क्या मेहुल चोकसी को लाना आसान है; क्या सोचकर टीम गई थी?
भगोड़ा ज्वैलरी कारोबारी मेहुल चोकसी को देश वापस कैसे लाया जाएगा? यह सवाल आम लोगों के मन में है और यही सवाल चोकसी को वापस लाने भारत से डोमिनिका गई टीम के सामने भी होगा। ऐसा इसलिए कि मीडिया में सूत्रों के हवाले से ख़बर है कि वह टीम फ़िलहाल खाली हाथ लौट रही है। यानी मेहुल चोकसी के बिना ही वह टीम भारत वापस आ रही है जिसके डोमिनिका में जाने पर मुख्यधारा के मीडिया में ऐसे पेश किया गया मानो वह अब भारत के हाथ लग ही गया है!
कुछ रिपोर्टों में तो कहा गया है कि वह टीम क़तर एयरवेज के स्पेशल प्राइवेट जेट से चोकसी को लाने गई थी। तो सवाल है कि जब टीम इतनी बड़ी तैयारी से गई थी, इतना खर्चीला अभियान था, मुख्यधारा के मीडिया में उसको वापस लाने का शोर भी था तो क्या उसका कोई आधार भी था? क्या उस टीम को क़ानूनी चुनौतियों के बारे में पता नहीं था या फिर वह इस विश्वास से गई थी कि वहीं जाकर सबकुछ अपने हिसाब से व्यवस्था कर चोकसी को वापस लाया जाएगा? कहीं भारत में लोगों को दूसरे मुद्दों से भटकाने के लिए यह एक ऐसी ख़बर भर तो नहीं थी जिसे जबरन ज़्यादा उछाला गया?
इस पूरे मामले की क़ानूनी चुनौतियों को समझने से पहले यह जान लें कि यह मुद्दा क्या है। 13 हज़ार करोड़ के पीएनबी ऋण घोटाले के खुलासे से पहले मेहुल चोकसी जनवरी 2018 में देश छोड़कर जा चुका था। इससे क़रीब महीने भर पहले यानी 2017 में इसने एंटीगुआ की नागरिकता ले ली थी। एंटीगुआ से भारत की प्रत्यर्पण संधि नहीं है तो उसको लाना मुश्किल है। यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ा लग रहा था।
लेकिन यकायक पिछले महीने ही 23 मई को मेहुल चोकसी की चौंकाने वाली ख़बर आई कि वह एंटीगुआ से ग़ायब हो गया है। कुछ दिनों बाद ही ख़बर आई कि उसे डोमिनिका में तब गिरफ़्तार कर लिया गया जब वह अवैध रूप से उस देश में घुस रहा था। चोकसी के वकीलों ने आरोप लगाया है कि उसे अगवा कर डोमिनिका में ले जाया गया और उसके साथ मारपीट भी की गई। चोकसी के वकीलों ने आरोप लगाया है कि एक महिला से हनीट्रैप कराकर 23 मई को चोकसी को अगवा किया गया, पीटा गया और फिर इसके बाद उसे छोटे जहाज से डोमिनिका ले जाया गया। इसी बीच 28 मई को भारत से 8 अधिकारियों की एक टीम चोकसी को वापस लाने डोमिनिका गई।
तो सवाल है कि क्या डोमिनिका से उसे लाना इतना आसान है? जाहिर है अधिकारियों को इतना तो पता होगा ही कि एंटीगुआ की तरह ही डोमिनिका के साथ भी भारत की प्रत्यर्पण संधि नहीं है। जब प्रत्यर्पण संधि नहीं है तो फिर डोमिनिका चोकसी को भारत को क्यों सौंपेगा? एक बार यह भी माना जा सकता है कि अधिकारियों को यह भरोसा रहा हो कि चूँकि चोकसी के पास डोमिनिका की नागरिकता नहीं है तो वह भारत को सौंपने को राज़ी हो जाए क्योंकि चोकसी के ख़िलाफ़ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया जा चुका है।
लेकिन एक अहम बात यह भी है कि जब रेड कॉर्नर नोटिस जारी होने के बाद भी एंटीगुआ से चोकसी को भारत को नहीं सौंपा जा सका तो डोमिनिका ऐसा क्यों करेगा? वह भी तब जब मेहुल चोकसी के वकीलों की ओर से दलील पेश की जा रही है कि मेहुल चोकसी एंटीगुआ का नागरिक है भारत का नहीं।
