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महाराष्ट्र: एमएलसी चुनाव में बीजेपी को झटका, नागपुर में भी मिली हार

महाराष्ट्र: एमएलसी चुनाव में बीजेपी को झटका, नागपुर में भी मिली हार

महाराष्ट्र में जल्द अपनी सरकार आने के दावे कर रही बीजेपी को विधान परिषद के चुनावों में महा विकास अघाडी ने चित कर दिया है।

महाराष्ट्र में जल्द अपनी सरकार आने के दावे कर रही बीजेपी को विधान परिषद के चुनावों में महा विकास अघाडी ने चित कर दिया है। 6 सीटों के लिए हुए चुनाव में बीजेपी को सिर्फ़ 1 सीट पर जीत मिली है। बीजेपी को झटका देने के साथ ही उद्धव ठाकरे सरकार ने यह भी संदेश उसे दिया है कि महा विकास अघाडी का गठबंधन अटूट है और बीजेपी के राज्य में सरकार बनाने के दावे सिर्फ हवा-हवाई हैं। 

‘बदले’ की सियासत 

महाराष्ट्र में इन दिनों ‘बदला’ लेने की सियासत जोरों पर है। शिव सेना और बीजेपी आमने-सामने हैं। फ़िल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले में जब अर्णब गोस्वामी और कंगना रनौत ने उद्धव सरकार पर हमला बोला तो महाराष्ट्र सरकार और बीएमसी एक्शन में आ गए। बीएमसी ने कंगना के दफ़्तर पर कार्रवाई की तो उद्धव सरकार पर अन्वय नाइक की आत्महत्या मामले को फिर से खोलने का आरोप लगा। और जब अर्णब के ख़िलाफ़ शिव सेना विधायक प्रताप सरनाइक ने आवाज़ उठाई तो ईडी उनके वहां छापेमारी करने पहुंच गई। 

फडणवीस, महाजन निशाने पर 

लेकिन उद्धव सरकार ने भी इसका जवाब दिया और पिछले हफ़्ते फडणवीस के क़रीबी और पूर्व मंत्री गिरीश महाजन के ख़ास लोगों से जुड़ी भाईचंद हीराचंद रायसोनी क्रेडिट सोसायटी पर महाराष्ट्र पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने छापामारी की। इस क्रेडिट सोसायटी में कथित घोटाला होने की बात कही गयी है। 

इसके बाद महा विकास अघाडी सरकार ने फडणवीस के ड्रीम प्रोजेक्ट जलयुक्त शिवार योजना में हुए कथित घोटाले की जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया। एसआईटी को अपनी रिपोर्ट देने के लिए 6 माह का वक़्त दिया गया है। कहा गया है कि इस योजना में 10 हज़ार करोड़ का घोटाला हुआ है।

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अर्णब के पक्ष में उतरी थी बीजेपी।

बीजेपी आलाकमान का इशारा!

इसी बीच, केंद्रीय मंत्री राव साहब दानवे और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बयान दे दिया कि राज्य में जल्द ही बीजेपी अपनी सरकार बनाएगी। लेकिन सरकार कैसे बनेगी, इसका कुछ पता नहीं है क्योंकि बीजेपी सरकार बनाने के लिए ज़रूरी 145 विधायकों से काफी दूर है। लेकिन अगर पार्टी के बड़े नेता ये दावा कर रहे हैं तो इसका मतलब यह है कि आलाकमान की ओर से राज्य के नेताओं को इसके लिए इशारा किया गया है। 

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महाराष्ट्र में ऑपरेशन लोटस

राव साहब दानवे और फडणवीस के इन बयानों के बाद इस बात की चर्चा फिर से शुरू हुई कि बीजेपी राज्य में ऑपरेशन लोटस को चालू करेगी। बीजेपी पर आरोप लगता है कि ऑपरेशन लोटस के जरिये वह कर्नाटक, मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में विपक्षी दलों की सरकारों को गिरा चुकी है और कई राज्यों में उनके विधायकों को तोड़ चुकी है। कहा जा रहा है कि राजस्थान, झारखंड जैसे राज्यों में भी ऑपरेशन लोटस की सुगबुगाहट है, जहां पर विपक्षी दलों की हुक़ूमत है। राजस्थान में कुछ वक़्त पहले पायलट की बग़ावत को इसी से जोड़कर देखा गया था। 

महाराष्ट्र में किसी भी क़ीमत पर अपने नेता को मुख्यमंत्री बनाने की सियासी ख़्वाहिश रखने वाली बीजेपी ने पिछले साल विधानसभा चुनाव के बाद एनसीपी नेता अजित पवार को तोड़कर उन्हें उप मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी थी। लेकिन शरद पवार ने उसकी इस बग़ावत को फ़ेल कर दिया था।

बहरहाल, इन सब घटनाक्रमों के बीच जब एमएलसी की सीटों के लिए चुनाव हुआ तो महा विकास अघाडी के तीनों दलों ने एकजुटता दिखाते हुए बीजेपी को पीछे धकेल दिया। नागपुर, पुणे, औरंगाबाद, अमरावती और धुले-नंदूरबार सीटों के लिए चुनाव हुए थे। महाराष्ट्र की विधान परिषद में 78 सदस्य हैं, जिनमें से 66 पर चुनाव होता है और 12 को नॉमिनेट किया जाता है। 

आरएसएस और बीजेपी के गढ़ माने जाने वाले नागपुर में तक बीजेपी उम्मीदवार को हार का मुंह देखना पड़ा। नागपुर की इस सीट से कभी केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी चुनाव जीते थे। 

इस हार को महाराष्ट्र बीजेपी के लिए बड़ा झटका इसलिए माना जा रहा है क्योंकि उसने चुनाव में पूरी ताक़त झोंकी थी। नागपुर के अलावा उसके दूसरे गढ़ पुणे में भी पार्टी को हार मिली है। 

आगे की राह मुश्किल

महा विकास अघाडी के दलों की इस जीत से पता चलता है कि बीजेपी के लिए महाराष्ट्र में आगे की राह बेहद मुश्किल है। बीते कुछ दिनों में जिस तरह शिव सेना और बीजेपी के बीच लड़ाई तेज़ हुई है, उसने इन दलों को और क़रीब आने का मौक़ा दिया है। क्योंकि ये जानते हैं कि सरकार में बने रहने और बीजेपी को बाहर रखने के लिए तमाम अंतर्विरोधों को भुलाते हुए एकजुट रहना बेहद ज़रूरी है। 

महाराष्ट्र में अगले साल होने वाले स्थानीय निकाय के चुनावों में भी बीजेपी को इन दलों से कड़ी चुनौती मिलेगी, यह तय है। ऐसे में मराठा प्रभुत्व की राजनीति वाले इस राज्य में मुक़ाबला बेहद कड़ा है। 

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