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कमलनाथ के शपथग्रहण में सभी बड़े विपक्षी नेता आमंत्रित

कमलनाथ के शपथग्रहण में सभी बड़े विपक्षी नेता आमंत्रित

कमलनाथ के शपथग्रहण समारोह को महागठबंधन दलों के शक्ति प्रदर्शन का बड़ा शो बनाने के लिए सभी बड़े विपक्षी नेताओं को बुलाया गया है। लेकिन तय नहीं है कि कितने आएँगे।

मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री कमलनाथ एक तीर से दो शिकार करने की तैयारी में हैं। राज्य के 18वें मुख्यमंत्री के रूप में वे 17 दिसंबर को शपथ लेने जा रहे हैं। शपथ ग्रहण समारोह वाले दिन ही नाथ और उनके रणनीतिकारों ने  भोपाल में मोदीविरोधी महागठबंधन वाले दलों का ‘मेगा शो’ भी आयोजित कर दिया है।

सत्ता के सेमीफाइनल में भाजपा शासित तीन हिन्दी राज्यों में शानदार जीत दर्ज़ करने के बाद कांग्रेस की निगाह अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव पर है। महागठबंधन आकार ले चुका है। इसके मुखिया को लेकर अलबत्ता अभी खींचतान बनी हुई है। पिछले दिनों महागठबंधन वाले दलों का एक शो दिल्ली में हुआ था। उस शो में महागठबंधन के बेहद अहम किरदारों में शुमार बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत कुछ खास चेहरों की अनुपस्थिति पर भाजपा और केंद्र की सरकार में उसका साथ निभा रहे दलों ने जमकर चुटकियाँ ली थीं।

कमलनाथ - दिग्विजय की जोड़ी जुटी

प्रबंधन के कुशल खिलाड़ी, राज्य के नए मुख्यमंत्री कमलनाथ और पुराने सीएम दिग्विजय सिंह की जोड़ी ने भोपाल में दिल्ली से बड़े शो का ताना-बाना बुन दिया है। कितनी सफलता मिल पाती है, यह तो सोमवार को ही साफ़ हो पाएगा। बहरहाल, शपथग्रहण समारोह के लिए महागठबंधन वाले दलों के नेताओं को न्यौता भेजने का काम शुरू हो गया है। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सूत्रों के अनुसार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत आधा दर्जन मुख्यमंत्रियों से कमलनाथ की बात हुई है। कमलनाथ ने सभी को शपथग्रहण समारोह में आने का आमंत्रण दिया है। नाथ ने बसपा सुप्रीमो मायावती, सपा के पूर्व चीफ़ मुलायम सिंह यादव, मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, लालू प्रसाद यादव के बेटे व बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव समेत अनेक उन नेताओं से बात की है जो महागठबंधन का हिस्सा हैं तथा होने के लिए बेकरार हैं।

कई दलों के नेताओं से दिग्विजय सिंह ने भी बात की है। शपथग्रहण और नई सरकार के गठन से जुड़े बेहद व्यस्त कार्यक्रमों के बीच सिंह शुक्रवार को मुंबई उड़ गए थे। दौरा निजी बताया गया है। मगर दिग्विजय के कदमों की ‘आहट’ को ‘मेगा शो’ से जुड़े बिना-प्रेक्षकों का दिल नहीं मान रहा है। मुंबई रवाना होने के पहले जब दिग्विजय सिंह से भोपाल में कुछ संवाददाताओं ने शपथग्रहण समारोह को महागठबंधन दलों के शक्ति प्रदर्शन का बड़ा शो बनाने संबंधी सवाल किया तो उन्होंने संक्षिप्त प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘इसमें क्या बुराई है।’

पाँच राज्यों के विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस द्वारा सत्ता हासिल कर लिए जाने के बाद बेशक पार्टी की ताक़त और रुतबे में इज़ाफ़ा हुआ है। तमाम मसलों के अलावा रफ़ाल हवाई सौदे को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी जिस तरह से मोदी सरकार को लेकर मुखर बने हुए हैं, उसने भी कई समीकरण बदले हैं। बन रहे माहौल को कांग्रेस और ज़्यादा अपने पक्ष में करने का सुअवसर भुनाने की पूरी तैयारी में हैं।

 - Satya Hindi

शुक्रवार सुबह राज्यपाल को सरकार बनाने का दावा पेश किए जाने के बाद कमलनाथ ने सवालों के जवाब में कहा, ‘शपथग्रहण के लिए पार्टी अध्यक्ष राहुल जी को भी आमंत्रण भेजा गया है।’ नाथ ने शपथ विधि समारोह में पार्टी अध्यक्ष के शामिल होने की संभावनाएं भी जताईं। चूंकि उस वक्त तक मेगा शो की तैयारियों की भनक मीडिया को नहीं लगी थी, लिहाज़ा उनसे मेगा शो के बारे में सवाल नहीं हो सका। नाथ और उनके खास रणनीतिकार दिन भर और देर शाम तक नई सरकार की तैयारियों में व्यस्त रहे।

