झारखंड एंटी- लिंचिंग विधेयक में उम्र क़ैद का प्रावधान
झारखंड मॉब लिंचिंग विधेयक में क्या प्रावधान है, क्या यह पीट पीट कर मार डालने की वारदातों को रोक पाएगा?
पंजाब में 24 घंटे के अंदर पीट-पीट कर मार डाले जाने की दो वारदातों के बीच झारखंड विधानसभा ने इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए एक विधेयक पारित कर दिया है। इसमें मॉब लिंचिंग के दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को आजीवन कारावास तक की सजा देने का प्रावधान है।
झारखंड (मॉब वायलेंस और मॉब लिंचिंग की रोकथाम) विधेयक, 2021 में कहा गया है,
धर्म, जाति, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, यौन अभिविन्यास के आधार पर हिंसा के कृत्य या मौत का कारण या सहायता या हिंसा का कृत्य करने का प्रयास करना, चाहे प्राकृतिक या नियोजित हो, राजनीतिक संबद्धता, या किसी अन्य आधार पर, वह लिंचिग कहा जाएगा।"
विधेयक में एक आईजी स्तर के अधिकारी की नियुक्ति का प्रावधान है, जिसे नोडल अधिकारी कहा जाएगा, जिसका कर्तव्य लिंचिंग की घटनाओं को रोकना होगा।
इस विधेयक में कहा गया है,
- अगर अधिनियम के तहत पीड़ित को गंभीर चोट लगती है, तो दोषी को आजीवन कारावास या दोनों में से किसी एक अवधि के कारावास हो सकती है, जिसे 10 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा जुर्माना तीन लाख रुपए से कम नहीं होगा और जिसे पाँच लाख रुपए तक बढ़ाया जा सकता है।
- अगर पीड़ित की मृत्यु हो जाती है, तो दोषी को आजीवन कारावास और कम से कम 25 लाख रुपए का जुर्माना की सजा दी जाएगी और चल और अचल संपत्तियों को कुर्क किया जाएगा।
- यदि कोई पीड़ित को चोट पहुँचाता है, उसे कारावास से दंडित किया जाएगा जो कि 3 साल तक हो सकता है और जुर्माना कम से कम 1 लाख रुपए होगा और जिसे 3 लाख रुपए तक बढ़ाया जा सकता है।
- आम तौर पर, अधिनियम के तहत सभी अपराधों को संज्ञेय, गैर-जमानती और गैर- कंपाउंडेबल बनाया गया है।
- विधेयक साजिश करने या उकसाने या सहयोगियों या लिंचिंग के प्रयास के लिए सजा की अनुमति देता है।