28 नवंबर को झारखंड के 14वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने वाले हेमंत सोरेन उत्साह और आत्म विश्वास से लबरेज नजर आ रहे थे। तब हेमंत सोरेन ने अपनी इस नई पारी को ‘अबुआ सरकार’ यानी अपनी सरकार बताया था। पांच दिसंबर को मंत्रिमंडल विस्तार के वक्त भी हेमंत सोरेन आत्मविश्वास में दिख रहे थे। उन्होंने कहा है कि सरकार तेज गति से काम करेगी। हालांकि इन सबके बीच हेमंत सोरेन सरकार के सामने ‘अबुआ सरकार’ की छवि को स्थापित करने की कई चुनौतियां भी हैं।
इस बार हेमंत सोरन की अगुवाई में इंडिया ब्लॉक ने 56 सीटों पर प्रचंड जीत हासिल की है। 81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 41 है। झारखंड के चुनावी इतिहास में यह पहला मौका है, जब किसी गठबंधन को इतना शानदार जनादेश मिला है। जाहिर तौर पर हेमंत सरकार के सामने इस जनादेश का विश्वास जीतना चुनौती भरा है।
हेमंत सोरेन मंत्रिमंडल में जेएमएम से छह विधायकों- दीपक बिरूआ, रामदास सोरेन, चमरा लिंडा, हफीजुल हसन, सुदिव्य कुमार और योगेंद्र प्रसाद को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। दीपक बिरूआ, रामदास सोरेन और हफीजुल हसन पहले भी सरकार में मंत्री रहे हैं। कांग्रेस कोटा से चार- राधाकृष्ण किशोर, दीपिका सिंह पांडेय, इरफान अंसारी और शिल्पी नेहा तिर्की को और आरजेडी से संजय प्रसाद यादव को कैबिनेट में जगह मिली है। दीपिका सिंह पांडेय, इरफान अंसारी पहले भी सरकार में मंत्री रहे हैं। छह टर्म के विधायक राधाकृष्ण किशोर को विधायी और वित्तीय प्रबंधन के कार्यों का जानकार माना जाता है।
शासन का इकबाल कायम करनाः झारखंड के बारे में आम धारणा है कि अलग राज्य गठन के 25 साल हुए, पर संतुलित, सम्यक विकास और भविष्य का तानाबाना कहीं पीछे छूट गया। 2019 में हेमंत सोरेन के सत्ता में काबिज होने के बाद से शासन के इकबाल और पारदर्शिता को लेकर सवाल उठते रहे हैं। इनमें लॉ एंड ऑर्डर को दुरूस्त करना, अवैध माइनिंग खासकर बालू और कोयले की चोरी को रोकना और अधिकारियों, कर्मचारियों को निचले से शीर्ष स्तर पर जनता के बीच जवाबदेह बनाना और कथित तौर पर करप्शन को रोकने और ट्रांसफर- पोस्टिंग को पारदर्शी बनाने पर हेमंत सोरेन के इरादे और वादे पर सबकी नजरें है।
पिछली सरकार के कार्यकाल में राज्य के कई आला अधिकारियों और इंजीनियरों को करप्शन और खासकर मनी लांड्रिंग से जुड़े मामलों में प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था। जबकि इस साल के मई महीने में ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम को भी प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था। इसके बाद आलम को इस्तीफा देना पड़ा। अभी वे जेल में हैं। इससे राज्य की छवि को नुकसान भी पहुंचा। चुनाव में भी विपक्षी दलों ने इन मुद्दों को पुरजोर उछाला था।
हेमंत सोरेन एक बेहतर शासन स्थापित करने की कोशिशों में चाहेंगे कि सिस्टम को टाइट रखें, जिससे जनता का भरोसा जीता जा सके। इस बीच तीन दिसंबर को हेमंत सोरेन ने विधि व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिए आला अधिकारियों के साथ बैठक में अवैध माइनिंग को हर हाल में रोकने को कहा है। इसके साथ ही प्रदेश में विधि व्यवस्था को चाक- चौबंद करने के लिए उन्होंने कई सख्त निर्देश दिए हैं।
वैसे भी झारखंड में चाहे सरकारें जिसकी रही, कथित तौर पर नौकरशाही सत्ता में हावी रही। चौथी बार मुख्यमंत्री बने हेमंत सोरेन शासन- प्रशासन की हर कमजोर कड़ियों को करीब से जानने- समझने लगे हैं। राज्य की बड़ी आबादी की जरूरतों और जनाकांक्षाओं से भी वे वाकिफ हैं। पिछले कार्यकाल में कई मोर्चे पर उन्होंने राज्य हित में अहम फैसले लिए। कई बड़ी योजनाओं को धरातल पर उतारा। कई योजनाएं भी शुरू की। नौकरशाही के कथित कॉकस को सत्ता पर हावी होने से रोकने और तेज- तर्रार अफसरों को प्रमुख जिम्मेदारियों के साथ उन्हें अगली कतार में लाने के लिए हेमंत सोरेन कौन से प्रभावी कदम उठाते हैं, इस ओर सबकी निगाहें टिकी हैं। इसके साथ ही अलग- अलग क्षेत्रों के एक्सपर्ट्स के साथ रायशुमारी के बाद विजन और डाक्यूमेंट्स बेस्ड तथा टाइम बाउंड काम की चुनौती भी सरकार के सामने है।
