सिब्बल के फिर बग़ावती तेवर, “पता नहीं पार्टी में क्या हो रहा है?"
कांग्रेस पार्टी में अंदरूनी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष को चिट्ठी लिख कर शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठाने वालों में एक कपिल सिब्बल ने एक बार पार्टी पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि पार्टी में अध्यक्ष पद पर चुनाव कराने की घोषणा किए हुए एक महीना हो गया, पर अब तक इस दिशा में कुछ नहीं हुआ है।
याद दिला दें कि कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पिछले महीने कहा था कि अध्यक्ष पद का चुनाव होगा और दूसरे आंतरिक चुनाव कराए जाएंगे।
सिब्बल : कब होगा चुनाव?
कपिल सिब्बल ने सोमवार को 'इंडियन एक्सप्रेस' से बात करते हुए कहा कि चुनाव पार्टी के संविधान के मुताबिक ही होना चाहिए। उन्होंने कहा, "अध्यक्ष पद का चुनाव कार्यकारिणी समिति और केंद्रीय चुनाव कमेटी के चुनाव के साथ ही होना चाहिए। पर क्या होगा, यह साफ नहीं है।"
सिब्बल ने यह भी कहा,
“
"संसदीय बोर्ड को पुनर्जीवित किया जाना चाहिए। चुनाव कराने की बात कहे एक महीना हो गया, पर अभी तक कुछ पता नहीं है कि यह कैसे होगा और कब होगा।"
कपिल सिब्बल, सांसद, कांग्रेस
'पार्टी में असंतोष'
इस मशहूर वकील ने बग़ैर किसी का नाम लिए केंद्रीय नेतृत्व और उसके इर्द-गिर्द के लोगों पर एक बार फिर हमला बोला। उन्होंने कहा कि "जिन लोगों को लगता है कि कांग्रेस पार्टी बहुत ही मजबूत राजनीतिक ताक़त है और उनसे जो कुछ बन पा रहा है, कर रहे हैं, वे एक बार यह देखें कि अलग-अलग राज्यों में पार्टी का प्रदर्शन कैसा रहा है। पार्टी में असंतोष है।"
सिब्बल ने दिल्ली प्रदेश कांग्रेस का उदाहरण देते हुए कहा कि किस तरह लोग उनके पास जाकर पार्टी के कामकाज पर चिंता जताते रहते हैं।
सिब्बल ने इन तमाम बातों को पार्टी का अंदरूनी मामला क़रार दिया और कहा कि यह आपसी बातचीत है। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि कांग्रेस पार्टी का एक संविधान है और सारे लोग इसे मान कर चलते हैं, इसलिए आगे के काम भी इसके अनुकूल ही होने चाहिए।
जी-23!
याद दिला दें कि अगस्त में कांग्रेस के 23 वरिष्ठ नेताओं ने कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिख कर लंबे समय से पूर्णकालिक पार्टी अध्यक्ष के न होने और दूसरे मुद्दों पर सवाल उठाए थे। पत्र लिखने वालो में वरिष्ठ नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद, कपिल सिब्बल, शशि थरूर और आनंद शर्मा के अलावा उत्तर प्रदेश के जितिन प्रसाद के भी हस्ताक्षर थे।
इसके बाद सिब्बल पर चौतरफा हमला हुआ, किसी न उन्हें विश्वासाती कहा तो किसी ने कहा कि वे बीजेपी के हाथों खेल रहे हैं।
लेकिन कांग्रेस का यह सांसद फिर भी चुप नही रहा। बिहार चुनाव के बाद उन्होंने एक बार फिर पार्टी को निशाने पर लिया और कहा कि लोग अब कांग्रेस पार्टी को विकल्प के रूप में नहीं देखते हैं।
बिहार चुनाव बाद सिब्बल का हमला
सिब्बल ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा था, ‘हम में से कुछ लोगों ने बताया कि कांग्रेस में आगे क्या किया जाना चाहिए। लेकिन हमारी बात सुनने के बजाय उन्होंने हमसे मुँह फेर लिया। अब हम नतीजे देख सकते हैं। केवल बिहार के ही लोग नहीं, बल्कि जहाँ-जहाँ उपचुनाव हुए हैं, स्वाभाविक रूप से वहाँ के लोग कांग्रेस को एक प्रभावी विकल्प नहीं मानते।’
उन्होंने इसके आगे कहा,
“
‘कांग्रेस भी इन दिक्क़तों का हल जानती है, लेकिन वह इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। इसलिए ग्राफ़ नीचे गिरता जा रहा है। कांग्रेस को इसे स्वीकार करने की हिम्मत दिखानी चाहिए।’
कपिल सिब्बल, सांसद, कांग्रेस
बता दें कि बिहार में कांग्रेस पार्टी ने 70 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ा, सिर्फ़ 19 सीटें जीती थी। उपचुनावों में गुजरात, उत्तर प्रदेश में उसका खाता तक नहीं खुला है। मध्य प्रदेश में 28 सीटों पर हुए उपचुनाव में वह सिर्फ़ 9 सीटें जीती थीं।
सिब्बल पर पलटवार
राजस्थान के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने आगे बढ़ कर सिब्बल पर हमला बोला। उन्होंने कहा, ‘कपिल सिब्बल को पार्टी के आंतरिक मामलों पर मीडिया में बात करने की कोई ज़रूरत नहीं थी। इससे देश भर में पार्टी के कार्यकर्ताओं की भावनाएँ आहत हुई हैं।’
गहलोत ने कहा कि कांग्रेस ने अपने इतिहास में कई बार संकटों का सामना किया है, लेकिन हर बार और मजबूत होकर वापसी की। उन्होंने कहा कि ऐसा सिर्फ़ अपनी विचारधारा, कार्यक्रमों, नीतियों और पार्टी नेतृत्व में भरोसे के कारण ही संभव हो सका।
कांग्रेस के एक दूसरे वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने फ़ेसबुक पोस्ट में अंतिम मुग़ल शासक बहादुर शाह जफ़र को उद्धृत करते हुए कपिल सिब्बल पर तंज किया था।
खुर्शीद ने कहा था,
“
"आलोचना करने वालों को पहले अपने अंदर की कमियों को देखना चाहिए। सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता है।"
सलमान ख़ान, नेता, कांग्रेस
खुर्शीद ने पोस्ट में लिखा, "अगर मतदाताओं का मूड उन उदारवादी मूल्यों के ख़िलाफ़ है, जिन्हें हमने अपनाया है... हमें सत्ता में वापस आने के लिए शॉर्टकट संघर्षों को देखने के बजाय लंबे संघर्ष के लिए तैयार रहना चाहिए।" उन्होंने तो यहाँ तक लिखा कि "जिसको काम नहीं आता है वह अपने औजार को ही दोष देता है।" यानी 'नाच न जाने आँगन टेढ़ा'।
इन आलोचनाओं के बाद कांग्रेस की बैठक हुई, जिसमें राहुल गांधी ने कहा कि पार्टी जैसा कहेगी, वे करेंगे। उसी बैठक के बाद सोनिया गांधी ने पार्टी में आंतरिक चुनाव कराने की बात कही थी।
कपिल सिब्बल ने सोनिया के उस बयान से ही इस बार मुद्दा उठाया है। लोगों की निगाहें इस पर टिकी हैं कि कांग्रेस पार्टी आगे क्या करती है।