हालाँकि, एंटीगुआ के प्रधानमंत्री गेस्टन ब्राउन ने मीडिया से कहा है कि चोकसी को डोमिनिका से सीधे भारत को सौंपा जा सकता है, लेकिन चोकसी के वकीलों ने इसके विरोध में दलील दी है। उन्होंने कहा है कि जब चोकसी भारत का नागरिक ही नहीं है तो उसे वहाँ कैसे भेजा सकता है। बता दें कि 2017 में मेहुल चोकसी द्वारा एंटीगुआ की नागरिकता लेने के साथ ही भारत की उसकी नागरिकता ख़त्म हो गई है। ऐसा इसलिए है कि भारत के नागरिकता क़ानून 1955 की धारा 9 कहती है कि भारत एक साथ दो देशों की नागरिकता नहीं प्रदान करता है और जो भारतीय नागरिक जैसे ही किसी दूसरे देश की नागरिकता लेता है उसकी भारतीय नागरिकता उसी वक़्त ख़त्म हो जाती है।
इस हिसाब से फ़िलहाल चोकसी एंटीगुआ का नागरिक है। हालाँकि चोकसी मामले में एंटीगुआ को काफ़ी परेशानी झेलनी पड़ी है और उस पर इसके लिए दबाव है तो वह भी उसकी नागरिकता को ख़त्म करने की क़ानूनी प्रक्रिया शुरू कर चुका है। हालांकि चोकसी ने एंटीगुआ की अदालत में सरकार के उस फ़ैसले के ख़िलाफ़ भी चुनौती दी है।
अब हाल में चोकसी को सीधे भारत को सौंपे जाने में एक और दिक्कत यह है कि उसके ख़िलाफ़ डोमिनिका में दो मामले चल रहे हैं। मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि जब तक उन दोनों मामलों का निपटारा नहीं हो जाता है तब तक उसे भारत को नहीं सौंपा जा सकता है।
मेहुल चोकसी द्वारा दायर एक मामले में उच्च न्यायालय को यह तय करना है कि क्या मेहुल चोकसी को डोमिनिकन पुलिस ने अवैध रूप से गिरफ्तार किया था और उसे किस देश में वापस भेजा जाना चाहिए? एक रिपोर्ट यह है कि डोमिनिका का हाई कोर्ट मेहुल चोकसी की जिस याचिका पर सुनवाई कर रहा था उसको गुरुवार को अनिश्चित काल के लिए टाल दिया गया है।
चोकसी को भारत सौंपे जाने के मामले में ईस्ट कैरीबियन सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई टाल दी और दोनों पक्षों से एक सहमति बनाने को कहा है। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार भारत में चोकसी के वकील विजय अग्रवाल का कहना है कि इस मामले की सुनवाई अब 1 जुलाई को ही हो सकती है।
एक अन्य मामले में मजिस्ट्रेट कोर्ट मेहुल चोकसी के डोमिनिका में कथित अवैध प्रवेश के मामले की सुनवाई कर रहा है। हालाँकि चोकसी के वकीलों ने दावा किया है कि चोकसी को अगवा कर डोमिनिका लाया गया है।
जानकारों का कहना है कि अब इस मामले में कोर्ट का फ़ैसला जो भी हो, लेकिन इस फ़ैसले से पहले चोकसी का भारत आना मुश्किल है। यदि अवैध प्रवेश का मामला भी बना तो डोमिनिका में उसे सजा मिलेगी और यदि अगवा किए जाने की बात मानी जाती है तो उसे एंटीगुआ भेजे जाने की संभावना है।
तो चोकसी को भारत लाने की उम्मीद कब है? जाहिर है जब तक डोमिनिका के कोर्ट में फ़ैसला नहीं आता तब तक उसे वापस नहीं ही लाया जा सकता है। यानी अभी काफ़ी वक़्त लगेगा। आगे जब उसे वापस लाने का प्रयास भी होगा तो इसके लिए भारत को उसके ख़िलाफ़ आर्थिक अपराध का काफ़ी मज़बूत केस रखना होगा। इंटरपोल का नोटिस तो बेहद काम आ सकता है। लेकिन इसके बावजूद उसे लाना आसान नहीं होगा। भारत के जिन देशों के साथ प्रत्यर्पण संधि है वहाँ से भी भगोड़े अपराधियों को लाने में काफ़ी समय लग रहा है। विजय माल्या और नीरव मोदी का मामला सामने है। वीवीआईपी घोटाले में आरोपी ब्रिटिश नागरिक क्रिस्टियन माइकल को यूएई से भारत लाने के लिए एक साल तक सरकार को प्रत्यर्पण पर अदालती कार्यवाही का इंतज़ार करना पड़ा था।