मप्र: उपचुनाव जीतने के लिए ‘भगवा’ के भरोसे है ‘सेक्युलर’ कांग्रेस
मध्य प्रदेश में कांग्रेस का बेड़ा पार क्या ‘भगवा’ ही कर सकता है यह सवाल कांग्रेस के ‘भगवा प्रेम’ को लेकर खड़ा हुआ है। दरअसल, मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने सेक्युलरिज्म की अपनी बुनियादी राह को ‘छोड़कर’ सॉफ्ट हिन्दुत्व का झंडा उठा रखा है और आज तक ‘भगवा’ से परहेज करती दिखने वाली यह पार्टी भगवा रंग में रंगी नज़र आ रही है।
मध्य प्रदेश के उपचुनाव में कांग्रेस की कमान पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के हाथ में है। विधानसभा के 2018 के चुनाव से ठीक पहले उन्हें प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था। पीसीसी चीफ बनते ही उन्होंने साॅफ्ट हिन्दुत्व को तरजीह देना शुरू कर दिया था।
प्रदेश की 27 सीटों पर विधानसभा का उपचुनाव होना है। उपचुनाव अक्टूबर माह में संभावित हैं। चौसर बिछी हुई है। उपचुनाव के लिए कांग्रेस जिस अंदाज में मैदान में उतर रही है, वह पार्टी के बिलकुल नये चेहरे का आभास दे रहा है।
कांग्रेस की एक चुनावी रैली चर्चाओं में है। रैली को देखने के बाद तंज भी किए गए हैं। कहा गया है, ‘यह धर्मनिरपेक्षता की झंडा-बरदारी करने वाली कांग्रेस ही है अथवा कोई नया हिन्दू संगठन’ असल में प्रदेश कांग्रेस ने साॅफ्ट हिन्दुत्व के अपने कदम से आगे बढ़ते हुए भगवा का सहारा लेना भी शुरू किया है।
कांग्रेस के लिए उपचुनाव ‘करो या मरो’ वाले हैं। यही वजह है कि मध्य प्रदेश कांग्रेस, सत्तारूढ़ दल बीजेपी के ‘हर सवाल’ का जवाब बीजेपी को उसी की ‘भाषा’ में देने का प्रयास कर रही है।
मध्य प्रदेश विधानसभा के 2018 के चुनाव में राज्य कांग्रेस ने रणनीति बदली थी। कांग्रेस ने 2018 के अपने संकल्प पत्र में साॅफ्ट हिन्दुत्व की ओर कई कदम बढ़ाये थे। संकल्प पत्र में मध्य प्रदेश का राम वन गमन पथ था, गाय थी, मंदिर और पंडे-पुजारी भी थे।
कांग्रेस की सरकार बनने पर मुख्यमंत्री पद संभालते ही कमल नाथ ने अपने एजेंडे पर तेजी से काम शुरू किया था। उनकी सरकार ने स्मार्ट गो-शालाओं से लेकर मंदिरों के जीर्णोद्धार, पंडे-पुजारियों की तनख्वाह में बढ़ोतरी आदि के फ़ैसले लिए थे।
राम मंदिर निर्माण का जश्न
सरकार चले लाने के बाद राम मंदिर निर्माण का जश्न बीजेपी से ‘पहले’ मध्य प्रदेश कांग्रेस दफ्तर में मनाया गया। कांग्रेस विधायक दल की बैठक और पीसीसी दफ्तर में ‘जय-जय, श्रीराम’ के उद्घोष हुए। प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पर भगवान राम का भव्य पोस्टर टांगा गया। राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त होने पर पीसीसी में रोशनी की गई। घी के दिये जलाये गये।
बात यहीं खत्म नहीं हुई, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का भी दायित्व संभाल रहे कमल नाथ के निवास पर हनुमान चालीसा का पाठ किया गया। कमल नाथ द्वारा अपने निवास पर जन्माष्टमी धूमधाम से मनाये जाने के फोटो और वीडियो कांग्रेस की ओर से वायरल किये गये और ऐसा पहली बार हुआ।
सत्तारूढ़ दल बीजेपी ने इन उपक्रमों (राम नाम जपने और कृष्ण भक्ति) पर जब कांग्रेस का मज़ाक उड़ाया तो कांग्रेस ने राम और हिन्दुत्व बीजेपी की बपौती ना होने का दंभ भरते हुए बीजेपी के रणनीतिकारों को कठघरे में खड़ा किया।
मार्च एपिसोड को भूले नहीं हैं कमल नाथ
कमल नाथ की गिनती बड़े लीडरों में होती है। यह अलग बात है कि मार्च में वह अपनी ही सरकार को बचाने में असफल रहे थे और अपनों के ही हाथों गच्चा खा गये थे। कमल नाथ, अपनी सरकार गिराने की घटना को भूले नहीं हैं। उपचुनावों में कांग्रेस के तुरूप के सभी पत्ते उन्होंने सिर्फ और सिर्फ अपने ही हाथों में सजाये हुए हैं। उनके अनुरोध पर कांग्रेस आलाकमान ने मप्र विस उपचुनावों के लिए 15 उम्मीदवारों के नामों का एलान 11 सितंबर को कर दिया था। माना जा रहा है कि कांग्रेस ने पहली सूची जल्दी जारी करते हुए बीजेपी के इस आरोप का मुंह तोड़ जवाब देने का प्रयास किया है, जिसमें बीजेपी ताल ठोक कहती रही कि कांग्रेस खेमे में उम्मीदवारों का भारी टोटा है।
