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सुप्रीम कोर्ट के जजों की समिति करेगी सीजेआई गोगोई पर लगे आरोपों की जाँच

सुप्रीम कोर्ट के जजों की समिति करेगी सीजेआई गोगोई पर लगे आरोपों की जाँच

देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई के ख़िलाफ़ लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों की जाँच अब सुप्रीम कोर्ट के जजों की एक समिति करेगी।

देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई के ख़िलाफ़ लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों की जाँच अब सुप्रीम कोर्ट के जजों की एक समिति करेगी। इस समिति का गठन जस्टिस एस.ए. बोबडे ने किया है। बता दें कि सीजेआई रंजन गोगोई पर उन्हीं के दफ़्तर में काम कर चुकी एक महिला कर्मचारी ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। 

जस्टिस बोबडे ने कहा कि वरिष्ठता में दूसरे नंबर पर होने के कारण ही सीजेआई ने उन्हें यौन उत्पीड़न के आरोपों की जाँच के मामले में नियुक्त किया है। जस्टिस बोबडे ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों जस्टिस एन. वी. रमन और जस्टिस इंदिरा बनर्जी को शामिल कर एक समिति गठित की है। 

जस्टिस बोबडे ने इसका कारण बताते हुए कहा कि वरिष्ठता में उनके बाद होने के कारण ही जस्टिस रमन और और महिला जज होने के कारण जस्टिस बनर्जी को इसमें शामिल किया गया है।

जस्टिस बोबडे ने कहा कि वह आरोप लगाने वाली महिला को पहले ही नोटिस जारी कर चुके हैं। बता दें कि महिला ने इस बारे में न्यायाधीशों को चिट्ठी लिखी थी और हलफ़नामा भी दिया था। इस मामले में शुक्रवार (26 अप्रैल) को पहली सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटी जनरल को भी सभी दस्तावेज़ों के साथ तैयार रहने के लिए कहा गया है।

जस्टिस बोबडे ने कहा, ‘यह एक इन-हाउस प्रक्रिया है और यह एक औपचारिक रूप से होने वाली न्यायिक कार्यवाही नहीं है।’ उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जाँच को पूरा करने के लिए कोई समय सीमा तय नहीं है और भविष्य में इस बारे में की जाने वाली कार्रवाई इस पर निर्भर करेगी कि जाँच में क्या सामने आता है और इसे पूरी तरह ‘गोपनीय’ रखा जाएगा। 

शनिवार को इस मामले में हुई सुनवाई के बाद, वकीलों की कुछ संस्थाओं और न्यायविदों ने सीजेआई की इस बात को लेकर आलोचना की थी उन्होंने आरोपों की सुनवाई के लिए जिस बेंच का गठन किया है, उसमें ख़ुद को भी शामिल किया है। हालाँकि सीजेआई गोगोई ने सुनवाई के बीच में ही इससे ख़ुद को अलग कर लिया था और आदेश देने का काम जस्टिस अरुण मिश्रा और संजीव खन्ना पर छोड़ दिया था। 

उत्सव बैंस के आरोप पर होगी साज़िश की जाँच

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि सीजेआई रंजन गोगोई के ख़िलाफ़ लगाए गए आरोपों में इस बात की भी पूरी जाँच की जाएगी कि यह उऩके ख़िलाफ़ एक साज़िश तो नहीं है। इस मामले में सीजेआई के ख़िलाफ़ साज़िश रचे जाने का आरोप सुप्रीम कोर्ट के ही एक वकील उत्सव बैंस ने लगाया था। उन्होंने कहा था कि सीजेआई के ख़िलाफ़ एक झूठा केस इसलिये दर्ज़ कराया गया है ताकि वह इस्तीफ़ा दे सकें। उत्सव ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र देकर कहा है कि सीजेआई गोगोई के ख़िलाफ़ आरोप लगाने वाली महिला के पक्ष में प्रेस क्लब में प्रेस कॉन्फ़्रेंस करने के लिए अजय नाम के व्यक्ति ने डेढ़ करोड़ रुपये की पेशकश की थी।

मामले की सुनवाई कर रही बेंच ने कहा, 'एक गंभीर मामला आया है। सिर्फ़ सीजेआई के बारे में ही नहीं, बल्कि कोई बेंच को फिक्स करने की कोशिश कर रहा है इसके बारे में भी। तीन कर्मियों को निकाल दिया गया है। उनके (उत्सव बैंस) शपथ पत्र के मुताबिक़ ये कर्मी साज़िश में शामिल थे। बैंस कहते हैं कि फ़क्सिंग गेम जारी है। यह गंभीर चिंता का विषय है।'

बता दें कि भारत की न्यायपालिका के इतिहास में पहली बार किसी सीजेआई पर यौन शोषण का आरोप लगा है। सीजेआई रंजन गोगोई पर उन्हीं के दफ़्तर में काम कर चुकी 35 साल की जूनियर कोर्ट असिस्टेंट ने यह आरोप लगाया है। महिला के मुताबिक़, सीजेआई गोगोई ने अपने निवास कार्यालय पर उसके साथ शारीरिक छेड़छाड़ की और जब उसने इसका विरोध किया तो उसे कई तरह से परेशान किया गया और अंत में उसे नौकरी से भी बर्खास्त कर दिया गया। 

इन आरोपों के सामने आने के बाद सीजेआई गोगोई ने कहा था कि वह इन आरोपों से बेहद दुखी हैं। उन्होंने कहा था कि उन्हें नहीं लगता है कि उन्हें निचले स्तर तक जाकर इसका जवाब देना चाहिए। 

सीजेआई गोगोई ने कहा था, ‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बेहद, बेहद, बेहद गंभीर ख़तरा है और यह न्यायपालिका को अस्थिर करने का एक बड़ा षड्यंत्र है।’ सीजेआई ने इन आरोपों को खारिज करते हुए उन्हें इसे कुछ अहम सुनवाइयों से रोकने की साज़िश करार दिया था।

यहाँ यह बताना ज़रूरी होगा कि सर्वोच्च अदालत के वकीलों के संगठन सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड्स असोसिएशन ने माँग की थी कि सीजेआई पर लगे आरोपों की जाँच के लिए एक कमेटी का गठन किया जाए जो आरोपों की निष्पक्ष जाँच करे। दूसरी ओर, सुप्रीम कोर्ट के कर्मचारियों के संगठन सुप्रीम कोर्ट इंप्लॉयज़ वेलफ़ेयर असोसिएशन ने मुख्य न्यायाधीश का पक्ष लिया था। संगठन ने एक बयान जारी कर कहा था कि वह इस तरह के मनगढ़ंत, झूठे और बेबुनियाद आरोपों का विरोध करता है, ये आरोप संस्था की छवि को ख़राब करने के लिए लगाए गए हैं। 

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