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दुष्यंत चौटाला ने की फ्लोर टेस्ट की मांग; हरियाणा सरकार संकट में?

दुष्यंत चौटाला ने की फ्लोर टेस्ट की मांग; हरियाणा सरकार संकट में?

क्या हरियाणा में बीजेपी की नायब सिंह सैनी सरकार बहुमत साबित कर पाएगी? जानिए, बीजेपी के ही पूर्व सहयोगी दुष्यंत चौटाला की जेजेपी ने अब क्या चुनौती उसके सामने खड़ी कर दी है। 

हरियाणा में बीजेपी सरकार का संकट अब और बढ़ गया है। तीन निर्दलीय विधायकों के पाला बदलने के बाद अब दुष्यंत चौटाला ने फ्लोर टेस्ट के लिए राज्यपाल को ख़त लिख दिया है। उन्होंने कहा है कि सरकार अब अल्पमत में आ गई है इसलिए वह विधानसभा में बहुमत साबित करे। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि जेजेपी अपने 10 विधायकों को चंडीगढ़ लेकर पहुंचे तो वह राज्यपाल के पास चंडीगढ़ अपने 30 विधायक लेकर पहुंच जाएँगे। रिपोर्ट है कि कांग्रेस विधायक दल जल्द राज्यपाल से मिलना चाहता है और इसके लिए राज्यपाल से वक्त मांगा है। इसने कहा है कि राष्ट्रपति शासन लागू करने और प्रदेश में जल्द चुनाव करवाने की मांग की है।

दो दिन पहले ही यानी मंगलवार को तीन निर्दलीय विधायकों के बीजेपी से समर्थन वापस लेने और कांग्रेस को समर्थन देने के बाद बीजेपी की नायब सिंह सैनी सरकार के सामने संकट खड़ा हो गया है। हाल ही में दुष्यंत चौटाला की जेजेपी के समर्थन वापस लेने के बाद से इन्हीं निर्दलीयों के समर्थन से बीजेपी सरकार चल रही थी।  

भाजपा के पास वर्तमान में विधानसभा में 40 विधायक हैं, जो अब 88 सदस्यीय सदन में बहुमत के आंकड़े 45 से दूर है। भाजपा सरकार के पास अब 43 विधायकों (निर्दलीय सहित) का समर्थन है। हालाँकि उसने मंगलवार को दावा किया कि जननायक जनता पार्टी यानी जेजेपी के चार विधायक भी 'जरूरत पड़ने पर सरकार को सहायता' की पेशकश कर सकते हैं, जिससे उसकी ताकत 47 हो जाएगी। 

जेजेपी मार्च में बीजेपी गठबंधन सरकार से बाहर हो गई थी। जेजेपी के 10 विधायक हैं। सदन में कांग्रेस के 30 विधायक हैं। तीन निर्दलियों के समर्थन से उसकी संख्या 33 हो गई है।

राज्य में ताज़ा घटनाक्रम तब बदले जब मंगलवार को तीन निर्दलीय विधायकों- चरखी दादरी से विधायक सोमवीर सांगवान, पुंडरी से विधायक रणधीर गोलन और नीलोखेड़ी से विधायक धर्मपाल गोंदर ने हरियाणा में भाजपा सरकार से समर्थन वापस ले लिया और कांग्रेस को बाहर से समर्थन दे दिया।

कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कहा कि जनता की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए इस सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिए और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए। हालाँकि, उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात नहीं कही।

अविश्वास प्रस्ताव क्यों लाना चाहते हैं दुष्यंत?

