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पत्रकारों, लेखकों के घरों पर की गई छापेमारी से प्रेस क्लब चिंतित

पत्रकारों, लेखकों के घरों पर की गई छापेमारी से प्रेस क्लब चिंतित

न्यूज़क्लिक के दफ्तर और इससे जुड़े पत्रकारों-लेखकों के ख़िलाफ़ छापों और अन्य कार्रवाइयों को लेकर पत्रकार संगठन ने चिंता जताई है। जानिए, इसने अपने बयान में क्या कहा है।

न्यूज़क्लिक और इससे जुड़े पत्रकारों के घरों पर दिल्ली पुलिस के छापों पर पत्रकारों और इनके संगठन ने कड़ी आपत्ति जताई है। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया यानी पीसीआई ने कहा है कि वह पत्रकारों के साथ एकजुटता से खड़ा है। इसने सरकार से इस पर विस्तृत बयान जारी करने की मांग की है।

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने कहा है, 'प्रेस क्लब ऑफ इंडिया न्यूज़क्लिक से जुड़े पत्रकारों और लेखकों के घरों पर की गई कई छापेमारी से बेहद चिंतित है। हम घटनाक्रम पर नजर रख रहे हैं और एक विस्तृत बयान जारी करेंगे।' इसने आगे कहा है कि पीसीआई पत्रकारों के साथ एकजुटता से खड़ा है और सरकार से जानकारी देने की मांग करता है।

न्यूज़क्लिक और इससे जुड़े पत्रकारों पर दिल्ली पुलिस ने मंगलवार सुबह ही कार्रवाई की है। जिनके ख़िलाफ़ यह कार्रवाई की गई है उनमें वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, अभिसार शर्मा, भाषा सिंह, न्यूज़क्लिक वेबसाइट के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और व्यंग्यकार संजय राजौरा, लेखिका गीता हरिहरन, प्रसिद्ध पत्रकार औनिंद्यो चक्रवर्ती, एक्टिविस्ट और इतिहासकार सोहेल हाशमी आदि शामिल हैं। अधिकतर के फोन और लैपटॉप जब्त किए गए हैं और कुछ को पूछताछ के लिए थाने जाया गया है।

दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल द्वारा समाचार पोर्टल के खिलाफ सख्त गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम यानी यूएपीए के तहत एक नया मामला दर्ज किया गया है। चीन से फंड लेने के आरोपों के बीच न्यूज़क्लिक दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा और प्रवर्तन निदेशालय की जांच के दायरे में है। 

बहरहाल, इस कार्रवाई को लेकर पत्रकारों ने भी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने कहा, "दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने न्यूज़क्लिक वेबसाइट से जुड़े कई पत्रकारों/लेखकों के घरों पर छापेमारी की। मोबाइल और लैपटॉप ले गई। पूछताछ जारी। अभी तक कोई वारंट/एफआईआर नहीं दिखाया गया। लोकतंत्र में पत्रकार कब से राज्य के 'दुश्मन' बन गए?"

लेखक अपूर्वानंद ने कहा है, 'सरकार के आलोचकों पर छापे मारे जा रहे हैं। अनिंद्यो, उर्मिलेश, भाषा, अभिसार, परोनजॉय, सोहेल हाशमी, रघुनंदन, संजय राजौरा, तीस्ता, ... के साथ क्या किया जा रहा है, इसको बताने का कोई अन्य तरीका नहीं है।' 

उन्होंने कहा, 'स्वतंत्र आवाज़ों पर हमला किया जा रहा है। यह वास्तव में वे लोग हैं जो जानकारी और विचारों के उन स्रोतों से वंचित हो रहे हैं जो उन्हें अपना निर्णय लेने में मदद करते हैं। उन्हें अपनी चिंता करने की ज़रूरत है। यह उन पर हमला है!'

सोहित मिश्रा ने लिखा है, 'एक तरफ़ साहब खुद यूट्यूब पर आ रहे हैं, और दूसरी तरफ यूट्यूब पर काम कर रहे पत्रकारों के घर पर छापेमारी हो रही है। सुबह सुबह पत्रकारों के घरों में इन अधिकारियों का पहुंचना, उनके लैपटॉप और फोन को सीज़ करना, यह बताता है कि 2024 की तैयारी शुरू हो गई है और बोलने वालों पर कारवाई होगी...।'

हालाँकि, कुछ पत्रकारों ने सरकार के फ़ैसले को सही ठहराने की कोशिश की है। अशोक श्रीवास्तव ने कहा है, 'कुछ लोग मनीष कश्यप की गिरफ्तारी को सही ठहरा रहे थे यह कह कर कि वो फेक न्यूज फैला रहा था। अब वही लोग अवैध फंडिग के मामले में न्यूज क्लिक के पत्रकारों के खिलाफ कारवाई पर छाती पीट रहे हैं। मनीष की गिरफ्तारी को जो लोग मीडिया पर हमला नहीं मान रहे थे यह कह कर कि मनीष पत्रकार नहीं यूट्यूबर है। अब वही लोग यूट्यूबर अभिसार शर्मा के समर्थन में रूदाली रोना रो रहे हैं कि मीडिया की आजादी खतरे में है।'

बता दें कि न्यूज़क्लिक और इसके पत्रकारों पर दिल्ली पुलिस के छापों को लेकर विपक्षी दलों ने मोदी सरकार की आलोचना की है। विपक्षी दलों ने कहा है कि जो बीजेपी की भजन मंडली में शामिल होने से इनकार करते हैं उनके ख़िलाफ़ इस तरह की कार्रवाई होती है। इन दलों ने कहा है कि सरकार उन लोगों से डरी हुई है जो उनकी विफलताओं पर सरकार से सवाल पूछते हैं। 

कांग्रेस ने मोदी सरकार की इस कार्रवाई को पीएम मोदी का डर और घबराहट क़रार दिया है। इसने ट्वीट किया है, 'पीएम मोदी डरे हुए हैं, घबराए हुए हैं। खासतौर से उन लोगों से जो उनकी विफलताओं पर, उनकी नाकामियों पर उनसे सवाल पूछते हैं। वो विपक्ष के नेता हों या फिर पत्रकार, सच बोलने वालों को प्रताड़ित किया जाएगा। आज फिर से पत्रकारों पर छापेमारी इसी बात का प्रमाण है।'

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