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जेएनयू: दीपिका के पीछे पड़ी ट्रोल आर्मी, बताया 'टुकड़े-टुकड़े गैंग<u></u>' का सदस्य

जेएनयू: दीपिका के पीछे पड़ी ट्रोल आर्मी, बताया 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' का सदस्य

सोशल मीडिया पर एक वर्ग ने दीपिका के जेएनयू पहुंचते ही उन्हें बुरी तरह ट्रोल करना शुरू कर दिया है और कहा कि वह टुकड़े-टुकड़े गैंग की सदस्य हैं।

बॉलीवुड की मशहूर अदाकारा दीपिका पादुकोण के जेएनयू के छात्रों के समर्थन में पहुंचने के बाद बॉलीवुड से जुड़े कई लोगों ने उनके इस क़दम की सराहना की है। फ़िल्म निर्देशक अनुराग कश्यप से लेकर फ़िल्म निर्माता अनुभव सिन्हा, गायक विशाल ददलानी, फ़िल्म अभिनेत्री रिचा चड्ढा, स्वरा भास्कर सहित कई लोगों ने उनके इस क़दम को बहादुरी भरा बताया है। लेकिन सोशल मीडिया पर एक वर्ग ने छात्रों के समर्थन में जेएनयू पहुंचने पर दीपिका को बुरी तरह ट्रोल करना शुरू कर दिया है और कहा है कि वह टुकड़े-टुकड़े गैंग की सदस्य हैं। इस वर्ग ने ट्विटर पर #BycottDeepika नाम से हैशटैग चलाया हुआ है। 

इस वर्ग ने सोशल मीडिया पर उनकी फ़िल्म ‘छपाक’ का भी बॉयकॉट करने की अपील की है। इसकी शुरुआत की दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता तजिंदर पाल सिंह बग्गा ने। बग्गा ने दीपिका के जेएनयू के छात्रों के साथ मौजूद होने की फ़ोटो ट्वीट कर कहा कि दीपिका पादुकोण की फ़िल्म का बॉयकाट करें क्योंकि उन्होंने टुकड़े-टुकड़े गैंग और अफज़ल गैंग का समर्थन किया है। 

बीजेपी की हरियाणा इकाई के आईटी और सोशल मीडिया हेड अरुण यादव ने ट्वीट किया कि जो देश के लिए जीते-मरते हैं, हम उन्हीं का साथ देंगे। यादव ने छपाक फ़िल्म का बॉयकाट करने और अजय देवगन की फ़िल्म देखने की बात कही है। 

दिग्विजय सिंह ने दीपिका को जेहादी बताते हुए लिखा है कि वह अजय देवगन की ताण्हाजी फ़िल्म से डर गई हैं और चाहती हैं कि देशद्रोही व टुकड़े-टुकडे़ गैंग ही उनकी फ़िल्म को देख लें! दिग्विजय सिंह ने ट्विटर पर अपने बायो में लिखा है कि वह बीजेपी के आईटी विभाग के मेरठ जिले के संयोजक हैं।

हिंदुस्तानी नाम के ट्विटर यूजर की ओर से लिखा गया है कि दीपिका कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी की फ़ैन रही हैं और उन्हें टुकड़े-टुकड़े गैंग का समर्थन करते देखने में कोई आश्चर्य नहीं है। 

कुछ लोगों ने दीपिका के एक पुराने इंटरव्यू का छोटा सा हिस्सा वायरल करना शुरू कर दिया है जिसमें दीपिका कह रही हैं कि राहुल गाँधी युवाओं से कनेक्ट होते हैं और उन्हें भारत का प्रधानमंत्री बनना चाहिए। 

अंजू शर्मा नाम की ट्विटर यूजर ने लिखा है कि जो लोग भी जेएनयू के दंगाइयों के साथ खड़े हैं, उनका बॉयकाट किया जाना चाहिए। 

