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कर्नाटक बीजेपी नेता ने कहा, मसजिदों में रखे जाते हैं हथियार 

कर्नाटक बीजेपी नेता ने कहा, मसजिदों में रखे जाते हैं हथियार 

भारतीय जनता पार्टी पर ध्रुवीकरण का आरोप लगता रहता है। हाल की एक घटना में कर्नाटक के बीजेपी के एक सांसद ने मुसलमानों पर मसजिद में नमाज पढ़ने के बजाय वहाँ हथियार रखने के आरोप लगा कर सनसनी फैला दी है।

भारतीय जनता पार्टी पर ध्रुवीकरण का आरोप लगता रहता है। हाल की एक घटना में कर्नाटक के बीजेपी के एक सांसद ने मुसलमानों पर मसजिद में नमाज पढ़ने के बजाय वहाँ हथियार रखने के आरोप लगा कर सनसनी फैला दी है।

सांसद रेणुकाचार्य ने कहा है, मसजिदों में नमाज़ पढ़ने के बजाय मुसलमान वहाँ हथियार रखते हैं और उनके काज़ी धार्मिक प्रवचन देने के बदले फ़तवा जारी करते हैं। 

मुसलमानों पर पैसे खर्च नहीं करेंगे?

उन्होंने बेंगलुरु से 300 किलोमीटर दूर देवनगेरे ज़िले के होन्नाली में मंगलवार को ये बातें कहीं। वह उस समय नागिरकता संशोधन क़ानून के समर्थन में एक जनसभा में बोल रहे थे। रेणुकाचार्य 2008-13 के दौरान मंत्री थे, वह फ़िलहाल मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा के राजनीतिक सचिव हैं। 

अहम बात यह है कि रेणुकाचार्य ने यह भी कहा कि नागरिकता क़ानून के समर्थन में रैली में शामिल होने की उनकी अपील पर मुसलमानों ने ध्यान नहीं दिया, लिहाज़ा वे अपने क्षेत्र के विकास के लिए मिले पैसे हिन्दू-बहुल इलाक़ों पर खर्च करेंगे। उन्होंने कहा :

यदि वे (मुसलमान) हमारी पार्टी को अपना दुश्मन समझते रहेंगे और हमारी नीतियों और कार्यक्रमों का विरोध करते रहेंगे तो मैं भी उनकी उपेक्षा करूंगा और उनकी बातें नहीं सुनूंगा।


रेणुकाचार्य, सांसद, बीजेपी

लेकिन राज्य बीजेपी उनके इस बयान से खुश नहीं है और उसने ख़ुद को इससे दूर कर लिया है। कर्नाटक बीजेपी के प्रवक्ता एस. प्रकाश ने कहा, ‘पार्टी इस तरह के बयानों से ख़ुद को दूर करती है। उन्होंने यह बयान अपनी निजी हैसियत से दिया है और बीजेपी को उससे कोई मतलब नहीं है।’ 

पुलिस करेगी जाँच

लेकिन पार्टी के दूसरे नेताओं ने रेणुकाचार्य के बयान को पूरी तरह खारिज नहीं किया है। पार्टी के प्रवक्ता जी. मधुसूदन ने समाचार एजेंसी एआईएनएस को कहा, 'रेणुकाचार्य ने जो कुछ कहा है, हम उसकी समीक्षा करेंगे और यदि मसजिदों में हथियार पाए गए तो कार्रवाई करेंगे।' 

रेणुकाचार्य अपनी बात पर अड़े हुए हैं। वे नागरिकता क़ानून के समर्थन में मुसलमानों के शामिल नहीं होने से बेहद खफ़ा हैं। 

उन्होंने कहा, 'विधायक के रूप में मैंने सबको समान समझा, मुसलमानों को गले लगाया और मिलने पर उन्हें चाय-बिस्कुट पेश किया, पर यदि वे मुझे पसंद नहीं करते हैं तो मैं भी उनसे दूरी बना लूंगा और उनसे वोट नहीं मागूंगा।'

सवाल यह है कि नागरिकता क़ानून या किसी मुद्दे पर किसी रैली में शामिल होना या न होना लोगों की अपनी इच्छा पर निर्भर है। विधायक निधि या सांसद निधि से जो पैसे मिलते हैं, वे क्षेत्र के विकास के लिए होते हैं। ये पैसे जनता के ही होते हैं और जनता पर ही खर्च किए जाते हैं। ऐसे में कोई विधायक या सांसद यह कैसे कह सकता है कि वह समुदाय विशेष या इलाक़ा विशेष पर पैसे खर्च नहीं करेगा क्योंकि वे लोग उसका समर्थन नहीं करते। यह कहना अपने आप में ग़लत है।

लेकिन बीजेपी के लोग इस तरह के ध्रुवीकरण करते ही रहते हैं। कई बार वे जानबूझ कर करते हैं ताकि ध्रुवीकरण के नाम पर वे वोट बटोर सकें। कई बार यह ध्रुवीकरण उनकी राजनीति के मुफ़ीद होता है। 

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