टारगेट नौकरी देना है या चुनाव, 10 लाख नौकरियों का लक्ष्य अभी भी दूर
प्रधानमंंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गुरुवार 13 अप्रैल को 71000 युवकों को सरकारी नौकरी के नियुक्त पत्र बांटे। इससे पहले जनवरी 2023 में भी इसी तरह पीएम मोदी ने 71000 सरकारी नौकरियों के नियुक्ति पत्र बांटे थे। पिछले साल मोदी ने 10 लाख नौकरियां देने का वादा किया था और इस संबंध में सभी सरकारी विभागों को पत्र लिखे थे। लेकिन बढ़ती बेरोजगारी दर पीएम मोदी के टारगेट को मुंह चिढ़ा रही है। केंद्र में बीजेपी सरकार 9 साल से ज्यादा समय से सत्ता में है लेकिन इतने बड़े पैमाने पर नौकरियां देने की बात कभी नहीं की गई। अब 2024 में लोकसभा चुनाव होने वाला है और केंद्र की बीजेपी सरकार चुनावी मोड में नौकरियां बांट रही है।
भारत की बेरोजगारी दर महीने-दर-महीने लगातार चढ़ती जा रही है। मार्च में, बेरोजगारी दर 7.8 प्रतिशत पर पहुंच गई। देश में हर साल 1.2 करोड़ युवक रोजगार के योग्य हो जाते हैं।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी यानी सीएमआईई के अनुसार बीते अप्रैल में बेरोजगारी दर बढ़कर 7.83% हो गई। यह मार्च में 7.60% थी। शहरी बेरोजगारी दर भी बढ़कर 9.22% हो गई, जो मार्च में 8.28% थी। हाल ही में रिपोर्ट आई थी कि प्रति 100 युवाओं में से क़रीब 25 के पास कोई काम ही नहीं है। हालांकि इसमें पकौड़ा तलने या इस जैसा रोजगार करने वालों को नहीं जोड़ा गया है। वैसे कभी पीएम मोदी ने अपने एक इंटरव्यू में पकौड़ा तलने को भी रोजगार माना था। फिलहाल 100 में से 25 के पास पकौड़ा तलने जैसा रोजगार भी नहीं है।
सीएमआईई का आंकड़ा कहता है कि 2021-22 में 40.18 करोड़ लोगों के पास रोजगार था। 2019-20 में यह संख्या थी 40 करोड़ 89 लाख। इसका मतलब यह है कि 71 लाख लोग बीते दो साल में रोजगार से दूर हो गये। रोजगार में लगे लोगों की तादाद का घटना, बेरोजगार हुए लोगों की संख्या का बढ़ना और श्रमबल में कमी। ये तीनों घटनाएं बताती हैं कि देश में नौकरी के अवसर घटे हैं। लोगों ने नौकरी खोजना या उन्हें नौकरी मिलना बंद हो गई है। फिर भी सरकार ने जनवरी से अब तक 1 लाख 42 हजार युवकों को सरकारी नौकरी का नियुक्ति पत्र थमा दिया है तो इसे वो बड़ी उपलब्धि बताकर पेश कर रही है। तमाम टीवी चैनल इस उपलब्धि पर विशेष रिपोर्ट पेश कर रहे हैं।
देश के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस का कहना है कि केंद्र सरकार में नौ लाख पद खाली हैं। रेलवे में लगभग 15% पद, रक्षा में 40% और गृह मामलों में 12% पद खाली हैं। शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 9% और ग्रामीण क्षेत्रों में 7.2% है।
बीजेपी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में सालाना 2 करोड़ नौकरी देने का वादा किया था। उसे इन सालों में 17 करोड़ नौकरियाँ देना चाहिए था। लेकिन पिछले जून 2022 में पीएम मोदी ने खुद ट्वीट करके कहा था कि अगले डेढ़ साल यानी 2024 तक दस लाख लोगों को नौकरियां दी जाएंगी। ये जो 71000 हजार नियुक्ति पत्र दो बार बांटे गए हैं, यह उसी दस लाख नौकरी मिशन का हिस्सा है। इस तरह पीएम ने खुद ही बता दिया और साबित कर दिया कि पिछले आठ वर्षों में नौकरी देने का कोई ठोस का नहीं हुआ और जब आम चुनाव 2024 सिर पर आ गया तो सरकार 10 लाख नौकरियां मिशन मोड में देने की बात का प्रचार कर रही है।
अब कह रहे हैं साल 2024 तक केवल 10 लाख नौकरी देंगे। करीब 90 लाख पद तमाम सरकारी विभागों में खाली पड़े हैं, अगर कायदे से उन्हीं को भर दिया जाए तो स्थिति कुछ हद तक संभल सकती है। लेकिन इस तरह की कोई योजना नहीं है और न ही कोई प्लानिंग है।
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पिछले बजट में, केंद्र ने अधिक रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए बजट में 33 प्रतिशत की वृद्धि को मंजूरी दी थी। लेकिन वो बजट कहां आया, कहां गया, कुछ पता नहीं। पीएम मोदी ने आज जो नियुक्ति पत्र जारी किए हैं, उनमें ट्रेन मैनेजर, स्टेशन मास्टर, टिकट क्लर्क, कांस्टेबल, इंस्पेक्टर, सब-इंस्पेक्टर, इनकम टैक्स इंस्पेक्टर, पोस्टल असिस्टेंट, अकाउंटेंट, लाइब्रेरियन और शिक्षक शामिल हैं।
यहां यह बताना जरूरी है कि जिस विभाग में जो भी वैकेंसी निकल रही है, उसमें नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होने के बाद वो जानकारी वो पीएमओ तक पहुंचती है। फिर पीएमओ उन विभागों से समन्वय स्थापित कर रोजगार मेला आयोजित करता है और पीएम के हाथों नियुक्ति पत्र दिलवाता है। इस बार का रोजगार मेला वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए वर्चुअल आयोजित किया गया। जिसमें पीएम ने 71000 युवकों को नियुक्त पत्र जारी किए। ऐसा आयोजन महज एक औपचारिकता बन कर रह जाता है, क्योंकि नियुक्ति प्रक्रिया तो पहले ही पूरी हो जाती है। लेकिन चुनाव जीतने के लिए हर करतब जरूरी हो जाता है।