दीपिका के ख़िलाफ़ जैसे ही ट्रोल आर्मी ने #BycottDeepika ट्रेंड कराना शुरू किया, दूसरी ओर उनके इस क़दम का समर्थन करने वाले भी मैदान में आ गए और उन्होंने #ChhapakDekhoTapaakSe ट्रेंड कराना शुरू कर दिया। 

वरिष्ठ पत्रकार कादिंबनी शर्मा ने ट्वीट किया कि ‘छपाक’ उस लड़की की कहानी है जिस पर एसिड अटैक हुआ। दीपिका फ़िल्म की सह प्रोड्यूसर भी हैं। बेटी बचाने, बेटी पढ़ाने के साथ-साथ बेटी के हिम्मत नहीं हारने की भी ज़रूरत है। 

अतोशी नाम की ट्विटर यूजर ने लिखा कि दीपिका बहादुर महिला है और बिना अपनी फ़िल्म की चिंता किए वह जेएनयू के छात्रों के समर्थन में उतरी हैं। 

मनोज बुद्धिष्ठ नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा कि वह अपने 25 दोस्तों के साथ छपाक फ़िल्म देखने जा रहे हैं। 

वरिष्ठ पत्रकार मिलिंद खांडेकर ने ट्वीट किया है कि फ़िल्म जगत से जुड़े 87 लोगों ने जेएनयू के छात्रों का साथ दिया है। इसमें दीपिका पादुकोण, आलिया भट्ट, तापसी पन्नू से लेकर, सोनम कपूर, आयुष्यमान खुराना, मनोज वाजपेयी, फ़रहान अख़्तर और कई अन्य लोगों के नाम शामिल हैं। 

अब सवाल यह है कि आख़िर दीपिका ने जेएनयू के छात्रों के समर्थन में पहुंचकर ऐसा क्या गुनाह कर दिया कि उन्हें जेहादी, टुकड़े-टुकड़े गैंग की समर्थक, देशद्रोही बताया जाने लगा। जेएनयू में नक़ाबपोशों ने किस तरह छात्रों और टीचर्स को पीटा, क्या यह उनके ख़िलाफ़ अभियान चलाने वाले लोगों ने नहीं देखा। जेएनयू के छात्र बस यही तो चाहते हैं कि उन्हें पीटने वालों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई हो और अगर उन्हें फ़िल्म जगत से जुड़ी कोई हस्ती समर्थन देती है तो इसमें आख़िर परेशानी कहां है। पिछले कुछ सालों में यह ट्रेंड बन गया है कि जो भी जेएनयू के छात्रों के समर्थन में बोलेगा उसे टुकड़े-टुकड़े गैंग का समर्थक, देशद्रोही, पाकिस्तानी बता दिया जाएगा। उससे कहा जाएगा कि वह खाता/खाती यहां का है और गाते/गाती पाकिस्तान का हैं। 

दीपिका को ट्रोल करने वालों को यह समझना चाहिए कि जेएनयू में हुई बर्बरता की बात दुनिया भर तक पहुंची है। प्रतिष्ठित ब्रिटिश अख़बार ‘फ़ाइनेंशियल टाइम्स’ ने इस हिंसा की ख़बर की हेडिंग लिखी है - ‘दिल्ली की सेक्युलर यूनिवर्सिटी में राष्ट्रवादियों की भीड़ ने हिंसा की।’ नोबेल अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी इसे नात्सीवाद की गूंज बता चुके हैं। ऐसे में बजाय इसके कि जेएनयू में घुसकर 30 से ज़्यादा लोगों को बेरहमी से पीटने वालों के ख़िलाफ़ खड़े हुआ जाए, यह ‘भीड़’ अपने लिए न्याय माँगने वाले और उनका समर्थन करने वालों को ही देशद्रोही बताने और उनका बॉयकाट करने की अपील कर रही है। ऐसे में फ़ैसला अब जनता के ही हाथों में है। 

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