धर्म के इस्तेमाल पर समय रहते कार्रवाई नहीं तो संविधान को नुक़सान: जस्टिस जोसेफ
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस केएम जोसेफ ने चुनाव में वोट पाने के लिए धर्म, नस्ल, भाषा और जाति के इस्तेमाल के खिलाफ कार्रवाई करने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा है कि समय रहते चुनाव आयोग द्वारा कार्रवाई किया जाना चाहिए और यदि ऐसा नहीं होता है तो यह चुनाव आयोग द्वारा संविधान को सबसे बड़ा नुक़सान पहुँचाने वाला क़दम होगा।
जस्टिस जोसेफ एर्नाकुलम के सरकारी लॉ कॉलेज द्वारा आयोजित 'बदलते भारत में संविधान' विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह में गुरुवार को बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि धर्म, नस्ल, भाषा और जाति की पहचान के आधार पर वोट की अपील करने पर कानूनी तौर पर रोक है। जस्टिस जोसेफ ने कहा कि चुनाव आयोग को ऐसी प्रथाओं के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करनी चाहिए।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस जोसेफ ने कहा, 'वोट पाने के लिए धर्म, नस्ल, भाषा, जाति का इस्तेमाल निषिद्ध है। चुनाव आयोग को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, चाहे वह कोई भी हो, चाहे वह कितना भी बड़ा क्यों न हो, उसे समय रहते ऐसा करना चाहिए। उन्हें मामलों को लंबित नहीं रखना चाहिए। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो वे संविधान के साथ सबसे बड़ा अन्याय कर रहे हैं।'
रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस जोसेफ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में अभिराम सिंह बनाम सी डी कॉमचेन मामले में दिए गए अपने 7 जजों की बेंच के फ़ैसले में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 123(3) की व्याख्या की है और कहा है कि उम्मीदवार या उसके प्रतिद्वंद्वी या दर्शकों में से किसी के धर्म के आधार पर अपील करने की मनाही है।
'बदलते भारत में संविधान' विषय पर संगोष्ठी में जस्टिस जोसेफ ने कहा, 'चुनाव अभियान में धर्म का कोई स्थान नहीं है। ....आपको समझना होगा कि राजनेता अपनी सीमाओं से बहुत अच्छी तरह वाकिफ हैं। उनके खिलाफ आदर्श आचार संहिता और कानून दोनों के तहत कार्रवाई की जा सकती है। मैं कहूंगा कि अगर वे साफ़ तौर पर या निहित रूप से कोई भी तरीका अपनाते हैं, ऐसा कुछ भी करते हैं जो तुरंत धार्मिक पहचान बनाए और उन्हें वोट दिलाए... क्योंकि मेरा मानना है कि साधन उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितना कि साध्य। राजनीतिक सत्ता हासिल करना लोगों की सेवा करने का एक साधन हो सकता है। जिस साधन से आपको राजनीतिक सत्ता मिलती है वह शुद्ध होना चाहिए।'
कांग्रेस सहित विपक्षी दल बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी पर वोट के लिए धर्म के इस्तेमाल का आरोप लगा रहे हैं। फिलहाल, पीएम मोदी कन्याकुमारी में विवेकानंद रॉक मेमोरियल में ध्यान करने को लेकर निशाने पर हैं।
विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग से अपनी शिकायत में कहा है कि साइलेंट पीरियड में कोई भी नेता प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव प्रचार नहीं कर सकता है। विपक्ष ने पीएम मोदी के 30 मई को तमिलनाडु में ध्यान करने जाने को 'चुनावी स्टंट' क़रार दिया है और इसकी शिकायत चुनाव आयोग से की है।
इसको लेकर अभिषेक मनु सिंघवी के नेतृत्व में कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल बुधवार को चुनाव आयोग से मिला था। उन्होंने कहा था कि हमने अपनी शिकायत में चुनाव आयोग से कहा है कि साइलेंट पीरियड में कोई भी नेता प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव प्रचार नहीं कर सकता है।
चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी पर वोट के लिए राम मंदिर के इस्तेमाल से लेकर हिंदू-मुस्लिम करने का आरोप लगता रहा है। प्रधानमंत्री मोदी कांग्रेस पर मुस्लिम परस्त होने, हिंदुओं से छीनकर 'ज्यादा बच्चे पैदा करने वाले', 'घुसपैठिए' को देने, मंगलसूत्र छिनने जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया है।