वित्तीय प्रबंधन के मोर्चे परः हेमंत सरकार के लिए वित्तीय प्रबंधन के मोर्चे पर राज्य को मजबूत बनाने की अहम चुनौती है। सरकार की एक महत्वाकांक्षी- मुख्यमंत्री मईंयां सम्मान योजना के तहत 50 लाख महिलाओं को उनके खाते में हर महीने एक हजार रुपए की राशि भेजी जा रही है। चुनावी वादे के अनुरूप इसी महीने से महिलाओं के खाते में ढाई हजार रुपए भेजे जाने की तैयारी है। सरकार ने पहले ही बिजली उपभोक्ताओं का बकाया बिल माफ कर दिया है। दो सौ यूनिट बिजली भी मुफ्त कर दी गई है।
इधर इंडिया ब्लॉक ने लोगों से 15 लाख तक पारिवारिक स्वास्थ्य बीमा का लाभ देने का वादा किया गया है। जाहिर तौर पर इन सबका खजाने पर बड़ा बोझ पड़ेगा। इस बीच झारखंड में बिजली का टैरिफ बढ़ाने का मसौदा तैयार किया गया है। सरकार को जनता पर बोझ दिए बिना राजस्व संग्रह को बढ़ाने के लिए गंभीरता से प्रयास करना होगा।
हालांकि हेमंत सोरेन की इस ओर सीधी नजर है। दो दिसंबर को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राजस्व संग्रहण बढ़ाने के लिए सभी विभागों को एक्शन प्लान बनाने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही स्थापना व्यय को नियंत्रित करने को कहा है। उन्होंने अधिकारियों से यह भी कहा है कि विभिन्न कंपनियों और उद्योग समूहों से बातचीत कर राजस्व राजस्व बढ़ोतरी की संभावनाएं तलाशे जाएं।
किसान कल्याण, खाद्य सुरक्षा और शिक्षा की गारंटी
इंडिया ब्लॉक की गारंटी में प्रति व्यक्ति सात किलो राशन देने और हर गरीब परिवार को साढ़े चार सौ रुपए में गैस सिलेंडर देने का वादा किया गया है। इनके अलावा धान की एमएसपी को 2400 रुपए से बढ़ाकर 3200 रुपए करने का वादा है। राज्य की 75 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। कृषि उत्पादन को बढ़ाने और बाजार मुहैया करने के लिए सरकान को नवाचार प्रयोग करने होंगे।
नीति आयोग ने बहुआयामी गरीबी सूचकांक द्वारा झारखंड को भारत के दूसरे सबसे गरीब राज्य के रूप में वर्गीकृत किया गया है। अभी भी इसकी अधिकांश ग्रामीण आबादी स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच के बिना रह रही है। नीति आयोग के अनुसार, बहुआयामी ग्रामीण गरीबी दर 2015-16 में 50.92 प्रतिशत से घटकर 2019-21 में 34.93 प्रतिशत हो गई है, फिर भी कई परिवार अभी भी आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर हैं और सरकारी योजनाओं और लाभों तक उनकी पहुंच नहीं है। लिहाजा इन सेक्टर में आमूलचूल बदलाव और प्रतिबद्धता के साथ काम करना सरकार की चुनौती होगी।
इस बीच लोकतंत्र बचाओ मोर्चा ने मंत्रिमंडल विस्तार के साथ ही जनमत के अनुरूप जन मुद्दों पर सरकार से कार्रवाई सुनिश्चित करने की मांग की है। इनमें राज्य में व्यापक कुपोषण को दूर करने के लिए आंगनबाड़ियों और स्कूलों में मिड डे मील में सभी बच्चों को अंडा देने के साथ महिला आय़ोह, मानव अधिकार आयोग और सूचना आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर कारगर कदम उठाने पर जोर दिया है।
नौकरी, रोजगार और पारदर्शी परीक्षाएंः हैइंडिया ब्ल़ॉक ने चुनाव से पहले ‘एक वोट सात गांरटी’ के नाम से जारी अपने घोषणा पत्र में झारखंड में दस लाख युवाओं को नौकरी, रोजगार देने का वादा किया है। 2019 में भी हेमंत सोरेन ने नौकरी, रोजगार के सवाल पर युवाओं से कई अहम वादे किए थे। लेकिन नियुक्तियों, रोजगार, वेकैंसी और पारदर्शी प्रतियोगिता परीक्षाओं को लेकर युवाओं के बीच हताशा और निराशा के स्वर सुनाई पड़ते रहे हैं।
राज्य में सरकारी विभागों में करीब तीन लाख पद खाली हैं। इन पदों को भरे जाने की बड़ी चुनौती सरकार के सामने है। इनके अलावा झारखंड लोकसेवा आयोग और झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग को प्रभावी बनाने के लिए भी सरकार को सख्त कदम उठाने होंगे। हालांकि पेपर लीक को लेकर सरकार ने सख्त कानून बनाया है और भर्तियों को लेकर कई नियुक्ति नियमावली में भी बदलाव किए हैं। लेकिन इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए, इसके लिए अलग- अलग स्तरों पर व्यवस्था में बदलाव निहायत जरूरी है।
