले से प्रभावित जमाकर्ताओं ने अपने नुकसान की भरपाई में देरी को लेकर राजनीतिक नेताओं से गुस्से में जवाब मांगा। बैठक के वीडियो फुटेज में गुस्साए जमाकर्ताओं को तेजस्वी सूर्या पर कमेंट करते और कार्यक्रम स्थल से उनके जाने का रास्ता रोकते हुए दिखाया गया है। सूर्या के समर्थकों पर बैठक के दौरान जमाकर्ताओं के साथ धक्का-मुक्की और मारपीट करने का भी आरोप है।
BJP MP @Tejasvi_Surya had to leave an election campaign event after investors who lost money in the multi-crore scam involving the Guru Raghavendra Sahakara Bank. Depositors allege that they have not received compensation as promised. Both Tejasvi Surya and his uncle BJP MLA… pic.twitter.com/UKvwn9JnFj
— Mohammed Zubair (@zoo_bear) April 15, 2024
कर्नाटक कांग्रेस, जिसने बैठक में हंगामे का वीडियो साझा किया, ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, "भाजपा के तेजस्वी सूर्या एक बार फिर 'आपातकालीन निकास द्वार' (इमरजेंसी गेट) के जरिए भीड़ से बच गए हैं। तेजस्वी सूर्या का अहंकार, जो चुनाव के दौरान मतदाताओं पर हमला करता है और उनके साथ दुर्व्यवहार करता है, उसने हद पार कर दी है, मतदाताओं के लिए उसे सबक सिखाने का समय आ गया है।”
तेजस्वी सूर्या, जो बेंगलुरु दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र से मौजूदा सांसद हैं, हाल ही में 2019 के बाद से अपनी संपत्ति 13 लाख रुपये से बढ़कर 4 करोड़ रुपये से अधिक होने के कारण चर्चा में हैं। वह तीन मामलों का भी सामना कर रहे हैं, जिनमें से दो हाल ही में भाजपा सरकार के दौरान दायर किए गए थे। मार्च में एक दुकानदार पर हमले के विरोध में और मार्च 2022 में सिविल लाइन्स पुलिस स्टेशन, नई दिल्ली में एक और मामला दर्ज किया गया था।
क्या है बैंक घोटालाः बेंगलुरु स्थित सहकारी बैंक एसजीआरएसबीएन से जुड़ा घोटाला 2020 में सामने आया जब भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंक से कैश निकासी पर प्रतिबंध लगा दिया, जिससे बैंक प्रबंधन द्वारा 2,500 करोड़ रुपये की हेराफेरी का खुलासा हुआ।
45,000 से अधिक जमाकर्ताओं ने बैंक में अपना पैसा लगाया था, जिनमें से अधिकांश को जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम से 5 लाख रुपये की बीमा राशि प्राप्त हुई थी। हालाँकि, 6 लाख रुपये से अधिक जमा वाले 15,000 से अधिक जमाकर्ताओं को पूरी तरह से मुआवजा नहीं दिया गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बैंक की 159 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली थी और बैंक प्रबंधन पर दूसरों के साथ मिलकर बड़ी रकम निकालने का आरोप लगाया गया है।
यह मामला भाजपा सरकार के दौरान सामने आया था। पीड़ित लोगों का आरोप है कि कि उसने धोखाधड़ी करने वालों की मदद की। भाजपा सरकार की वजह से पूरा बैंक घोटाला दब गया। भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने वादा किया था कि वो पीड़ितों का पैसा दिलाएंगे। लेकिन आरोप है कि उन्होंने कोई कोशिश नहीं की। कुछ पीड़ितों ने यहां तक आरोप लगाया कि भाजपा नेताओं और बैंक घोटाला करने वालों के बीच सांठगांठ थीं। घोटालेबाजों ने पार्टी को मोटा चंदा भी दिया था। पिछले साल दिसंबर में जब सत्ता परिवर्तन हुआ तो कांग्रेस की कर्नाटक सरकार ने घोटाले की सीबीआई के नेतृत्व में जांच का आदेश दिया था।