...तो कंगना पद्मश्री अवार्ड लौटा देंगी और माफी भी मांगेंगी!
'आज़ादी भीख में मिली' वाले बयान पर चौतरफ़ा विरोध झेल रहीं कंगना रनौत ने कहा है कि यदि उनके सवाल का जवाब मिल जाएगा तो वह पद्मश्री अवार्ड वापस कर देंगी और माफ़ी भी मांगेंगी। कंगना के बयान का विरोध करने वाले कई लोगों ने मांग की है कि पद्मश्री अवार्ड उनसे वापस लिया जाए।
पद्मश्री वापस लेने की मांग करने वालों में वरिष्ठ कांग्रेस नेता आनंद शर्मा, कांग्रेस के प्रवक्ता गौरव वल्लभ, एनसीपी नेता नवाब मलिक जैसे नेता शामिल हैं। मलिक ने तो यहाँ तक कह दिया है कि स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान करने के लिए कंगना को गिरफ़्तार किया जाए। इससे पहले बीजेपी नेता वरुण गांधी ने भी कंगना के लिए कड़ी टिप्पणी की थी। उन्होंने कंगना रनौत के बयान वाले वीडियो को साझा करते हुए लिखा था कि इसे 'पागलपन कहा जाए या फिर देशद्रोह'?
हाल ही पद्मश्री अवार्ड से नवाजी गईं कंगना रनौत के ताज़ा बयान को देश के ख़िलाफ़ बताया जा रहा है। उन्होंने यह बयान टाइम्स नाउ न्यूज़ चैनल के एक कार्यक्रम में दिया। उसमें कंगना ने कहा था, '...और उन्होंने एक क़ीमत चुकाई... बिल्कुल वो आज़ादी नहीं थी, वो भीख थी। और जो आज़ादी मिली है वो 2014 में मिली है।'
उनके इस बयान के जबरदस्त विरोध के बीच कंगना रनौत ने आज इंस्टाग्राम पर तसवीरों के रूप में लिखा हुआ अपना एक लंबा-चौड़ा बयान जारी किया है। उसमें उन्होंने कहा, 'उसी साक्षात्कार (टाइम्स नाउ के इंटरव्यू) में सब कुछ बहुत स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है- 1857 में आज़ादी की पहली सामूहिक लड़ाई... सुभाष चंद्र बोस, रानी लक्ष्मीबाई और वीर सावरकर जी जैसे महान लोगों के बलिदान के साथ। 1857 मुझे पता है लेकिन 1947 में कौन सा युद्ध हुआ था, मुझे पता नहीं है अगर कोई मुझे बता सकता है तो मैं अपना पद्मश्री वापस कर दूंगी और माफी भी मांगूंगी... कृपया इसमें मेरी मदद करें।'
उन्होंने आगे कहा कि 'यदि कोई भी टाइम्स नाउ के इंटरव्यू में यह साबित कर दे कि मैंने शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान किया तो मैं पद्मश्री वापस कर दूंगी...।'
बता दें कि टाइम्स नाउ ने इस विवाद से खुद को दूर कर लिया है। उसने शुक्रवार को ट्वीट किया है, 'कंगना रनौत सोच सकती हैं कि भारत को 2014 में स्वतंत्रता मिली थी, लेकिन इसका समर्थन किसी भी सच्चे भारतीय द्वारा नहीं किया जा सकता है। यह उन लाखों स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान है जिन्होंने अपने जीवन को त्याग दिया ताकि वर्तमान पीढ़ियाँ लोकतंत्र के नागरिक के तौर पर स्वतंत्र रूप से स्वाभिमान और गरिमा का जीवन जी सकें।'
#KanganaRanaut may think India got Independence in 2014 but this cannot be endorsed by any true Indian. This is an insult to millions of freedom fighters who gave up their lives so that present generations can live a life of self-respect & dignity as free citizens of a democracy. pic.twitter.com/o0EtH0hukU
— TIMES NOW (@TimesNow) November 12, 2021
उन्होंने इंस्टाग्राम पर जो सफ़ाई दी है उससे यह भी बतलाने की कोशिश की है कि उन्होंने कांग्रेस को 'भिखारी' कहा था। उन्होंने किताब के एक पन्ने पर चुनिंदा लोगों की राय का हवाला देते हुए यह साबित करने की कोशिश की है। समझा जाता है कि उन्होंने इतिहास की पाठ्यपुस्तक से कांग्रेस के बारे में कुछ चुनिंदा राय का हवाला दिया, लेकिन उन्होंने पाठ्यपुस्तक का नाम नहीं दिया है। किताब का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, 'रिकॉर्ड को दुरुस्त करें... कांग्रेस को भिखारी कहने वाली मैं अकेली नहीं हूं।'
कंगना ने यह भी दावा किया कि 'आईएनए द्वारा एक छोटी सी लड़ाई' से भी भारत को आज़ादी मिल जाती और सुभाष चंद्र बोस प्रधानमंत्री हो सकते थे। उन्होंने लिखा, 'जब दक्षिणपंथी लड़ने और आज़ादी लेने के लिए तैयार थे तो कांग्रेस के भीख के कटोरे में आज़ादी को क्यों रखा गया... क्या कोई मुझे समझने में मदद कर सकता है।'
इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताने की कोशिश की है कि स्वतंत्रता सेनानी रानी लक्ष्मी बाई की भूमिका निभाने के लिए उन्होंने 1857 के संघर्ष पर व्यापक शोध किया था।
उन्होंने सवाल किया है, '...राष्ट्रवाद का उदय हुआ तो दक्षिणपंथ का भी... लेकिन यह अचानक ख़त्म क्यों हुआ? और गांधी ने भगत सिंह को क्यों मरने दिया... नेता बोस को क्यों मारा गया और गांधी जी का समर्थन कभी नहीं मिला? विभाजन की रेखा एक गोरे आदमी द्वारा क्यों खींची गई थी...? आजादी का जश्न मनाने के बजाय भारतीयों ने एक-दूसरे को क्यों मारा? कुछ जवाब जो मैं मांग रही हूं, कृपया मुझे जवाब खोजने में मदद करें।'
उन्होंने यह भी समझाने की कोशिश की कि '2014 में स्वतंत्रता मिलने' के उनके बयान का क्या मतलब था। उन्होंने कहा, 'जहाँ तक 2014 में आजादी का सवाल है, मैंने विशेष रूप से कहा था कि भौतिक आजादी हमारे पास हो सकती है कि होगी लेकिन भारत की चेतना और विवेक 2014 में मुक्त हुआ...। एक मृत सभ्यता जीवित हो गई और अपने पंख फड़फड़ाने लगी और अब दहाड़ रही है और ऊँची उड़ान भर रही है...।'