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जाँच किए गए यूपी लौटने वाले प्रवासियों में सिर्फ़ 3 फ़ीसदी लोग कोरोना पॉजिटिव

जाँच किए गए यूपी लौटने वाले प्रवासियों में सिर्फ़ 3 फ़ीसदी लोग कोरोना पॉजिटिव

प्रवासी मज़दूरों से उत्तर प्रदेश में जिस तेज़ी से संक्रमण के फैलने की आशंका जताई जा रही थी, अब उस तरह से यह फैलता नहीं दिख रहा है। एक सैंपल सर्वे में उत्तर प्रदेश में लौटने वाले प्रवासियों में क़रीब 3 फ़ीसदी लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। 

प्रवासी मज़दूरों के लौटने पर उत्तर प्रदेश में जिस तेज़ी से कोरोना संक्रमण के फैलने की आशंका जताई जा रही थी, अब उस तरह से यह फैलता नहीं दिख रहा है। एक सैंपल सर्वे में उत्तर प्रदेश में लौटने वाले प्रवासियों में क़रीब 3 फ़ीसदी लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। यह आँकड़ा पिछले दो महीनों में प्रदेश में लौटे श्रमिकों के सैंपल पर आधारित है। यह आँकड़ा देश भर में जाँच किए जाने वाले लोगों के पॉजिटिव आने की दर के कम है। 

एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम के आँकड़ों के अनुसार, फ़िलहाल राज्य में लौटे 11.68 लाख प्रवासी निगरानी में हैं। उनमें से, 74,237 प्रवासियों को संक्रमण के लिए परीक्षण किया गया है और 2,404 लोग पॉजिटिव आए हैं। यानी क़रीब 3.2 प्रतिशत। पिछले 10 दिनों में औसतन कुल प्रवासियों के 3 प्रतिशत का परीक्षण किया गया है।

इस आँकड़े से पता चलता है कि भले ही बड़ी संख्या में मज़दूर राज्य में लौटे हैं लेकिन संक्रमित लोगों की संख्या उतनी ज़्यादा नहीं आ रही है। राज्य में जितने लोगों की जाँच की गई है उसमें भी क़रीब 2.85 फ़ीसदी पॉजिटिव आ रहे हैं। यह प्रवासी मज़दूरों के लिए लिये गए सैंपल में से 3.2 फ़ीसदी के पॉजिटिव आने के क़रीब ही है। 

'द इंडियन एक्सप्रेस' ने एक रिपोर्ट में लिखा है कि उत्तर प्रदेश में लौट कर आने वाले प्रवासियों में संक्रमण की दर देश भर में आने वाले संक्रमण की दर से 2 पर्सेंटेज प्वाइंट कम है। उत्तर प्रदेश में लौटने वाले प्रवासी मज़दूर अधिकतर महाराष्ट्र, गुजरात और दिल्ली से हैं और कोरोना पॉजिटिव आने की दर महाराष्ट्र में 15 फ़ीसदी, गुजरात में 8 फ़सदी और दिल्ली में 9 फ़ीसदी है। 

पब्लिक हेल्थ फ़ाउंडेशन ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष और कोविड के लिए विशेषज्ञों की उच्च-स्तरीय समिति के सदस्य के श्रीनाथ रेड्डी ने 'द इंडियन एक्सप्रेस' को बताया कि डाटा पुष्टि करता है कि प्रवासी अपने पेशे और रहने की जगह की प्रकृति के कारण वायरस के संपर्क में बहुत कम थे।

उन्होंने कहा, 'मैं शुरू से कहता रहा हूँ कि प्रवासियों से कोई ख़तरा नहीं है। लॉकडाउन की शुरुआत में उन्हें वापस भेजे जाने में मदद की जानी चाहिए थी। कारण है कि मूल रूप से, वायरस लाने वाले लोग विदेशी यात्री हैं। उन्होंने वायरस फैलाया और उनके प्राथमिक संपर्क में वे लोग थे जिन्होंने वायरस को दूसरी बार फैलाया था।'

वह कहते हैं कि प्रवासी मज़दूर निर्माण स्थल पर ही काम करते हैं और वैसी ही जगहों पर रहते हैं। ऐसे लोग विदेश से लौटने वाले लोगों या उनके सीधे संपर्क में आने वाले लोगों के संपर्क में कम ही आए होंगे।

बता दें कि प्रवासियों के लौटने के बाद राज्य के 75 ज़िलों में संक्रमण फैल गया है। हालाँकि पॉजिटिव आने की दर कम होने से हॉस्पिटल में भर्ती होने वालों की संख्या काफ़ी ज़्यादा नहीं बढ़ी है। उत्तर प्रदेश में अब तक 8 हज़ार 729 संक्रमण के कुल मामले आए हैं। 229 लोगों की मौत हो चुकी है। 5176 लोग पूरी तरह ठीक हो चुके हैं। फ़िलहाल 3324 मरीज़ ही संक्रमित हैं। 

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