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कंगना रनौत की 'इमरजेंसी' के खिलाफ सिर्फ एसजीपीसी ही नहीं, भाजपा में भी विरोध

कंगना रनौत की 'इमरजेंसी' के खिलाफ सिर्फ एसजीपीसी ही नहीं, भाजपा में भी विरोध

भाजपा सांसद कंगना रनौत की फिल्म इमरजेंसी रिलीज होने से पहले ही विवादों में घिर गई है। सवाल पूछा जा रहा है कि इमरजेंसी फिल्म में सिखों का मुद्दा इतना क्यों उछाला गया, जबकि उस समय तो इमरजेंसी लगी भी नहीं हुई थी। कंगना इस समय अपने बेसिरपैर के बयानों की वजह से वैसे ही चर्चा में हैं। कभी वो जाति जनगणना का समर्थन करने लगती हैं तो कभी विरोध। इसी तरह किसान आंदोलन पर वो उल्टासीधा बोलती रहती हैं।

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने भाजपा सांसद और एक्ट्रेस कंगना रनौत की आने वाली फिल्म इमरजेंसी के निर्माताओं को सिखों के इतिहास को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाते हुए कानूनी नोटिस भेजा है। उन्होंने कुछ आपत्तिजनक दृश्यों को हटाने की मांग की है, जिससे उनके अनुसार सिख भावनाओं को ठेस पहुंची है।

फिल्म इमरजेंसी 6 सितंबर को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है। यह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जीवन पर आधारित है। इसका लेखन, निर्देशन और निर्माण रानौत द्वारा किया गया है, जो हिमाचल प्रदेश के मंडी से भाजपा सांसद हैं।

ट्रेलर में सिख समुदाय के लोगों को हिंदू समुदाय के लोगों पर अंधाधुंध फायरिंग करते हुए दिखाया गया है। जरनैल सिंह भिंडरावाले को संजय गांधी के साथ सौदा करते हुए कांग्रेस पार्टी के नेताओं को खालिस्तान के बदले वोट सुरक्षित करने का वादा करते हुए दिखाया गया है। आपातकाल जो 1975 और 1977 के बीच 21 महीने तक रहा, सवाल यह उठ रहा है कि ट्रेलर और फिल्म में सिख मुद्दे को उछालने का विकल्प क्यों चुना गया, जिसका इमरजेंसी से कोई संबंध नहीं है।

एसजीपीसी की याचिका में आरोप लगाया गया है कि ट्रेलर में ऐसे दृश्य बिना किसी ऐतिहासिक आधार के हैं और सिख समुदाय और उसके धार्मिक प्रतीकों, महापुरुषों को बदनाम करने के लिए बस एक "नौटंकी" हैं। इसमें कहा गया है कि ट्रेलर सिखों के चरित्र को "जानबूझकर गलत तरीके से प्रस्तुत करता है" और एक "सिख विरोधी कहानी" बताता है।

बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव मनजिंदर सिंह सिरसा और शिरोमणि अकाली दल के नेता नरेश गुजराल ने भी फिल्म के खिलाफ आवाज उठाई है। गुजराल ने कहा, "किसी भी पार्टी से जुड़े किसी भी फिल्म निर्माता के पास इतिहास को विकृत करने और एक बहादुर समुदाय, जिसने हमेशा देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है, को राष्ट्र-विरोधी के रूप में चित्रित करने का लाइसेंस नहीं होना चाहिए। यह फिल्म निर्माता (कंगना रनौत) लगातार सिख समुदाय और शांतिपूर्ण किसान विरोध में उनकी भूमिका पर हमला कर रही है, जिसमें 700 से अधिक किसानों की जान चली गई।”


गुजराल ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) से देश के सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने वाली ऐसी फिल्मों को हरी झंडी देते समय अधिक संवेदनशील होने का आग्रह किया।

भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने सिख इतिहास को गलत तरीके से चित्रित करने और उसे खराब रोशनी में दिखाने वाले दृश्यों को हटाने के लिए कहा है। उनके मुताबिक, किसी भी फिल्म में किसी खास समुदाय को गलत तरीके से पेश नहीं किया जाना चाहिए। बीजेपी नेता ने यह भी कहा कि ऐसे मामले पार्टी की छवि पर सवाल खड़े करते हैं।

सिरसा ने कहा कि “लोग सोचते हैं कि पूरी पार्टी की भावना एक जैसी है, जो कि सच नहीं है। पार्टी आलाकमान को (फिल्म के संदर्भ में) सूचित करने की जरूरत है, वह पहले ही किया जा चुका है।''

एसजीपीसी द्वारा भेजे गए नोटिस में, रानौत सहित फिल्म के निर्माताओं को 14 अगस्त को जारी ट्रेलर को सार्वजनिक और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से हटाने और समुदाय से माफी मांगने के लिए कहा गया है। हालांकि ट्रेलर अभी तक यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों से हटा नहीं है। इस बीच कंगना रनौत के विवादास्पद बयान जारी हैं। वो ऐसे बचकाने बयान दे रही हैं, जिससे लगता है कि उन्हें राजनीति के बारे में भी ठीक से पता नहीं है। लेकिन किसानों के खिलाफ दिया गया उनका बयान ज्यादा विवादित है। कंगना ने कहा था कि किसान आंदोलन के दौरान बलात्कार हो रहे थे और लाशें पेड़ों पर टंगी रहती थीं। उन्होंने पंजाब के सिखों को भी बदनाम करने की कोशिश की और कहा था कि किसान आंदोलन दरअसल खालिस्तान आंदोलन था।

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