राम मंदिर की नींव की पहली ईंट रखने वाले कामेश्वर चौपाल दलित समुदाय से हैं। वह फ़िलहाल श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं। वह मंदिर निर्माण को सामाजिक समरसता की मिसाल मानते हैं। मंदिर के पवित्र कार्यों में प्रमुखता से भागीदारी दिए जाने पर वह बेहद खुश हैं। कामेश्वर चौपाल से हमने यूपी में शूद्रों को मुद्दा बनाकर चल रही राजनीति पर बात की।
सवाल -क्या कहेंगे आप यूपी की शूद्रों पर चल रही राजनीति पर?
कामेश्वर चौपाल- राम चरित मानस जैसे पवित्र ग्रंथ को जलाने व प्रतिबंधित करने के कृत्य को लेकर संतों का विरोध हो रहा है। जाहिर है जो समाज राम चरित मानस को पूजता है, राम चरित मानस पर पाठ करता है। बिना इसके गूढ़ तत्व को समझे इस पर राजनीतिक टिप्पणी संवेदनशील मुद्दे को विस्फोटक बनाना है। आम जन का इस पर विरोध से बीजेपी को ही लाभ मिलेगा।
सवाल- आप तो दलित समुदाय के हैं, राम मंदिर निर्माण में आपको कितना महत्व मिल रहा है?
कामेश्वर चौपाल- राम मंदिर निर्माण में समरसता को देखा जा सकता है। शूद्रों पर राजनीति करने वाले इससे सीख ले सकते हैं। नेपाल से शालिग्राम की पवित्र देवशिला लाने की जिम्मेदारी मुझे सौंपी गई। इससे रामलीला के विग्रह का निर्माण होना है। राम जन्मभूमि मंदिर की नींव की पहली ईंट 9 नवंबर 1989 को मैंने रखी थी।
सवाल -कैसा अनुभव रहा जब आप को राम मंदिर की पहली नींव रखने का दायित्व सौंपा गया था?
कामेश्वर चौपाल- 1989 में मुझे खुद नहीं पता था कि मुझे मंदिर की पहली ईंट रखने की जिम्मेदारी दी जाएगी। पर मंदिर निर्माण आंदोलन के नायक अशोक सिंघल ने मीटिंग में अचानक संतों से मेरा परिचय दलित स्वयं सेवक के तौर पर करवाया और उसके बाद ऐलान कर दिया कि मुझे ही पहली ईंट रखने का कार्य करना है।
सवाल - वोट बैंक जातीय राजनीति में धार्मिक विद्वेष को कैसे देखते हैं?
कामेश्वर चौपाल- हिंदू समाज में सभी एक हैं। भगवान ब्रम्हा जी ने जब शृष्टि की रचना की तो जातियों में लोगों नहीं बांटा। फिर वोट के लिए समाज को बाँटने को हर व्यक्ति को निंदा करी चाहिए।
सवाल- आप को ही शालिग्राम शिलाओं को लाने के लिए नेपाल भेजा गया। इस पर क्या कहेंगे?
कामेश्वर चौपाल- मैं अपने को सौभाग्यशाली मानता हूँ कि राम लला के विग्रह निर्माण के लिए पवित्र शालिग्राम शिला को नेपाल से अयोध्या लाने की जिम्मेदारी भी मुझे सौंपी गई। आज वोट बैंक की राजनीति के चलते शूद्र व दलित की राजनीति की जा रही है। समाज को बाँटने वाले इस प्रयास की हम कटु शब्दों में निंदा करते हैं।
सवाल -आखिर राजनीति जातीय विभाजन पर क्यों केंद्रित होती जा रही है? बीजेपी भी तो हिंदुत्व को उभार कर राजनीति कर रही है? शिला यात्रा को धार्मिक यात्रा में बदलना इसका ज्वलंत उदाहरण है।
कामेश्वर चौपाल- ऐसा नहीं है। शिलाओं को नेपाल से अयोध्या लाने की सामान्य व्यवस्था की गई थी। लेकिन लोगों में आस्था का ऐसा सैलाब नेपाल से ही पैदा हो गया कि अयोध्या तक लाखों की भीड़ इसके दर्शन के लिए उमड़ पड़ी।
सवाल- शूद्रों पर राजनीति को लेकर समरसता को लेकर क्या संदेश देना चाहते हैं?
कामेश्वर चौपाल- मधुमक्खी व मक्खी के स्वभाव में जो अंतर होता है। वही भले लोगों व ऐसी सोच वाले लोगों के बीच है। मक्खी गंदगी पसंद करती है और मल मूत्र पर बैठती है। जबकि मधुमक्खी फूलों से रस निकाल कर मीठा शहद देती है। ऐसी विचारधारा के लोग मक्खी की प्रवृत्ति के हैं। जिनको बुराई और गंदगी ही सब जगह दिखती। शरीर से कोई शूद्र नहीं होता। उसका कर्म उसे शूद्र बना देता है। रावण ब्राम्हण कुल का प्रकांड पंडित था। लेकिन उसके बुरे कर्म ने समाज को सताने व उत्पीड़ित करने का काम किया। राम मंदिर के निर्माण में शूद्र व दलित का भेद नहीं। अच्छे कर्म वालों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है।