ये हैं कांग्रेस के उम्मीदवार
दिमनी से रविन्द्र सिंह तोमर, अम्बाह से सत्यप्रकाश सखवार, गोहद से मेवाराम जाटव, ग्वालियर से सुनील शर्मा, डबरा से सुरेश राजे, भांडेर से फूल सिंह बरैया, करेरा से प्रागीलाल जाटव, बम्होरी से कन्हैया लाल अग्रवाल, अशोक नगर से आशा दोहरे, अनूपपुर से विश्वनाथ सिंह कुंजाम, सांची से मदनलाल चौधरी अहिरवार, आगर से विपिन वानखेड़े, हाटपिपल्या से रजवीर सिंह बघेल, नेपानगर से राम किशन पाटिल और सांवेर से प्रेम चंद गुड्डू।
बीजेपी को दिया ‘भगवा जवाब’
कमल नाथ रविवार को इंदौर जिले की सांवेर विधानसभा क्षेत्र में प्रचार के लिए पहुंचे थे। सांवेर में नाथ की सभा हुई। सभा से ठीक पहले इंदौर से सांवेर तक कांग्रेस ने एक रैली निकली। यह रैली पूरी तरह से भगवा रंग में रंगी रही। करीब सौ मोटर साइकिल सवार रैली में सबसे आगे चलते रहे।
हरेक मोटर साइकिल पर भगवा लहराता रहा। भगवाधारी दोपहिया वाहनों के पीछे कांग्रेस के झंडे लगे अन्य दो-पहिया और चार पहिया वाहन दौड़ते रहे। भगवा झंडों वाली इस रैली ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा।
स्टेट प्रेस क्लब के अध्यक्ष और इंदौर के वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण खारीवाल ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘कांग्रेस टिट फाॅर टेट (जैसे को तैसा) के रास्ते पर चल रही है। कितना लाभ होगा यह चुनाव के नतीजे आने के बाद मालूम होगा।’ खारीवाल कहते हैं, ‘मध्य प्रदेश में कांग्रेस पहले से साॅफ्ट हिन्दुत्व का रास्ता अख्तियार किये हुए थी। उपचुनाव में कांग्रेस की ऐसी राह अपेक्षित थी, जिस पर वह चल रही है।’
सिंधिया की इज्जत दांव पर
बता दें, सांवेर वह सीट है- जिस पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री और बीजेपी से राज्यसभा के सदस्य बन चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया की इज्जत सबसे ज्यादा दांव पर लगी हुई है। इस सीट को 2018 के विधानसभा चुनाव में तुलसी सिलावट ने कांग्रेस के लिए जीता था और वे कमल नाथ सरकार में मंत्री बनाये गये थे। सिंधिया ने तो सिलावट को उप मुख्यमंत्री बनवाने का दांव भी खेला था। मगर सफलता नहीं मिल पायी थी।
सिलावट ने मार्च महीने में बग़ावत करते हुए विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। सांवेर से बीजेपी उन्हें ही टिकट देने जा रही है हालांकि इसकी अधिकृत घोषणा होनी बाकी है।
कांग्रेस ने गुड्डू को मैदान में उतारा
कांग्रेस ने सांवेर सीट से अपने पुराने धुरंधर प्रेम चंद गुड्डू को चुनाव मैदान में उतारा है। कांग्रेस के टिकट पर सांसद रह चुके गुड्डू के पास स्वयं की अपनी बड़ी टीम है। गुड्डू जानते हैं कि मैदान कैसे मारा जाता है, और प्रचार की कौन सी रणनीति राजनीति चमकाने के काम आती है। इंदौर से सांवेर तक को भगवा रंग में रंगते हुए ‘टीम गुड्डू’ ने रविवार को अपने इसी गुण का प्रदर्शन किया।
पिछले दिनों बीजेपी और सिलावट के सहयोगियों ने सांवेर को भगवा रंग में रंगा था। नर्मदा कलश यात्रा के नाम पर सिलावट और बीजेपी ने सैकड़ों भगवाधारी महिलाओं का जुलूस निकाला था। कमल नाथ की मौजूदगी में आयोजित कांग्रेस और उसके उम्मीदवार गुड्डू की रविवार की चुनावी रैली एवं सभा को बीजेपी की नर्मदा कलश यात्रा का जवाब माना गया।
बेहद अहम हैं चुनाव
कुल 27 सीटों में 25 ऐसी हैं जिनके उपचुनाव सिंधिया के समर्थकों की बग़ावत की वजह से हो रहे हैं। ऐसे में सांवेर के साथ अन्य सीटों पर भी सबसे ज्यादा सिंधिया यानी महाराज की ही साख दांव पर है। महाराज के प्रभाव वाली 16 सीटें ग्वालियर-चंबल संभाग में हैं। इन 16 सीटों के नतीजे भी सिंधिया और उनके सिपहसालारों के अलावा बीजेपी एवं कांग्रेस के अनेक चेहरों की भविष्य की राजनीति तय करने वाले साबित होंगे।