जगन की चिट्ठी के बाद जस्टिस रमन्ना बोले- दबाव के ख़िलाफ़ डटे रहें जज
आँध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी द्वारा सीजेआई एस ए बोबडे को लिखी गई चिट्ठी में अनियमितता के आरोपों के बाद अब जस्टिस एन वी रमन्ना ने स्वतंत्र न्यायपालिका की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है। उन्होंने कहा है कि 'सभी दबावों और बाधाओं का सामना करना और सभी बाधाओं के ख़िलाफ़ बहादुरी से खड़ा होना न्यायाधीश का एक महत्वपूर्ण गुण है' और वर्तमान समय में एक 'जीवंत और स्वतंत्र न्यायपालिका... की आवश्यकता है'। जस्टिन रमन्ना शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस ए आर लक्ष्मणन के निधन पर शोक सभा में बोल रहे थे। जस्टिस लक्ष्मणन का निधन 27 अगस्त को हुआ था।
अगले साल अप्रैल महीने में देश के मुख्य न्यायाधीश बनने वाले जस्टिस एन वी रमन्ना की यह प्रतिक्रिया आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई. एस जगनमोहन रेड्डी की उस चिट्ठी के क़रीब एक हफ़्ते बाद आई है जिसे उन्होंने मुख्य न्यायाधीश को लिखा था। आठ पेज की चिट्ठी में जगनमोहन रेड्डी ने लिखा था कि जस्टिस रमन्ना आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट की बैठकों और रोस्टर को प्रभावित कर रहे हैं। आरोप लगाए गए हैं कि वह अमरावती जमीन घोटाले से जुड़े मामले को रोस्टर में कुछ चुनिंदा जजों को ही रखवा रहे हैं और इस तरह न्याय प्रशासन को प्रभावित कर रहे हैं। चिट्ठी में मोटे तौर पर आरोप लगाया गया है कि विरोधी दल के नेता व पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू और जस्टिस रमन्ना के बीच संबंध है।
ये आरोप उस समय लगाए गए हैं जब जगन रेड्डी के ख़िलाफ़ कई केस चल रहे हैं और उनमें से एक मामले का संबंध एक ऐसे केस से है जिसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस रमन्ना के नेतृत्व वाली बेंच कर रही है।
जस्टिस रमन्ना वाली इस बेंच ने प्रभावशाली और साधन संपन्न जनप्रतिनिधियों या पूर्व जनप्रतिनिधियों के ख़िलाफ़ लंबित चल रहे मामलों के फास्ट ट्रैक ट्रायल का आदेश दिया था जिससे जगन मोहन रेड्डी पर चल रहा एक मामला प्रभावित हुआ।
इस बेंच के फै़सले के बाद रेड्डी के ख़िलाफ़ आय से अधिक संपत्ति के मामले में कार्यवाही 9 अक्टूबर को हैदराबाद में सीबीआई की विशेष अदालत में फिर से शुरू हो गई। माना जा रहा है कि यदि इस मामले में आरोप सिद्ध हो जाते हैं तो उनकी कुर्सी भी जा सकती है। इसके अगले ही दिन रेड्डी के प्रधान सलाहकार कल्लम ने सीजेआई को लिखे सीएम के पत्र को सार्वजनिक कर दिया।
इसी बीच अब शनिवार को उस शोक सभा में जस्टिस रमन्ना का यह बयान आया है। 'द इंडियन एक्सप्रेस' के अनुसार जस्टिस रमन्ना ने कहा कि ख़ासकर एक न्यायाधीश के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि किसी को सिद्धांतों के प्रति और निर्णय लेने में निडर होने के लिए दृढ़ होना चाहिए। उन्होंने कहा, 'ऐसे असंख्य गुण हैं जो एक व्यक्ति को जीने के लिए चाहिए, जिसे एक अच्छा जीवन कहा जा सकता है: विनम्रता, धैर्य, दया, काम के प्रति एक मज़बूत नैतिकता और ख़ुद को लगातार सीखने और सुधारने का उत्साह।'
न्यायमूर्ति रमन्ना ने भगवान राम के समकालीन महत्व के बारे में एक संत द्वारा कही गई बातों को रखा। उन्होंने कहा, 'लोग राम के जीवन में सफलता के कारण उनकी पूजा नहीं करते, बल्कि उस शिष्टता के लिए करते हैं जिससे उन्होंने सबसे कठिन क्षणों का सामना किया। यही मूल्यवान है; यह किसी के जीवन में उच्चतम मूल्य है।'
उन्होंने संत को उद्धृत करते हुए कहा,
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यह सवाल नहीं है कि आपके पास कितना है, आपने क्या किया, क्या हुआ या क्या नहीं हुआ। जो कुछ भी हुआ, आपने उसका सामना कैसे किया यही वह गुण है जो निर्धारित करता है कि आप क्या हैं।
न्यायमूर्ति रमन्ना, सुप्रीम कोर्ट जज
उन्होंने कहा कि हमारे मूल्य अंततः हमारे सबसे बड़े धन हैं, और हमें कभी भी नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति लक्ष्मणन ने इन मूल्यों को अपनाया और मैंने उनसे एक अच्छे व्यक्ति और न्यायाधीश होने के बारे में बहुत कुछ सीखा है।
उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की सबसे बड़ी ताक़त उसमें लोगों का विश्वास है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भरोसा, विश्वास और स्वीकार्यता आदेश से नहीं मिलते बल्कि इन्हें अर्जित करना पड़ता है।