एमपी में गोकशी पर रासुका से कांग्रेस आलाकमान में बेचैनी क्यों?
एमपी में गोकशी और गो-तस्करी मामले में रासुका लगाने पर दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान में बेचैनी है। पहले दिग्विजय सिंह और अब पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम के इन मामलों में रासुका लगाए जाने पर सवाल उठाए हैं। दोनों नेता भले ही कमलनाथ सरकार के फ़ैसले पर सवाल उठा रहे हों लेकिन कांग्रेस आलाकमान इस मामले में लाचार नज़र आ रहा है। इस बेचैनी को इस रूप में भी देखा जा सकता है कि साफ़-साफ़ जवाब कोई नहीं दे पा रहा है। जहाँ कमलनाथ को अपने बचाव में कहना पड़ा है कि गोरक्षा के नाम पर हिंसा भड़काने वालों और मॉब लिंचिंग करने वालों को बख़्शा नहीं जाएगा। वहीं आलाकमान भी सिर्फ़ गोलमोल तरीक़े से जवाब दे रहा है।
कार्रवाई पर सवाल : गोकशी पर कमलनाथ सरकार की कार्रवाई का ‘अपनों’ का ही विरोध क्यों?
एक सवाल के जवाब में कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि क़ानून और व्यवस्था राज्य का मामला है। उन्होंने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री और पुलिस महानिदेशक इस मामले में उचित कार्रवाई करेंगे। उन्होंने भरोसा दिलाया कि किसी भी निर्दोष के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं होगी और दोषियों को बख़्शा नहीं जाएगा, लेकिन वह इस सवाल का जवाब नहीं दे पाए कि क्या गाय से जुड़े मामलों में रासुका लगाना उचित है। उन्होंने इस बात की भी पुष्टि नहीं की कि क्या पार्टी आलाकमान की तरफ़ से इस मामले में मुख्यमंत्री कमलनाथ को किसी तरह का कोई निर्देश दिया गया है। उन्होंने यह ज़रूर कहा कि किस मामले में कौन-सी धारा लगानी है इसका फ़ैसला थाना के स्तर पर होता है, इसके लिए मुख्यमंत्री को दोषी ठहराना उचित नहीं है।
ज़ाहिर है कि कांग्रेस को गोकशी पर रासुका लगाने के मामले में माकूल जवाब नहीं सूझ रहा। कमलनाथ सरकार की नाकामी को छुपाने के लिए कांग्रेस की तरफ़ से बेहद लचर सफ़ाई दी जा रही है।
कांग्रेसी नेता कहते हैं कि मध्य प्रदेश में 15 साल से बीजेपी की सरकार रही है। इसलिए वहाँ प्रशासन में अभी भी बीजेपी और संघ के लोगों का वर्चस्व है। उनका आरोप है कि संघी विचारधारा के लोग कांग्रेस की सरकार को बदनाम करने के लिए इस तरह की हरकतें कर रहे हैं।
- दो दिन पहले दिल्ली में हुए अल्पसंख्यकों के राष्ट्रीय सम्मेलन में राहुल गाँधी ने भी इसी तरह की बात कही थी और भरोसा दिलाया था कि कांग्रेस की सरकारें राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में प्रशासन में घुसपैठ किए हुए संघ के लोगों को चुन-चुन कर निकालेंगी। लेकिन एक के बाद एक गाय से जुड़े दो मामलों में आरोपियों पर रासुका लगाए जाने से कांग्रेस आलाकमान सकते में है।
वकालत के पेशे से जुड़े कांग्रेस के तमाम नेता यह तो मानते हैं कि गोकशी और गो-तस्करी जैसे मामलों में इन्हीं से जुड़े क़ानून के तहत कार्रवाई होनी चाहिए। ऐसे मामलों में रासुका लगाए जाने का कोई तुक नहीं है। लेकिन यही बात वह खुलकर बोलने से बचते हैं।
मध्य प्रदेश में गोकशी और गायों की अवैध तस्करी के दो अलग-अलग मामलों में रासुका के तहत हुई कार्रवाई पर कांग्रेस के कई नेताओं को सख़्त एतराज़ है।
चिदंबरम के बयान का क्या मतलब?
पूर्व केंद्रीय वित्त और गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने गोकशी मामले में तीन लोगों की रासुका के तहत गिरफ़्तारी को पूरी तरह ग़लत क़रार दिया है। उन्होंने कहा, 'मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियनम (एनएसए) का इस्तेमाल ग़लत था। इसे सरकार के सामने उठाया गया है। इसलिए अगर कोई ग़लती हुई है तो इस ग़लती को नेतृत्व की ओर से भी उठाया गया है।' इससे पहले दिग्विजय सिंह ने भी इस मुद्दे पर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा कि गोवध (गोहत्या) पर रासुका नहीं लगनी चाहिए। खंडवा में पिछले दिनों तीन लोगों पर हुई रासुका की कार्रवाई को लेकर दिग्विजय सिंह ने कहा, 'आरोपियों पर गोहत्या के लिए बने क़ानून के तहत कार्रवाई की जाना चाहिए थी, रासुका नहीं लगनी चाहिए थी।’
क्या मॉब लिंचिंग करने वालों पर भी रासुका लगेगा?