संभावना बन रही है कि नाथ के साथ दो दर्जन के लगभग मंत्रियों को शपथ दिला दी जाए। हालाँकि कमलनाथ ने इस बारे में अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। उन्होंने कहा है अभी तो उन्हीं के शपथ लेने की संभावनाएँ ज्यादा हैं। साथी शपथ लेंगे? इसे लेकर कमलनाथ ने तो ना तो खुलकर न कहा और ना ही हाँ।

अजय सिंह बन सकते हैं मंत्री

सीधी जिले की अपनी पारंपरिक सीट चुरहट में 6 हजार से अधिक वोटों से हार जाने वाले मध्य प्रदेश विधानसभा के निवर्तमान नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह की लॉटरी खुलने के आसार प्रबल हैं। सूत्र कह रहे हैं कि कमलनाथ उन्हें अपनी सरकार में शामिल कर सकते हैं। दरअसल पिछले दस सालों में अजय सिंह ने शिवराज सरकार के खिलाफ जमकर लड़ाई लड़ी है। तेरहवीं विधानसभा में जमुना देवी के निधन के बाद पार्टी ने उन्हें लीडर आॅफ अपोजिशन बनाया था। इस पद का उन्होंने बख़ूबी निर्वहन किया था।

हालाँकि 14वीं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद को लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा के संग हुई जोर आज़माइश के चक्कर में दोनों ही इस पद पर नहीं पहुँच सके थे और सिंधिया समर्थक सत्यदेव कटारे को नेता प्रतिपक्ष बना दिया गया था। उनका निधन हो जाने पर पार्टी आला कमान ने एक बार पुन: अजय सिंह पर भरोसा जताते हुए उन्हें यह पद दिया था। दूसरे कार्यकाल में भी सिंह की धार कम नहीं हुई थी।

पार्टी के रणनीतिकार मान रहे हैं कि अजय सिंह से बेहद परेशान रहे शिवराज और उनकी चौकड़ी ने धनबल और साम-दाम, दंड-भेद कर अजय सिंह को हरवा दिया। उनके समर्पण भाव और सहानुभूति की वजह से पार्टी उन्हें ‘पुरस्कृत’ करने के मूड में है। दिग्विजय सिंह के अनुज लक्ष्मण सिंह समेत कई नेताओं ने अजय सिंह के लिए अपनी सीट ख़ाली करने का प्रस्ताव भी रखा हुआ है। ख़बर यह भी है कि अरुण यादव को भी बुधनी से शिवराज के खिलाफ चुनाव लड़ने का ‘इनाम’ देने का मन पार्टी बनाए बैठी है।

शिवराज के लकी ग्राउंड पर शपथ

कमलनाथ सरकार की शपथ अब भोपाल के उस जंबूरी मैदान पर होगी, जिसे तत्कालीन भाजपा सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान और भाजपा बेहद भाग्यशाली मानती रही। नाथ पहले लाल परेड मैदान पर शपथ लेने वाले थे। उनकी मंशा के बाद शुक्रवार सुबह इसी स्थल पर तैयारियाँ शुरू हुई थीं। शाम को शपथ स्थल बदलकर जंबूरी हो गया। शिवराज सिंह ने अपने तीनों मुख्यमंत्रित्वकाल में अनेक बड़े जलसे जंबूरी मैदान पर किए।

नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री की हैसियत से दो बार और पार्टी के कर्णधार के रूप में पिछले लोकसभा चुनाव के पहले इस मैदान पर शिवराज सरकार और चुनाव आगाज से जुड़े पार्टी के कार्यक्रमों में दो बार आए। शिवराज ने साल 2008 और साल 2013 के विधानसभा चुनावों के पूर्व चुनाव अभियान का आगाज़ इसी मैदान से किया। दोनों बार जीते। इस बार भी चुनाव के पहले बड़ा जलसा जंबूरी मैदान पर हुआ, लेकिन चुनाव प्रचार का फ़ाइनल आगाज़ मालवा से किया। दुर्भाग्यवश 7 सीटों से पीछे रह कर लगातार चौथी बार सरकार बनाने का इतिहास भाजपा नहीं रच पाई। राज्य विधानसभा में 230 सीटें हैं और स्पष्ट बहुमत के लिए 116 सीटों की जरूरत होती है लेकिन बीजेपी 109 सीटें ही जीत पाई। उसे सत्ता के बजाय विपक्ष की कुर्सी नसीब हुई।

मेगा शो के लिए मलमास दरकिनार

कमलनाथ 16 दिसंबर से शुरू हुए मलमास के पहले मुख्यमंत्री पद की शपथ ले लेना चाहते थे। दरअसल हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस महीने में शुभ कार्य किया जाना वर्जित माना जाता है। मुख्यमंत्री के नाम का फ़ैसला लेने में विलंब होने के चलते बात नहीं बनी। हालाँकि नाथ के पास 15 दिसंबर का विकल्प था। बताते हैं कि शपथग्रहण समारोह को मोदीविरोधी दलों के नेताओं का ‘मेगा शो’ बनाने की रणनीति बन जाने की वजह से मलमास को ताक पर रख दिया गया। नाथ से जुड़े एक सूत्र ने टटोले जाने पर कहा, ‘साहब को मान्यताओं की जानकारी है। राज्यहित के मद्देनजर इस मान्यता को दरकिनार करते हुए उन्होंने 17 दिसंबर को डेढ़ बजे का समय शपथ ग्रहण के लिए चुना है।’

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