झारखंड: महागठबंधन के विधायकों को 'सुरक्षित' करने की तैयारी

03:24 pm Aug 27, 2022 | सत्य ब्यूरो

झारखंड में चल रही राजनीतिक गहमागहमी के बीच राज्य की महागठबंधन सरकार अपने विधायकों को 'सुरक्षित' करने के काम में जुट गई है। मुख्यमंत्री सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायकों के साथ बसों से निकल गए हैं। बताया जाता है कि वे सभी रांची से 30 किलोमीटर दूर खूंटी गए हैं। जबकि कांग्रेस विधायकों को छत्तीसगढ़ ले जाए जाने की तैयारी है। 

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है जबकि झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल मिलकर सरकार चला रहे हैं। 

शनिवार को कई विधायक अपने बैग के साथ जब मुख्यमंत्री आवास पर पहुंचे तो विधायकों को सुरक्षित करने की चर्चा सामने आई। बीते कुछ दिनों से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आवास पर महागठबंधन के विधायकों की लगातार बैठक चल रही है। 

इससे पहले भी महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में बीजेपी, कांग्रेस और अन्य दल अपने विधायकों को दूसरे राज्यों में ले जाकर सुरक्षित करते रहे हैं। 

झारखंड में इस बात की आशंका है कि ऑपरेशन लोटस के तहत बीजेपी महागठबंधन के विधायकों में सेंध लगा सकती है। 

इस बीच, सूत्रों के मुताबिक, चुनाव आयोग ने खनन मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को दोषी ठहराते हुए विधानसभा से उनकी अयोग्यता की सिफारिश की है। इसका मतलब यह है कि राज्यपाल द्वारा अयोग्यता के संबंध में नोटिफिकेशन जारी करने के बाद सोरेन को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा। 

साथ ही उनके मंत्रिमंडल को भी इस्तीफा देना होगा। हालांकि, वह छह महीने के भीतर उपचुनाव लड़कर फिर से विधानसभा के लिए निर्वाचित हो सकते हैं।

सरकार के पास है समर्थन 

81 सदस्यों वाली झारखंड की विधानसभा में इस समय झामुमो के सर्वाधिक 30 विधायक हैं। बीजेपी के 26, कांग्रेस के 18, आजसू के 2 और भाकपा-माले, राकांपा, राजद के पास एक-एक विधायक हैं। दो विधायक निर्दलीय हैं। 

नकदी के साथ पकड़े गये तीन विधायकों को हटाकर भी हेमंत सरकार के पास पर्याप्त समर्थन है। दूसरी ओर बीजेपी के पास कुल 30 विधायकों का समर्थन माना जा रहा है जो बहुमत से 11 कम है। बहुमत के लिए 41 विधायकों का समर्थन चाहिए।

नकदी के साथ पकड़े गए कांग्रेस के 3 विधायकों के खिलाफ कांग्रेस ने विधानसभा स्पीकर से दलबदल की शिकायत की है। शिकायत पर स्पीकर ने इन तीनों विधायकों को नोटिस जारी कर दिया है। स्पीकर ने नोटिस में कहा है कि विधायक 1 सितंबर तक अपना पक्ष उनके सामने रखें। माना जा रहा है कि इन तीनों विधायकों की सदस्यता खत्म हो सकती है। इन विधायकों के नाम डॉ. इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और नमन बिक्सल हैं।  

इस बीच, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि केंद्र सरकार और बीजेपी को जितना कुचक्र रचना है रच ले, कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि वह आदिवासी के बेटे हैं और डरने वाले नहीं, लड़ने वाले लोग हैं।

सोरेन ने कहा कि उनकी सरकार को गिराने की कोशिश की जा रही है। पुलिस, ईडी, इनकम टैक्स, सीबीआई को आदेश देकर उनकी सरकार को रोका जा रहा है। 

जबकि बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि आदिवासी उत्थान के नाम पर झूठे वादे कर सोरेन ने सत्ता तो हासिल कर ली, लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा लूटने का काम किया। बेरोजगारों को नौकरी, किसानों की ऋण माफी, बेरोजगारी भत्ता सबके सब जुमले ही साबित हुए।