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कश्मीर और सीएए पर भारत सरकार की नीतियों की आलोचक रही हैं कमला हैरिस

कश्मीर और सीएए पर भारत सरकार की नीतियों की आलोचक रही हैं कमला हैरिस

अमेरिकी चुनाव में उप राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार और भारतीय मूल की डेमोक्रेट नेता कमला हैरिस कश्मीर के विशष दर्जा, सीएए और एनआरसी पर भारत सरकार की नीतियों की मुखर आलोचक रही हैं। 

भारतीय मूल की कमला देवी हैरिस के डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से उप राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनते ही भारत में खुशी की लहर दौड़ गई। पर उनके बारे में थोड़ी सी पड़ताल करने से यह बात साफ़ हो जाती है कि वे मौजूदा भारत सरकार यानी नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों की प्रखर आलोचक रही हैं। 

वामपंथी कमला हैरिस

कमला हैरिस इतनी उदारवादी हैं कि उन्हें डेमोक्रेटिक पार्टी के अंदर समाजवादी खेमे का प्रतिनिधि माना जाता है। उनके नाम का एलान होते ही रिपब्लिकन पार्टी की नेता लिज़ चेनी ने ट्वीट कर लोगों को चेतावनी दी यदि कमला उप राष्ट्रपति बन गईं तो जो बाइडन को वामपंथी खेमे में घसीट ले जाएंगी और उनके प्रशासन का स्वरूप वामपंथी हो जाएगा। 

कमला हैरिस का यह उदारवादी, वामपंथी, समग्रग्राही स्वरूप भारत के मौजूदा सत्तारूढ़ दल के दक्षिणपंथी चरित्र से बिल्कुल मेल नहीं खाता है। कमला हैरिस अमेरिकी समाज के अल्पसंख्यकों मसलन, अश्वेत, लातिन अमेरिकी, हिस्पानिक, एशियाई लोगों के साथ खड़ी रही हैं।

कैलिफ़ोर्निया के अटॉर्नी जनरल के रूप में उनका पूरा कामकाज ही अश्वेत व हिस्पानी मूल के लोगों के अधिकारों की रक्षा करना रहा है। 

यह स्वाभाविक है मौजूदा भारत सरकार की नीतियाँ कमला हैरिस के विचारों से मेल नहीं खाती हैं। इसे कुछ उदाहरणों से समझा जा सकता है।

कश्मीर

सबसे बड़ा और जीता जागता मामला जम्मू-कश्मीर का है। अनुच्छेद 370 में संशोधन कर और अनुच्छेद 35 ए को ख़त्म कर नरेंद्र मोदी सरकार ने जिस तरह इस राज्य का विशेष दर्जा ख़त्म किया और उसके बाद जिस तरह पूरे कश्मीर में लॉकडाउन लगाया, उसका विरोध भारत ही नहीं विदेशों में भी हुआ। 

कश्मीर में लॉकडाउन और उसके ज़रिए लोगों के मानवाधिकारों और लोकतांत्रिक अधिकारों का जिस तरह हनन हुआ, कमला हैरिस ने उसका तीखा विरोध किया था। उस समय उनके नाम की घोषणा नहीं हुई थी, वह अटॉर्नी जनरल भी नहीं थीं, पर वह सीनेटर थीं जो आज भी हैं। 

भारत को कमला की चेतावनी

उस दौरान कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन के मुद्दे पर एक सवाल के जवाब में कमला हैरिस ने एक तरह से भारत सरकार को चेतावनी दे दी,हम कह सकते हैं, धमकी दे डाली। उन्होंने कहा,

‘हम कश्मीरियों को यह याद दिला दें कि वे दुनिया में अकेले नहीं हैं। हम स्थिति पर लगातार नज़र रखे हुए हैं। यदि ज़रूरत हुई तो हम हस्तक्षेप कर सकते हैं।’


कमला देवी हैरिस, उप राष्ट्रपति पद की डेमोक्रेट उम्मीदवार, अमेरिका

उन्होंने यह नहीं कहा कि इस हस्तक्षेप का स्वरूप क्या होगा, पर यह तो साफ है कि कमला हैरिस मोदी सरकार को चेतावनी दे रही थीं। 

बीजेपी-डेमोक्रेट्स टकराव

दक्षिणपंथी, अनुदार, भारत पर तरह तरह के प्रतिबंध लगाने वाले डोनल्ड ट्रंप के लिए भारतीय प्रधानमंत्री भले ही खुले आम ‘अबकी बार, ट्रंप सरकार’ का नारा लगा दें, वह डेमोक्रेटिक पार्टी के लोगों को नापसंद करते हैं। मोदी सरकार और इसकी वजह उनकी नीतियों से डेमोक्रेट्स नीतियों का टकराव है। 

इसे भारतीय मूल की एक और अमेरिकी सीनेटर प्रमिला जयपाल के साथ भारत के संबंधों से समझा जा सकता है। संयोग से प्रमिला जयपाल भी डेमोक्रेट हैं। 

हाउस ऑफ़ रिप्रेज़ेन्टेटिव्स के लिए चुनी गई इस पहली भारतीय मूल की अमेरिकी महिला ने अमेरिकी संसद के इस निचले सदन में कश्मीर पर एक प्रस्ताव रखा था। इस प्रस्ताव में कश्मीर में लगाए गए लॉकडाउन का विरोध किया गया था और भारत सरकार से आग्रह किया गया था कि इसे जल्द से जल्द हटा लिया जाए। 