दो दिन पहले दिल्ली में हुए कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग के राष्ट्रीय अधिवेशन में मुसलिम नेताओं ने कमलनाथ सरकार के इस क़दम की आलोचना की थी। इस कार्यक्रम में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्य्क्ष राहुल गाँधी ने भी शिरकत की। कर्नाटक के पूर्व मंत्री रोशन बेग ने कमलनाथ सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में तीन मुसलमानों पर एनएसए के तहत कार्रवाई की जा रही है, और हम यूपी में वोट माँगने जा रहे हैं। रोशन बेग का इशारा योगी सरकार की तरफ़ था, जहाँ गोहत्या के मामलों में इस तरह की कार्रवाई की जाती रही है। सिर्फ़ रोशन बेग ने ही सवाल खड़े नहीं किए बल्कि महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री आरिफ नईम खान ने मध्यप्रदेश में रासुका के तहत हुई कार्रवाई को लेकर कमलनाथ सरकार से सवाल पूछे। आरिफ नईम खान ने पूछा कि अगर गोहत्या के आरोपियों के ख़िलाफ़ रासुका लग रहा है तो कमलनाथ सरकार बताए कि मॉब लिंचिंग या गाय के नाम पर लोगों की पिटाई करने वालों के ख़िलाफ़ भी रासुका लगेगा।
इस कार्रवाई के बाद उठा विवाद
ग़ौरतलब है कि खंडवा जिले के मोघट थाने के खरखाली गाँव में गोहत्या के मामले में पकड़े गए तीन आरोपियों के ख़िलाफ़ रासुका की कार्रवाई की गई है। तीन आरोपियों में से दो को बीते शुक्रवार और एक को सोमवार को पकड़ा गया था। तीनों आरोपियों नदीम, उसके भाई शकील और आज़म पर रासुका की कार्रवाई की गई है। फ़िलहाल तीनों जेल में हैं। राज्य में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार आने के बाद गोहत्या के मामले में रासुका की यह पहली कार्रवाई है। इसके बाद आगर-मालवा में गायों की तस्करी के दो आरोपियों पर भी राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून यानी रासुका लगाया गया है। दोनों आरोपियों को जेल भेज दिया गया है।
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गोकशी और गो-तस्करी पर रासुका की ऐसी कार्रवाई के बाद राजनीतिक गलियारों में अब यह चर्चा तेज़ हो गई है कि क्या कमलनाथ की सरकार गाय पर राजनीति के मामले में बीजेपी की पिछली सरकार से आगे निकलने की कोशिश कर रही है?
रासुका लगाने के मामले में सवाल कांग्रेस के ही दिग्गज नेताओं ने उठाया है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के हमलों से बुरी तरह घिर गए हैं।
दिक्कत सॉफ्ट हिंदुत्व की राजनीति में तो नहीं?
दरअसल, मध्य प्रदेश में कांग्रेस पहले से ही सॉफ्ट हिंदुत्व की राजनीति करती रही है। बीजेपी की सरकार को हटाने के लिए भी उसने हिंदू आस्थाओं से जुड़े मसले उठाए थे और अपने चुनावी घोषणा-पत्र में भी उनको जगह दी थी। सरकार बनने के बाद कांग्रेस बीजेपी के ही रास्ते पर चलेगी, इसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। इसीलिए गोकशी और गो-तस्करी जैसे मामलों में रासुका के तहत कार्रवाई को लेकर ख़ुद कांग्रेस के बड़े नेता ही सवाल उठा रहे हैं। कांग्रेस के इन नेताओं को लगता है कि अगर कांग्रेस बीजेपी से लड़ते-लड़ते उसी की नीतियों पर चलेगी और उसी की तरह व्यवहार करेगी तो फिर इस देश में धर्मनिरपेक्षता का जनाज़ा ही निकल जाएगा। पार्टी में धर्मनिरपेक्षता के मज़बूत पैरोकारों को कमलनाथ सरकार की यह कार्रवाई ज़रा भी नहीं सुहा रही। शायद दिल्ली में अपने ख़िलाफ़ उठती इन्हीं आवाज़ों को देखते हुए कमलनाथ ने गोरक्षा के नाम पर हिंसा भड़काने और मॉब लिंचिंग करने वालों के ख़िलाफ़ भी सख़्त कार्रवाई करने की बात कही है।
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