कपिल मिश्रा ने जैन पर लगाया था झूठा आरोप, मांगी माफ़ी
आम आदमी पार्टी से बीजेपी में जाने वाले कपिल मिश्रा को दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन पर लगाए गए झूठे आरोपों के चलते माफ़ी मांगनी पड़ी है। मिश्रा ने साल 2017 में आरोप लगाया था कि सत्येंद्र जैन ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनके घर जाकर नक़द दो करोड़ रुपये दिए थे और उन्होंने ऐसा होते हुए देखा था।
मिश्रा के मुताबिक़, उन्होंने केजरीवाल से पूछा था कि यह क्या मामला है लेकिन उन्होंने जवाब देने से मना कर दिया था और कहा कि राजनीति में कुछ बातें होती हैं, जो बाद में बताई जाएंगी।
मिश्रा ने तब दावा किया था कि जैन को कुछ दिनों में जेल जाना पड़ेगा। मिश्रा ने यह भी दावा किया था कि जैन ने केजरीवाल के एक रिश्तेदार की 50 करोड़ की ज़मीन की डील में समझौता कराया था।
मिश्रा के इस आरोप के बाद उस समय जोरदार हंगामा हुआ था और नई किस्म की राजनीति की बात करने वाले केजरीवाल को खासी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। हालांकि सत्येंद्र जैन, केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने मिश्रा के इन आरोपों को ग़लत बताया था।
इसके बाद 2017 में जैन की ओर से मिश्रा के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज कराया गया था। जैन ने कहा था कि मिश्रा के बेबुनियाद बयानों के कारण उनकी और केजरीवाल की छवि ख़राब हुई है।
बुधवार को कपिल मिश्रा के माफी मांगने के बाद इस मामले का निपटारा हो गया। मिश्रा ने अदालत को दिए माफीनामे में कहा है कि उन्होंने जो बयान दिया था, वह राजनीति से प्रेरित था और ग़लत था। उन्होंने माफ़ीनामे में यह भी लिखा है कि वह शिकायतकर्ता यानी सत्येंद्र जैन से बिना शर्त माफ़ी मांगते हैं और आगे इस तरह की ग़लती नहीं करेंगे।
मिश्रा के माफ़ी मांगने के बाद सत्येंद्र जैन ने ट्वीट कर कहा, ‘कपिल मिश्रा की उस झूठी कहानी को कई टीवी चैनलों और अखबारों ने काफी चलाया था। इससे मुझे और मेरे परिवार को काफी दुख हुआ था। मेरा उनसे निवेदन है कि मिश्रा की इस माफी को भी अपने चैनल और अखबार में तरजीह ज़रूर दें।’
कपिल मिश्रा ने अपना राजनीतिक करियर आम आदमी पार्टी से शुरू किया था और वह दिल्ली सरकार में मंत्री भी बने थे। लेकिन 2017 से वह केजरीवाल की आलोचना करने लगे और फ़रवरी, 2020 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हो गए।
मिश्रा को बीजेपी ने उत्तरी दिल्ली की मॉडल टाउन सीट से उम्मीदवार भी बनाया था लेकिन उन्हें करारी हार मिली थी। बीजेपी को भी विधानसभा चुनाव में मुंह की खानी पड़ी थी और उसे 70 सीटों में से सिर्फ़ 8 पर जीत नसीब हुई थी।