भारतीय विदेश मंत्री का विरोध

भारत के विदेमंत्री एस. जयशंकर ने इस प्रस्ताव की तीखी आलोचना करते हुए कहा था कि यदि उनसे मिलने गए प्रतिनिधिमंडल में जयपाल शामिल हुईं तो वह इस प्रतिनिधिमंडल से मुलाक़ात नहीं करेंगे। मुलाक़ात का वह कार्यक्रम रद्द कर देना पड़ा। 

लेकिन कमला हैरिस ने इस पर जयपाल का खुल कर समर्थन किया था। उन्होंने ट्वीट कर कहा था,

‘किसी भी विदेशी सरकार के लिए यह कहना ग़लत है कि कैपिटॉल हिल पर होने वाली बैठकों में कौन भाग लेगा।’


कमला देवी हैरिस, उप राष्ट्रपति पद की डेमोक्रेट उम्मीदवार, अमेरिका

कैपिटॉल हिल यानी वह जगह जहाँ अमेरिकी सत्ता प्रतिष्ठान के मुख्य स्तंभ अमेरिकी कांग्रेस और राष्ट्रपति भवन वगैरह स्थित हैं। 

यानी कमला हैरिस ने भारतीय विदेश मंत्री का विरोध किया था।

जो बाइडन

लेकिन कश्मीर पर रुख सिर्फ कमला हैरिस का ही नहीं है, राष्ट्रपति के डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडन का भी यही रुख है। यह उनके उम्मीदवार बनने के बाद जारी पॉलिसी स्टेटमेंट से साफ़ है।   इसमें कश्मीर की स्थिति की चर्चा करते हुए कहा गया है,

‘भारत सरकार को कश्मीर के लोगों के अधिकार को बहाल करने के लिए ज़रूरी कदम उठाना चाहिए। असहमति को दबाने, शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन को रोकने और इंटरनेट को धीमा करने या उस पर प्रतिबंध लगाने से लोकतंत्र कमज़ोर होता है।’


जो बाइडन के पॉलिसी स्टेटमेंट का अंश

सीएए

इसी तरह समान नागरिकता क़ानून और नैशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजन्स पर भी डेमोक्रेटिक पार्टी, जो बाइडन और कमला हैरिस के विचार भारत सरकार की नीतियों से एकदम उलट है।

समान नागरिकता क़ानून का विरोध अमेरिका में हुआ था और भारतीय मूल के नेताओं ने भी उसका विरोध किया था। इसमें रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स दोनों ही थे।

भारतीय मूल के राजा कृष्णमूर्ति, प्रमिला जयपाल, कमला हैरिस, अमी बेरा और रो खन्ना ने इसका विरोध किया था। 

जो बाइडन ने अपने पॉलिसी स्टेटमेंट में इसका ज़िक्र ही नहीं किया था, इस पूरी नीति के ख़िलाफ़ अपनी राय रखी थी और भारत सरकार की आलोचना की थी। जो बाइडन के इस एजेंडे में समान नागरिकता क़ानून और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के बारे में कहा गया है,

‘भारत सरकार ने असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़न्स को लागू करने और देश में नागरिकता संशोधन क़ानून को पारित करने के लिए भारत सरकार ने जो कुछ किया, उससे जो बाइडन निराश हैं।


जो बाइडन के पॉलिसी स्टेटमेंट का अंश

इसके आगे कहा गया है कि ‘ये (सीएए और एनआरसी) भारत की धर्मनिरपेक्षता, बहु-नस्लीय और बहु-धार्मिक परंपराओं से मेल नहीं खाते हैं।’

मुसलमानों पर राय!

जो बाइडन के प्रचार के लिए बनी जो बाइडन.कॉम पर ‘मुसलिम अमेरिकी समुदाय के लिए जो बाइडन का अजेंडा’ पोस्ट किया गया है। इसमें मुसलमानों के बारे में जो बाइडन के विचार और उनकी नीतियों का उल्लेख किया गया है। 

 - Satya Hindi

विरोध भारत का या बीजेपी का

यह भी सच है कि जो बाइडन और कमला हैरिस के ये विचार भारत-विरोधी नहीं हैं, बल्कि भारत के सत्तारूढ़ दल के ख़िलाफ़ हैं। इन मुद्दों पर इसी तरह के विचार करोड़ों भारतीयों के हैं, कई राजनीतिक दलों के हैं, हज़ारों ग़ैर-सरकारी संगठन और सिविल सोसाइटी के दूसरे लोगों के हैं। 

सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर भारत में जो लंबा विरोध प्रदर्शन हुआ, वे भारतीयों ने ही किए हैं। 

कमला हैरिस के विचार किसी भी सामान्य उदारवादी के विचार हैं, इसलिए यह कहना सही नहीं है कि उनके उप राष्ट्रपति और जो बाइडन के राष्ट्रपति बनने से अमेरिका के साथ भारत के रिश्ते खराब होंगे।

लेकिन यह सच ज़रूर है कि कमाल हैरिस के भारतीय मूल के होने का यह मतलब कतई नहीं है कि वह भारत के हर सही-गलत विचार का समर्थन करेंगी।

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