इस बीच 28 नवंबर को शपथ लेने के बाद कैबिनेट की पहली बैठक में सरकार ने निर्णय लिया है कि सभी रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए झारखंड लोक सेवा आयोग, झारखंड कर्मचारी आयोग तथा अन्य प्राधिकार 1 जनवरी, 2025 के पूर्व परीक्षा कैलेंडर प्रकाशित करेंगे। अगे, इस कैलेंडर के अनुरूप अगर परीक्षाएं लेकर रिजल्ट देने में हेमंत सोरेन सरकार सफल रही, तो मानव संसाधन के क्षेत्र में बड़ा कदम हो सकता है।
चिकित्सा के क्षेत्र में आधारभूत संरचना को सुदृढ़ करने, डॉक्टरों, नर्सों तथा पैरा मेडिकल की भर्तियों के लिए सरकार के सामने टाइम बाउंड काम करने की भी बड़ी चुनौती है। अलग राज्य गठन के 25 साल होने के बाद भी चिकित्सा के क्षेत्र में राज्य के हालात अच्छे नहीं हैं। इसी तरह शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण और प्रभावी बनाने के लिए आमूलचूल बदलाव की जरूरत है।
एक लाख 36 हजार करोड़ के बकाये की वसूलीः राज्य सरकार का कोयला कंपनियों पर एक लाख 36 हजार करोड़ रुपए के बकाए की वसूली को लेकर हेमंत सरकार ने निर्णय लिया है कि केंद्र सरकार/केंद्रीय उपक्रमों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी।
हेमंत सोरेन ने पहले ही कहा है कि झारखंड जैसे देश के पिछड़े राज्य में सामाजिक सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके लिए अपना आर्थिक स्रोत बढ़ाने की ज़रूरत है। इस बकाए को लेकर हेमंत सोरेन लगातार बीजेपी और केंद्र सरकार पर निशाने साधते रहे हैं। चुनाव में भी इसे उन्होंने प्रमुख मुद्दे के तौर पर उछाला था और कहा था कि इसी बकाए की मांग की वजह से उन्हें जेल में डाला गया था।
हेमंत सोरेन का पक्ष है कि बकाया राशि नहीं मिलना राज्य के विकास में बाधक है। विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान भी हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन ने इस मामले को पुरजोर उछाला। उनका कहना है कि यदि कोयला कंपनियों द्वारा राज्य के वैध बकाया का समय पर भुगतान कर दिया जाता है, तो झारखंड के लोग सामाजिक क्षेत्र की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं। ऐसा होने पर गरीबी से लड़ने और राज्य के लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा करने में मदद मिलेगी।
पेसा, सरना कोड, स्थानीयता और आरक्षण
झारखंड में आदिवासियों के बहेतेरे सवाल हैं। उनकी बड़ी आबादी समुचित विकास से पीछे हैं। रोजगार, सिंचाई, शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में आदिवासी अपने को वंचित और उपेक्षित महसूस करते रहे हैं। वनोत्पाद और खनिज संपदा पर उनका भी हक और अधिकार बनता है।इंडिया ब्लॉक ने आदिवासियों के लिए जनगणना में सरना कोड लागू करने और अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति तथा पिछड़ा वर्ग का आरक्षण बढ़ाने तथा 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू कराने की गारंटी दी है। गौरतलब है कि ये तीनों मुद्दे संवेदनशील रहने के साथ सियासत के केंद्र में रहे हैं।
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने पिछले चुनावों में भी इन मुद्दे को अपने वादे में शामिल किए थे। इन मुद्दों पर कायम रहने के लिए हेमंत सोरेन ने एक बार फिर प्रतिबद्धता तो जताई है, लेकिन इसे अंजाम तक पहुंचाने की चुनौती भी बड़ी है।
चुनाव के समय हेमंत सोरेन ने जोर दिया था कि झारखंड में एनआरसी नहीं पेसा कानून सीएनटी- एसपीटी चलेग। अब सरकार के सामने पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार )अधिनियम 1996 को लागू कराने की चुनौती है। झारखंड में सरना कोड और पेसा लागू करना आदिवासियों की भावना से जुड़ा मसला है। भूमिहीन, दलित और विस्थापितों के आवासीय और जाति प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया को सरल करने, वनाधिकार और सामुदायिक पट्टे के अलावा विस्थापन, पलायन जैसे गंभीर मुद्दे पर सरकार को काम करने होंगे।
हेमंत सोरेन सरकार ने अबुआ आवास योजना के तहत चार साल में बीस लाख लोगों को तीन कमरो का पक्का मकान देने की योजना शुरू की है। इस योजनो को गति मिले और लक्ष्य हासिल किए जा सकें, इसके लिए योजना में पारदर्शिता के साथ गति देने की चुनौती को अगर सरकार पीछे छोड़ती है, तो बड़ी उपलब्धि के तौर पर गिना जाएगा।