नॉन वेज खाने को लेकर जेएनयू में हुई हिंसा के मामले में कावेरी हॉस्टल की ओर से बयान आया है। कावेरी हॉस्टल की मेस के सचिव ने कहा है कि एबीवीपी के मुताबिक़, 7 दिन पहले यह फैसला हुआ था कि रामनवमी के दिन नॉन वेज खाना नहीं पकाया जाएगा। लेकिन इस तरह का कोई फैसला नहीं लिया गया था। सचिव ने कहा है कि एबीवीपी का यह बयान कि छात्रों ने कहा था कि उन्हें नॉन वेज खाना नहीं चाहिए, यह पूरी तरह झूठ है।
उन्होंने कहा कि मेस के वार्डन ने नॉन वेज खाना नहीं पकाए जाने को लेकर 9 अप्रैल को एक मैसेज भेजा था लेकिन जब हमने लिखित में इसका आदेश मांगा तो दूसरी ओर से कोई जवाब नहीं आया।
कावेरी हॉस्टल यूनियन के अध्यक्ष ने भी कहा है कि एबीवीपी रामनवमी के दिन नॉन वेज खाना नहीं पकाये जाने को लेकर झूठ बोल रही है। इस तरह का कोई भी फैसला नहीं लिया गया था।
उन्होंने कहा कि एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने रविवार शाम को उन लोगों को वार्डन और मेस की सुपरवाइजर से नहीं मिलने दिया और खाना न होने की वजह से कई छात्रों को भूखा रहना पड़ा।
हॉस्टल के अध्यक्ष ने कहा कि एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने मीट की सप्लाई करने वाले को धमकाया और उनका चिकन वापस भेज दिया।
उधर, मारपीट के मामले में जेएनयू छात्र संघ ने कहा है कि एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने उन पर रॉड से हमला किया जिसमें छात्र और 2 सुरक्षाकर्मी घायल हो गए।
जेएनयू छात्रसंघ की ओर से यह भी कहा गया है कि पुलिस को हिंसा होने की आशंका के बारे में सूचित किया गया था। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
दूसरी ओर, एबीवीपी ने सोमवार को कहा है कि उनके संगठन को नॉन वेज खाने को लेकर कोई आपत्ति नहीं है और रविवार को कॉलेज के हॉस्टल में रखी गई रामनवमी की पूजा को ना होने देने की साजिश रची गई थी।
जेएनयू में हुई हिंसा में घायल हुए एबीवीपी के सदस्यों की ओर से दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई है। शिकायत में कहा गया है कि संगठन के तीन कार्यकर्ताओं पर कावेरी हॉस्पिटल के लॉन से निकलते समय रात को 8 बजे हमला किया गया।
रविवार रात को छात्र संगठनों के बीच हुई इस हिंसक झड़प में 16 छात्र घायल हुए हैं। घायल हुए छात्र जेएनयू छात्र संघ और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के हैं। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में मुकदमा दर्ज कर लिया है।