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झारखंड: मुसलिम विधायक से बोले बीजेपी मंत्री, ‘जय श्री राम’ का नारा लगाओ

झारखंड: मुसलिम विधायक से बोले बीजेपी मंत्री, ‘जय श्री राम’ का नारा लगाओ

झारखंड विधानसभा के परिसर में बीजेपी सरकार के एक मंत्री ने एक मुसलिम विधायक से ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने के लिए कहा है। 

हाल ही में ऐसी कई घटनाएँ हुई हैं जब मुसलमानों से जबरन ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने के लिए कहा गया और ऐसा न करने पर उनके साथ मारपीट हुई है। अभी तक ऐसी घटनाएँ सड़कों पर होती थीं, लेकिन अब झारखंड विधानसभा के परिसर में बीजेपी सरकार के एक मंत्री ने एक मुसलिम विधायक से ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने के लिए कहा है। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। 

यह घटना तब हुई जब विधानसभा के परिसर में विधायक मीडियाकर्मियों से बात कर रहे थे। इस दौरान कांग्रेस विधायक इरफ़ान अंसारी ने एक पत्रकार से कहा कि विधानसभा में ‘जय श्री राम’ का नारा इसलिए लगाया गया है क्योंकि बीजेपी इन नारों के पीछे छुपना चाहती है। अंसारी ने कहा कि विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और राज्य में लोगों के पास रोज़गार नहीं है। तभी राज्य सरकार में शहरी विकास मंत्री सीपी सिंह वहाँ आते हैं और अंसारी से कहते हैं कि वह एक बार जोर से ‘जय श्री राम’ का नारा लगाएँ। 

इस पर जब अंसारी ने सिंह से कहा कि क्या वह उन्हें डराने-धमकाने की कोशिश कर रहे हैं तो सिंह ने कहा कि अंसारी के पूर्वज भी ‘जय श्री राम’ कहने वाले थे और उन्हें डरने की कोई ज़रूरत नहीं है। इस पर अंसारी ने कहा कि आप राम का नाम बदनाम मत कीजिए, राम सबके हैं। इसके बाद शहरी विकास मंत्री सिंह कहते हैं, ‘तुम्हारे पूर्वज बाबर के नहीं, गज़नी के नहीं, तैमूर के वशंज नहीं थे।’ इस पर अंसारी कहते हैं कि मंत्री को जाकर देखना चाहिए कि अयोध्या में भगवान श्री राम किस अवस्था में हैं, वह पूछते हैं कि क्या आपको पता है कि वहाँ वह किस हाल में हैं। 

अंसारी मंत्री से कहते हैं कि लोगों को काम चाहिए, रोज़गार चाहिए, शहर में नाली चाहिए, बिजली चाहिए, सड़क चाहिए। मंत्री के अपनी बात दुहराने पर अंसारी कहते हैं कि आपको इसी बात के लिए अवार्ड दिया गया है। इस घटना पर कांग्रेस के प्रवक्ता राजेश ठाकुर ने कहा कि ‘जय श्री राम’ के नारे का राजनीतिकरण करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि ‘जय श्री राम’ का नारा आस्था और विश्वास के साथ लगाया जाना चाहिए न कि पाखंड के लिए। 

बता दें कि मॉब लिंचिग की कई घटनाएँ झारखंड में हो चुकी हैं और राज्य इसके लिए काफ़ी बदनाम हो चुका है और इनमें से अधिकतर घटनाओं में मुसलमानों को निशाना बनाया गया है।

पिछले महीने बाइक चोरी के शक में 24 साल के युवक तबरेज अंसारी को भीड़ ने रात भर पीटा था और कुछ ही दिन बाद उसकी मौत हो गई थी। भीड़ ने उसे ‘जय हनुमान’ का नारा लगाने के लिए भी कहा था। 

झारखंड में मार्च 2016 में लातेहार ज़िले में मॉब लिंचिंग की पहली घटना सामने आई थी। तब भीड़ ने पशु व्यापारी मजलूम अंसारी और उनके 12 साल के सहयोगी इम्तियाज ख़ान की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। भीड़ ने हत्या करने के बाद उनकी लाशों को एक पेड़ से लटका दिया था। 

इसके बाद जून 2017 में भीड़ ने अलीमुद्दीन अंसारी नामक एक मांस व्यापारी को बेरहमी से पीटा था, जिससे उनकी मौत हो गई थी। भीड़ को शक था कि वह गाय का मांस ले जा रहे थे। मार्च 2019 में पलामू ज़िले के हैदरनगर थाना क्षेत्र में कुछ लोगों ने कथित तौर पर स्थानीय युवकों वकील ख़ान और दानिश ख़ान की बहन से छेड़छाड़ की थी। जिसका दोनों ने विरोध किया था। इसके बाद भीड़ ने उन्हें जमकर मारा था जिसमें वकील ख़ान की मौत हो गई थी। इसके अलावा भी झारखंड में कई और मामले हैं जिनमें उन्मादी भीड़ ने सिर्फ़ शक के आधार पर कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया। कुछ दिन पहले गुमला जिले में 10-12 लोगों ने काला जादू करने के शक में तीन परिवारों के चार लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। 

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