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कंगना के मुंबई को पीओके कहने पर चुप क्यों है ‘राष्ट्रवादी’ बीजेपी?

कंगना के मुंबई को पीओके कहने पर चुप क्यों है ‘राष्ट्रवादी’ बीजेपी?

लोकसभा चुनाव से लेकर तमाम राज्यों के विधानसभा चुनावों में पाकिस्तान विरोध को भुना चुकी बीजेपी फ़िल्म अभिनेत्री कंगना रनौत के मुंबई को पीओके कहने पर खामोश क्यों बैठी हुई है।

लोकसभा चुनाव से लेकर तमाम राज्यों के विधानसभा चुनावों में पाकिस्तान विरोध को भुना चुकी बीजेपी फ़िल्म अभिनेत्री कंगना रनौत के मुंबई को पीओके और महाराष्ट्र को पाकिस्तान कहने पर खामोश क्यों बैठी हुई है। राष्ट्रवाद को अपनी राजनीति का आधार बताने वाली बीजेपी के नेता दिन-रात पाकिस्तान को आतंकवादी देश बताते हैं लेकिन जब भारत के एक राज्य की तुलना इस दहशतगर्द मुल्क़ से की जा रही है तो वे चुप क्यों हैं। 

कुछ दिन पहले ही कंगना ने ट्वीट कर मुंबई को पीओके और महाराष्ट्र को पाकिस्तान कहा था। बीजेपी के नेताओं को अब अपमान क्यों नहीं महसूस होता कि हिन्दुस्तान के एक राज्य को पाकिस्तान बताया जा रहा है। लोग सवाल पूछ रहे हैं कि अब बीजेपी का राष्ट्रवाद कहां चला गया। 

मुंबई को पीओके और महाराष्ट्र को पाकिस्तान कहने की जुर्रत किसी कांग्रेसी नेता या मुसलिम शख़्स ने की होती तो बीजेपी आने वाले 100 साल तक उनके बयान के कैसेट गली-गली में बजवाती। लेकिन ऐसे बयान देने वाली कंगना के समर्थन में वह खुलकर खड़ी है।

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी इस मामले में केंद्र सरकार को रिपोर्ट सौंपने वाले हैं और कंगना ख़ुद जाकर उनसे मुलाक़ात भी कर चुकी हैं। केंद्र की सरकार उन्हें वाई श्रेणी की सुरक्षा मुहैया करा चुकी है और उनके गृह राज्य हिमाचल की सरकार दिन-रात उनकी हिफाजत में जुटी है।

कंगना के समर्थन में न सिर्फ़ राज्यपाल कोश्यारी बल्कि केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले भी उतरे और उन्होंने कंगना के ऑफ़िस को तोड़े जाने का हर्जाना देने को कहा। 

बहरहाल, शिव सेना सांसद संजय राउत के साथ ट्विटर पर चली जुबानी जंग को लेकर विवादों में रहीं कंगना ने सोमवार को मुंबई छोड़ दिया और वह अपने गृह राज्य हिमाचल चली गईं। कंगना ने ट्विटर पर लिखा- भारी दिल के साथ मैं मुंबई छोड़ रही हूं। कंगना ने उन पर किए गए जुबानी हमलों से लेकर, ऑफ़िस तोड़े जाने का जिक्र करते हुए कहा कि उनका मुंबई की पीओके से तुलना करना सही था। 

फिर कहा सोनिया सेना

कंगना ने शिवसेना पर हमला बोलते हुए उसे एक बार फिर सोनिया सेना कहा और आरोप लगाया कि मुंबई में आतंकी प्रशासन का बोलबाला है। कंगना ने कहा कि सोनिया सेना ने मुंबई में आज़ाद कश्मीर के नारे लगवाए। फ़िल्म अभिनेत्री ने दक्षिणपंथ की भाषा बोलते हुए कहा कि मुझे अपनी आवाज़ दो, नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब आज़ादी की क़ीमत सिर्फ़ और सिर्फ़ ख़ून होगी।

विरोध की हिम्मत नहीं

सवाल फिर वहीं का वहीं है और बीजेपी का कोई नेता इस पर जवाब देने के लिए तैयार नहीं है कि कंगना के मुंबई को पीओके और महाराष्ट्र को पाकिस्तान कहने पर पार्टी का क्या स्टैंड है। हालांकि बुरी तरह घिरने पर महाराष्ट्र बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष आशीष शेलार ने कहा था कि बीजेपी कंगना के बयान से सहमत नहीं है लेकिन कंगना के बयान का विरोध या इसकी निंदा करने की हिम्मत वह नहीं जुटा सके। 

देखिए, इस विषय पर वरिष्ठ पत्रकारों की चर्चा। 

शिव सेना का साफ कहना है कि क्या मुम्बा देवी बीजेपी के नेताओं की मां नहीं है। शिव सेना ने महाराष्ट्र के बीजेपी नेताओं से पूछा है कि क्या कोई अपनी मां का अपमान बर्दाश्त कर सकता है। लेकिन बीजेपी के नेताओं की हिम्मत नहीं हुई कि वे कंगना के मुंबई और महाराष्ट्र को अपमानित करने वाले इस बयान पर चूं भी कर दें। 

मुंह सिले रहे बीजेपी नेता

इसके उलट कई नेता कंगना के समर्थन में खुलकर खड़े हो गए। उन्होंने कंगना के ऑफ़िस पर बीएमसी की कार्रवाई की तो निंदा की लेकिन कंगना के मुंबई और महाराष्ट्र को लेकर दिए गए बयान पर वे न तब कुछ बोले और अब तक मुंह सिले हुए हैं। कंगना का खुलकर समर्थन करने वालों में दिल्ली से बीजेपी सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा, झारखंड से सरयू राय, महाराष्ट्र बीजेपी के विधायक राम कदम आदि हैं। 

राजनीतिक लिहाज से देखें तो शिव सेना इस विवाद से थोड़ा फायदे में दिखती है क्योंकि वह कह रही है कि मुंबई तो बीजेपी वालों की भी है और जब कोई मुंबई का अपमान कर रहा है तो बीजेपी नेता क्यों नहीं बोलते। लेकिन बीजेपी के नेताओं को पता है कि गृह मंत्रालय से वाई श्रेणी की सुरक्षा लेने वाली कंगना के ख़िलाफ़ वे बोलेंगे तो पार्टी कार्रवाई कर सकती है, इसलिए वे चुप हैं। 

खोखला राष्ट्रवाद

लेकिन इतना तय है कि बीजेपी नेताओं की चुप्पी से यह साबित हो गया है कि उनका राष्ट्रवाद बेहद खोखला है, वरना पाकिस्तान से महाराष्ट्र की तुलना पर क्या उनका खून नहीं खौलता। इसलिए, कहा जा सकता है कि बीजेपी राष्ट्रवाद और पाकिस्तान विरोध के नाम पर वोटों की फसल काटना चाहती है और भारत के किसी राज्य को पाकिस्तान कहने से उसे तिल भर का भी फर्क नहीं पड़ता। 

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