झारखंडः आदिवासियों को 'बांग्लादेशी' बताने की साजिश, JMM ने बनाया चुनावी मुद्दा
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने शुक्रवार 2 अगस्त को असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा का वीडियो ट्वीट करते हुए बयान दिया- आदिवासी समाज की जमीनों को लगातार बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा कब्जा किया जा रहा है।...आदिवासी मुख्यमंत्री होने के बाद भी पिछले 5 सालों में सबसे ज्यादा शोषण आदिवासी समाज के ऊपर किया गया है। मरांडी ऐसा बयान रोजाना दे रहे हैं। सरमा जो झारखंड के चुनाव इंचार्ज है, आए दिन झारखंड आकर ऐसे बयान दे रहे हैं।
आदिवासी समाज की जमीनों को लगातार बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा कब्जा किया जा रहा है, लेकिन प्रदेश की गठबंधन सरकार अभी भी आंखों में पट्टी बांधकर चैन की मुद्रा में सो रही है।
— Babulal Marandi (@yourBabulal) August 2, 2024
कोर्ट के आदेश के बावजूद भी आदिवासी परिवारों की कब्जा हुई जमीनों को अभी तक वापस नहीं लौटाया गया है और कहने… pic.twitter.com/N8aQUMo3Uo
भाजपा सांसद निशिकांत दूबे इन लोगों से भी चार हाथ आगे निकले और कहा कि झारखंड के एक हिस्से को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया जाए, ताकि बांग्लादेशियों की घुसपैठ रोकी जा सके। यह सब कुछ भी नया नहीं है। भाजपा ने सिर्फ शब्द बदला है। झारखंड में सीधे मुस्लिम कहने की बजाय बांग्लादेशी नाम दिया है। झारखंड में दो महीने बाद विधानसभा चुनाव है। भाजपा ने इशारा कर दिया है कि वो राज्य में अपने प्रिय विषय हिन्दू-मुस्लिम करके ही चुनाव लड़ेगी, ताकि हिन्दू वोटों का ध्रुवीकरण कराया जा सकता। झारखंड मुक्ति मोर्चा इसे बड़ी चुनौती के रूप में देख रही है। उसका कहना है कि यह सब राज्य के आदिवासियों को जंगल और जमीन से बेदखल करना है।
झारखंड विधानसभा में भी इस मुद्दे पर हंगामा हुआ। बीजेपी विधायकों ने इस मामले को उठाया और झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस पर वोट हासिल करने के लिए तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया। जवाब में दो दिन पहले, जेएमएम कार्यकर्ताओं ने राज्य भर में विरोध प्रदर्शन किया और निशिकांत दुबे के आपत्तिजनक बयान पर उनका पुतला जलाया। जेएमएन ने नारा दिया है- 'झारखंड बटेगा नहीं, आदिवासी हटेगा नहीं।'
पिछले हफ्ते लोकसभा में निशिकांत दुबे ने कहा था कि "बांग्लादेशी घुसपैठियों" की बढ़ती आमद के कारण संथाल परगना में आदिवासियों की आबादी घट रही है। उन्होंने कहा कि आदिवासियों की आबादी 36 प्रतिशत से घटकर 26 प्रतिशत हो गयी है। उसका आरोप है कि प्रदेश सरकार ने क्षेत्र में आदिवासियों को हाशिये पर धकेल दिया है।
20 जुलाई को रांची में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पार्टी की बैठक में चुनावी बिगुल फूंका, क्योंकि उन्होंने आरोप लगाया कि "घुसपैठिए" आदिवासी महिलाओं से शादी कर रहे है, जमीन खरीद रहे थे और स्थानीय लोगों के लिए बनी नौकरियों को हड़प रहे हैं। इससे एक दिन पहले बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर आदिवासियों की घटती आबादी की विस्तृत जांच की मांग की थी। चार दिन बाद, मरांडी ने दिल्ली में चुनाव आयोग के दफ्तर में भाजपा प्रतिनिधिमंडल के साथ इस मुद्दे को उठाया था।
जेएमएम और उसके सहयोगियों ने भाजपा पर "बेबुनियाद मुद्दा" उठाने का आरोप लगाया और सवाल उठाया कि घुसपैठ रोकने के लिए केंद्र क्या कर रहा है। जेएमएम ने कहा- “भाजपा राज्य को विभाजित करना चाहती है। हम इसकी इजाजत नहीं देंगे। भाजपा को आदिवासियों की कभी चिंता नहीं रही।'' झामुमो के दिग्गज नेता और मंत्री दीपक बिरुआ ने सोमवार को विधानसभा के बाहर कहा। दुबे के बयान का जिक्र करते हुए झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने रविवार को मीडिया से कहा कि भाजपा की मंशा "विभाजनकारी" है।
सुप्रियो ने कहा- “यह लोकसभा में उठाया गया कोई सरल और अचानक उठाया गया प्रश्न नहीं है। यह एक सोची समझी राजनीतिक साजिश है।' यहां तक कि केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा भी तब से इस मुद्दे को हवा दे रहे हैं।, जब से वे भाजपा के चुनाव और सह-चुनाव प्रभारी के रूप में झारखंड आए हैं।'' नेताओं का कहना है कि बिना हिन्दू मुस्लिमों में वोटरों को बांटे भाजपा चुनाव नहीं लड़ सकती।
जेएमएम सांसद विजय कुमार हंसदक ने आरोप लगाया कि लोकसभा चुनाव में सभी पांच आदिवासी सीटें हारने के बाद भाजपा ने "घुसपैठ" का शोर मचाना शुरू किया और दुबे ने एक नया मुद्दा बनाने की कोशिश की। विजय कुमार ने कहा- “भाजपा को मूल निवासियों के बुनियादी मुद्दों से कोई लेना-देना नहीं है। आदिवासियों के कई सवाल और भावनाएं हैं, लेकिन बीजेपी नेता उनके बारे में कभी बात नहीं करेंगे।'