जेएनयू बर्बरता: 'मैं चिल्लाता रहा- अंधा हूँ, मुझे मत मारो, नक़ाबपोश मुझे पीटते रहे'
जेएनयू में रविवार देर शाम को जब नक़ाबपोश कैंपस में हिंसा करने उतरे तो वैसे लोगों को भी नहीं छोड़ा जिन्हें प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार दिव्यांग कहकर बुलाती है। गुहार लगाते हुए दृष्टिहीन को भी नहीं छोड़ा नक़ाबपोश हमलावरों ने। जो भी उन्हें कैंपस में या हॉस्टल के कमरों में मिला, किसी को भी नहीं छोड़ा। यूनिवर्सिटी के छात्रों का कहना है कि कुछ छात्रों को ज़्यादा ही टारगेट कर निशाना बनाया गया था। इसमें कश्मीरी छात्रों, वामपंथी छात्रों, फीस बढ़ोतरी का विरोध कर रहे छात्र भी शामिल हैं।
बता दें कि जेएनयू में रविवार शाम को हिंसा भड़क गई थी। दर्जनों नक़ाबपोश लोगों ने कैंपस में छात्रों और अध्यापकों पर हमला कर दिया। इसमें विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष गंभीर रूप से घायल हो गईं। तब प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार क़रीब 50 गुंडे कैंपस में घुसे, तोड़फोड़ की और लोगों पर हमले भी किए। इस हिंसा में छात्रसंघ अध्यक्ष सहित कम से कम 34 लोगों के घायल होने की रिपोर्ट है। घायलों को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। इन्हीं घायलों में से एक दृष्टिहीन हैं। 25 वर्षीय सूर्य प्रकाश जेएनयू के साबरमती हॉस्टल में ग्राउंड फ़्लोर पर रहते हैं और वह पूरी तरह दृष्टिहीन हैं। 'लाइव मिंट' ने उनसे बातचीत के आधार पर रिपोर्ट प्रकाशित की है।
रिपोर्ट के अनुसार, सूर्य प्रकाश ने कहा, 'क़रीब 6.50 बजे मैं अपने कमरे में बैठकर पढ़ाई कर रहा था, और तभी मैंने बाहर के लोगों की गंदी-गंदी गालियाँ सुनीं। मैंने उन्हें मेरे सामने वाले कमरे पर हमला करने की आवाज़ सुनी और फिर वे मेरे कमरे में आ गए।'
प्रकाश उत्तर प्रदेश के देवरिया से हैं। 'लाइव मिंट' की रिपोर्ट के अनुसार, प्रकाश कहते हैं, “उन्होंने मेरा दरवाज़ा तोड़ दिया और मेरी पीठ और बाँहों पर डंडे से मारना शुरू कर दिया। उनसे शराब की बदबू आ रही थी। मैं चिल्लाता रहा, 'मैं अंधा हूँ मुझे छोड़ दो!’ लेकिन भीड़ नहीं पसीजी। एक व्यक्ति ने कहा, ‘ये झूठ बोल रहा है इसे मारो’ और वे मुझे तब तक पीटते रहे जब तक कि समूह के एक व्यक्ति ने दूसरों को यह नहीं बताया कि ‘मैं वास्तव में अंधा हूँ।”
जब सूर्य प्रकाश गंभीर रूप से घायल हो गए तो उनके समूह के छात्रों ने उन्हें एम्स में भर्ती कराया जहाँ उनका इलाज किया गया। रिपोर्ट के अनुसार वह कहते हैं, "मेरे पास कॉल आ रहे हैं और यह कहा जा रहा है कि यदि मैंने किसी को (हमलावरों के बारे में) बताया तो मैं सुरक्षित नहीं रहूँगा। मैं डरा हुआ हूँ, मैं यहाँ से जाना चाहता हूँ ताकि मैं सुरक्षित महसूस कर सकूँ। मुझे उम्मीद है कि प्रशासन हमारी मदद करेगा।"
रिपोर्ट के अनुसार, साबरमती हॉस्टल में फ़र्स्ट फ़्लोर पर कमरा संख्या 156 के बाहर खड़े एक छात्र राहुल पाण्डेय ने दरवाज़े की ओर इशारा करते हुए कहा कि दरवाज़ा पाऊडर से ढँका है और उन्होंने दावा किया कि यह घातक चीज है। उन्होंने और वहाँ मौजूद दूसरे छात्रों ने कहा कि यह कमरा कश्मीरी छात्र का है। वे मानते हैं कि कश्मीरी छात्र के होने के कारण ही उस कमरे को विशेष रूप से और घातक तरीक़े से निशाना बनाया गया। एक छात्र ने कहा कि उनको उस छात्र पर हमले की ज़्यादा चिंता थी। पाण्डेय इसका कारण भी बताते हैं। वह कहते हैं, 'उसके कमरे को निशाना बनाने के कई कारण हो सकते हैं- पहला कि वह कश्मीरी है, दूसरा कि वह मुसलिम है।
वाराणसी से आने वाले एक जेएनयू छात्र ने कहा, 'उन्होंने (हमलावरों ने) एसिड, ईंटें, चप्पल जो कुछ भी उन्हें मिला उन्होंने फेंके। रॉड से खिड़कियाँ तोड़ दीं। दो-तीन लोगों को पैनिक अटैक आया और दूसरे डर से काँप रहे थे।'
प्रयागराज से आने वाले एक छात्र ने कहा कि वह अपनी जान बचाने के लिए सीढ़ियों से ऊपर की ओर भागे और बॉक्सों के ढेर में छुप गए। उन्होंने कहा कि शोरगुल ख़त्म हुआ तभी वह बाहर निकले।
बता दें कि रविवार को क़रीब तीन घंटे तक नक़ाबपोश लोगों ने जेएनयू कैंपस में हिंसा की। आरोप लगाया जा रहा है कि पुलिस वहाँ खड़ी रही लेकिन उसने हिंसा रोकने के लिए कुछ नहीं किया।
विश्वविद्यालय में फीस में बढ़ोतरी के ख़िलाफ़ छात्र क़रीब 70 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। इसमें छात्रों और प्रशासन के बीच विवाद रहा है। छात्रों के प्रदर्शन के कारण जेएनयू के कई संकाय बंद भी रहे हैं। इस बीच रविवार को एबीवीपी और प्रशासन रजिस्ट्रेशन शुरू करने के लिए बंद गेट को खोलना चाहते थे। इस कारण फीस बढ़ोतरी का विरोध कर रहे वामपंथी विचार वाले छात्रों के साथ उनकी झड़प भी हुई थी।