तीन निर्दलीय विधायकों के बीजेपी का साथ छोड़ने के बाद दुष्यंत चौटाला अविश्वास प्रस्ताव लाने पर काफी जोर दे रहे हैं। उन्होंने गेंद हुड्डा के पाले में डाल दिया और कहा है कि अगर कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लाती है तो वह उसे समर्थन देंगे। 

द इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक साक्षात्कार में दुष्यंत ने कहा, 'मैंने कहा है कि अगर विपक्ष के नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा सरकार गिराने के लिए कदम उठाएंगे तो मैं बाहर से कांग्रेस का समर्थन करूंगा। वह विपक्ष के नेता हैं और कांग्रेस सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है। उन्हें राज्यपाल के पास जाना होगा और आगे बढ़ना होगा। विपक्ष के रूप में हम उनके साथ खड़े रहेंगे। आज इस सरकार के पास बहुमत नहीं है, इसलिए सीएम को इस्तीफा दे देना चाहिए। हम राज्यपाल को भी लिखेंगे और अपना योगदान देंगे, लेकिन इसकी शुरुआत भूपिंदर हुड्डा को करनी होगी। हम सामूहिक विपक्ष का हिस्सा बनेंगे और वर्तमान सरकार के खिलाफ वोट करेंगे।'

इंटरव्यू में दुष्यंत से पूछा गया कि भूपिंदर हुड्डा का कहना है कि अगर दुष्यंत गंभीर हैं तो उन्हें पहले अपने सभी विधायकों की राज्यपाल के सामने परेड करानी चाहिए, क्या आप ऐसा करेंगे? इस सवाल पर दुष्यंत ने कहा, 'मैं ऐसा क्यों करूँ? वह विपक्ष के नेता हैं, उन्हें इसकी पहल करनी चाहिए। मैं राज्यपाल को पत्र लिखूंगा और राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग करूंगा। यदि हुड्डा पहल नहीं करते हैं, तो यह केवल उनके द्वारा सामना किये जा रहे ईडी और सीबीआई मामलों के कारण होगा।'

बहरहाल, अब चौटाला ने खुद ही सरकार को पत्र लिखकर फ्लोर टेस्ट की मांग करते हुए मौजूदा सरकार से बहुमत साबित करने को कहा है।

क्या जेजेपी के सभी विधायक दुष्यंत के साथ हैं?

मार्च महीने में हरियाणा के मुख्यमंत्री पद से मनोहरलाल खट्टर के इस्तीफा देने के बाद जेजेपी ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। तब जेजेपी के छह विधायकों ने चौटाला से खुद को दूर कर लिया था। इन्हीं के बारे में अब कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि एक बागी विधायक देवेंद्र बबली जेजेपी पर दावा ठोकने की तैयारी में हैं। टोहना के विधायक बबली ने दैनिक जागरण से इंटरव्यू में कहा है कि दुष्यंत चौटाला को पार्टी विधायक दल का नेता उन्होंने चुना था और 'अब अगर 10 में से 7 विधायक उन्हें विधायक दल के नेता से हटा दें तो क्या व्हिप का खेल माँ बेटा आपस में ही खेलते रहेंगे'। 

विधायकों के बागी होने को लेकर दुष्यंत ने कहा है, 'सभी विधायक फिलहाल जेजेपी के साथ हैं। एक व्हिप जारी किया गया था और उनमें से किसी ने भी मतदान नहीं किया, भले ही सदन में कुछ लोग थे, वो बाहर चले गए और मतदान नहीं किया। जेजेपी के विधायक पार्टी के सदस्य रहते हुए व्हिप का उल्लंघन नहीं कर सकते। मेरे तीन विधायक दूसरे राजनीतिक दलों के साथ मंच पर पाए गए। पार्टी ने उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है। हमारे पास उनके दृश्य, वीडियो और पोस्टर भी हैं। उन्हें नोटिस का जवाब देना होगा। ऐसे मामलों में एक प्रक्रिया अपनाई जाती है। दोनों में से किसी ने भी अब तक जवाब नहीं दिया है। एक बार जब वे ऐसा करते हैं, और यदि उनके उत्तर असंतोषजनक पाए जाते हैं, तो हम विधानसभा अध्यक्ष को लिखेंगे और उन्हें अयोग्य घोषित करने की मांग करेंगे।'

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