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नीतीश के एनडीए में आते ही जेडीयू ने क्यों उठाई बिहार के विशेष राज्य के दर्जे की मांग?

नीतीश के एनडीए में आते ही जेडीयू ने क्यों उठाई बिहार के विशेष राज्य के दर्जे की मांग?

हाल तक नीतीश कुमार जब महागठबंधन के साथ थे तो बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग रखते रहे थे और जब अब एनडीए में आ गए तो महीने भर में ही जेडीयू इसकी मांग उठाने लगा। इसके क्या मायने हैं?

नीतीश कुमार के जेडीयू ने फिर से बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग उठानी शुरू कर दी है। क़रीब एक महीने पहले ही जेडीयू एनडीए में शामिल हुआ है। पहले जब नीतीश आरजेडी वाले महागठबंधन में थे तब भी वह लगातार केंद्र सरकार से बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग करते रहे थे। समाजवादी प्रतीक और पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर की जन्म शताब्दी पर भी नीतीश ने पटना में वह मांग उठाई थी।

अब एनडीए के साथ आने के बाद फिर से जेडीयू ने केंद्र को याद दिलाया है कि बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा दिया जाए। दो दिन पहले राज्य के ऊर्जा मंत्री और वरिष्ठ जेडीयू नेता बिजेंद्र प्रसाद यादव ने यह मांग उठाई। सीएम नीतीश कुमार ने राज्य विधानसभा की ट्रेजरी बेंच से इसपर सहमति जताते दिखे।

ऊर्जा मंत्री ने सदन को बताया, 'मैं इस अवसर पर प्रधान मंत्री से बिहार के लिए एक विशेष आर्थिक पैकेज पर विचार करने का अनुरोध करता हूँ। हमने अपने सीमित संसाधनों से बहुत कुछ हासिल किया है और हमारे पास हवा, पानी और सूरज की रोशनी से ऊर्जा उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं। अगर हमें केंद्र से प्रोत्साहन मिलता है, तो हम और अधिक लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में सक्षम होंगे।

किसी भी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा मिलने पर विकास कार्यों के लिए काफी बड़ा पैकेज मिलता है।  केंद्र राज्य के साथ केंद्र-प्रायोजित योजनाओं के वित्तपोषण को क्रमशः 90:10 के अनुपात में होता है, जो अन्य के लिए उपलब्ध सामान्य राज्यों को 60:40 या 80:20 की तुलना में काफी बेहतर स्थिति है।

यही वजह है कि बिहार विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर रहा है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार जदयू के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'केंद्र को बिहार के लिए एक रास्ता खोजना होगा, जो औद्योगिक विकास के शिखर पर है। यदि हमें विशेष आर्थिक दर्जा मिलता है, तो हम राज्य में निवेश करने वाले उद्योगों को कर छूट दे सकते हैं। यह सच है कि हम न तो यूपीए सरकार से और न ही एनडीए सरकार से विशेष राज्य का दर्जा हासिल कर पाए हैं, क्योंकि नियम इसकी इजाजत नहीं देते। लेकिन बिहार को अभी भी विशेष आर्थिक पैकेज दिया जा सकता है। फिर गुजरात की तरह हम भी विशेष आर्थिक क्षेत्र बना सकते हैं। चमड़ा, कपड़ा, इथेनॉल, आईटी और कई क्षेत्रों में स्टार्ट-अप के साथ हमारी हालिया सफलता ने हमें विश्वास दिलाया है कि बिहार भी औद्योगिक क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर सकता है।'

तो सवाल है कि क्या जेडीयू इस मांग को पार्टी के राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल करने के लिए जीवित रखता है ताकि ज़रूरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल किया जा सके?

अंग्रेज़ी अखबार की रिपोर्ट के अनुसार इस सवाल पर जेडीयू नेता ने कहा, 'बिल्कुल नहीं। किसी को भी ऐसी चीजों में बहुत अधिक दिमाग नहीं लगाना चाहिए। यह जेडीयू के बारे में नहीं है, बल्कि राज्य सरकार और हमारी सहयोगी बीजेपी के बारे में भी है, जो विकास के मामलों पर हमारे साथ है।' हालाँकि, बीजेपी नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा, 'राज्य को केंद्र से अतिरिक्त धन मिल रहा है। हमारा बजट आकार भी बढ़ गया है।' राज्य के एक अन्य बीजेपी नेता ने कहा, 'जेडीयू की विशेष आर्थिक पैकेज की मांग पर विचार किया जा सकता है। हमारी सरकार उचित समय पर इसे संबंधित केंद्रीय मंत्रालय के समक्ष उठाएगी।'

विशेष राज्य का दर्जा आम तौर पर ऐतिहासिक रूप से उपेक्षित, पहाड़ी इलाका, जनसंख्या की प्रकृति (कम घनत्व या आदिवासियों की बड़ी हिस्सेदारी), सीमा पर रणनीतिक स्थान, आर्थिक या ढांचागत पिछड़ापन आदि सहित कई कारणों को लेकर दिया जाता है। 1969 के बाद से राष्ट्रीय विकास परिषद ने 11 राज्यों के लिए विशेष श्रेणी का दर्जा देने की सिफारिश की- पूर्वोत्तर से आठ, जम्मू और कश्मीर (अब केंद्र शासित प्रदेश), हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड।

बिहार, ओडिशा और झारखंड जैसे राज्य विशेष राज्य की मांग करते रहे हैं। आंध्र प्रदेश ने भी पिछली यूपीए सरकार द्वारा की गई प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए विशेष श्रेणी के दर्जे की मांग की है।

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