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आप छोड़ बीजेपी से जुड़े कैलाश गहलोत, जानें क्या होगा असर

आप छोड़ बीजेपी से जुड़े कैलाश गहलोत, जानें क्या होगा असर

कैलाश गहलोत एक जाट नेता हैं जो दिल्ली के मित्रांव गांव से हैं। वह 2015 के विधानसभा चुनावों से पहले आप में शामिल हुए और नजफगढ़ सीट पर जीते। वह 2020 में फिर से जीते। जानिए, दिल्ली चुनाव में क्या असर होगा।

आम आदमी पार्टी को छोड़ने के एक दिन बाद ही कैलाश गहलोत बीजेपी में शामिल हो गए। दिल्ली के पूर्व परिवहन मंत्री रविवार तक सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से थे। गहलोत सोमवार सुबह केंद्रीय मंत्री एमएल खट्टर और हर्ष मल्होत्रा ​​की मौजूदगी में बीजेपी से जुड़े। खट्टर ने गहलोत के शामिल होने को 'टर्निंग पॉइंट' बताया, खासकर फरवरी में होने वाले चुनाव से पहले। आप नेता अरविंद केजरीवाल ने कहा कि गहलोत अपने फ़ैसले लेने के लिए स्वतंत्र हैं और वह जहां चाहें जा सकते हैं।

फ़रवरी में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले केजरीवाल सरकार में अहम मंत्री रहे गहलोत का इस्तीफा आम आदमी पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। ऐसा होने के पीछे वैसे तो कई वजहें हैं, लेकिन दो बड़ी वजहें तो ये हैं कि वह मूलत: दिल्ली के रहने वाले व जाट नेता हैं और आप सरकार की कई योजनाओं के शिल्पकार रहे हैं। 

आप के भीतर इस बात को लेकर चिंता है कि गहलोत के चले जाने से कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं बाधित होंगी। वह 'महिला सम्मान राशि' परियोजना को देख रहे थे, जो इस साल के बजट में दिल्ली सरकार की मुख्य घोषणाओं में से एक थी और आप के विधानसभा चुनाव अभियान का मुख्य बिंदु बनने वाली थी।

इस योजना के तहत 18 वर्ष या उससे अधिक आयु की महिलाओं को हर महीने 1000 रुपये मिलेंगे। रिपोर्ट है कि गहलोत अधिकारियों के साथ कई बैठकें कर रहे थे और उनसे योजना के क्रियान्वयन में तेजी लाने के लिए कह रहे थे। गहलोत 'पिंक पास', 'मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना', 'इलेक्ट्रिक वाहन नीति', और महिलाओं की सुरक्षा के लिए बसों में बस मार्शल और हाई-टेक सुरक्षा प्रणाली की शुरुआत और अधिक महिला बस चालक लाने की योजनाओं पर काम कर रहे थे। परिवहन मंत्री के रूप में गहलोत को राष्ट्रीय राजधानी में इलेक्ट्रिक बस क्रांति और बस डिपो के विद्युतीकरण की शुरुआत करने का श्रेय भी दिया जाता है, जिससे शहर के पुराने बस बेड़े में 1000 से अधिक ई-बसें शामिल होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

गहलोत एक जाट नेता हैं जो दिल्ली के मित्रांव गांव से हैं। वह एक किसान परिवार से आते हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से क़ानून की पढ़ाई की और दिल्ली उच्च न्यायालय में वकालत की। वे 2005 से 2007 तक उच्च न्यायालय के बार एसोसिएशन के कार्यकारी सदस्य थे और सुप्रीम कोर्ट में भी।

कैलाश गहलोत 2015 में आप में शामिल हुए और पार्टी के जाट चेहरा बन गए। उसी साल उन्हें विधानसभा चुनाव का टिकट मिला और उन्होंने नजफगढ़ से 1550 वोटों के मामूली अंतर से जीत हासिल की।

​​उन्होंने 2020 में फिर से 6000 से अधिक वोटों से सीट जीती। कैबिनेट मंत्री बनने से पहले उन्होंने नजफगढ़ के युवाओं को शिक्षित करने के लिए अपने पिता के नाम पर एक ट्रस्ट चलाया।

माना जा रहा है कि बीजेपी अब कैलाश गहलोत के इस्तीफ़े और उनके द्वारा की गई टिप्पणी का इस्तेमाल आम आदमी पार्टी के ख़िलाफ़ चुनाव अभियान में जमकर करेगी। बीजेपी ने एक ट्वीट कर कहा भी है कि हर कोई केजरीवाल की डूबती नाव से भागने वाला है।

बता दें कि गहलोत ने रविवार को अरविंद केजरीवाल को भेजे गए अपने त्यागपत्र में अधूरे वादों और हालिया विवादों को पार्टी छोड़ने का कारण बताया। नजफगढ़ से विधायक गहलोत ने मंत्रिपरिषद से इस्तीफा दे दिया जिसे दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया। अपने त्यागपत्र में गहलोत ने पार्टी पर प्रमुख वादों को पूरा न करने का आरोप लगाया है।

उन्होंने यमुना नदी को साफ़ करने के अधूरे वादे की ओर इशारा करते हुए इसे पार्टी द्वारा मतदाताओं से किया गया वादा बताया। उन्होंने लिखा, 'हमने लोगों से स्वच्छ यमुना का वादा किया था, लेकिन हम उस वादे को पूरा करने में विफल रहे।' उन्होंने अरविंद केजरीवाल के नए आधिकारिक आवास को लेकर विवाद का भी ज़िक्र किया। उन्होंने कहा, 'शीशमहल जैसे कई शर्मनाक और विचित्र मुद्दे हैं, जिनके कारण अब लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या हम अभी भी आम आदमी की पार्टी होने में विश्वास करते हैं।'

गहलोत के इस्तीफे पर आप के वरिष्ठ नेता दुर्गेश पाठक ने कहा कि दिल्ली के पूर्व मंत्री से कई महीनों से ईडी और आयकर विभाग जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियां ​​पूछताछ कर रही थीं। उन्होंने कहा कि गहलोत दबाव को झेलने में सक्षम नहीं थे और उन्होंने पार्टी छोड़ने का फैसला किया।

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