शेखर कपूर ने ख़ुद को कहा शरणार्थी, जावेद अख़्तर बोले - डॉक्टर से दिखाओ
'मॉब लिन्चिंग' और 'जय श्री राम' जैसे मुद्दों पर नरेंद्र मोदी सरकार का समर्थन और उसका विरोध करने वाले बुद्धिजीवियों और फ़िल्मकारों के बीच चल रही जंग ने एक नया मोड़ ले लिया है। ताजा घटनाक्रम में 'बैंडिट क्वीन' और 'एलिज़ाबेथ' जैसी फ़िल्मों के निर्देशक शेखर कपूर और मशहूर गीतकार जावेद अख़्तर के बीच नोकझोक का मामला सामने आया है। कपूर ने ख़ुद को 'शरणार्थी जैसा' बताया तो जावेद अख़्तर ने उन्हें किसी अच्छे मनोचिकित्सक से इलाज कराने की सलाह दे डाली।
शेखर कपूर ने रविवार को एक ट्वीट कर कहा, ‘मैंने अपनी जिंदगी विभाजन के बाद एक शरणार्थी के तौर पर शुरू की। माता-पिता ने बच्चों का जीवन बनाने के लिए सब कुछ किया। लेकिन मैं हमेशा बुद्धिजीवियों के भय में रहा। उन्होंने मुझे हमेशा छोटा महसूस करवाया। उनका मुझे गले लगाना साँप के काटने जैसा था। मुझे लगता है कि मैं अभी भी शरणार्थी हूँ।’
जावेद अख़्तर ने पलटवार करते हुए कहा, 'वे कौन से बुद्धिजीवी हैं जिन्होंने आपको गले लगाया और आपको यह साँप के काटने जैसा लगा। श्याम बेनेगल, अदूर गोपालकृष्णा, राम चंद्र गुहा सच में शेखर साहब, आप ठीक नहीं हैं। आपको मदद की ज़रूरत है। आपको ख़ुद को किसी अच्छे मनोचिकित्सक से इलाज करवाने में शर्म नहीं होनी चाहिए।'
.who are these intellectuals who embraced you and you found that embrace like a snake’s bite Shyam Benegal , Adoor Gopal Krishna , Ram chandra Guha Really . Shekhar saheb you are not well . You need help . Come on , there is no shame in meeting a good psychiatrist .
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) July 28, 2019
इसके बाद एक और ट्टवीट जावेद अख़्तर ने किया। जावेद ने लिखा, ‘शेखर आपका ख़ुद को अभी भी शरणार्थी कहने का क्या मतलब है आपको क्या ऐसा लगता है कि आप बाहर के हैं और भारतीय नहीं हैं। अगर आप भारत में भी अभी तक शरणार्थी हैं तो आप किस देश में शरणार्थी जैसा महसूस नहीं करेंगे, क्या पाकिस्तान में आप अपना यह मेलोड्रामा बंद कीजिए।’
What do you mean by still a refugee Does it mean that you feel like an outsider n not an Indian n you don’t feel that this is your motherland .If in India you are still a refugee where will you not feel like a refugee ,In Pakistan Cut this melodrama you poor rich but lonely guy
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) July 28, 2019
जावेद यहीं नहीं रुके, उन्होंने एक और ट्वीट में लिखा, ‘आपने ख़ुद को इस तरह से पेश किया कि न तो आपको अतीत के पूर्वाग्रह से कोई मतलब है और न ही आपको भविष्य में किसी तरह का कोई डर है और उसी पल आप यह भी कहते हैं कि आप शरणार्थी हैं और अभी भी शरणार्थी जैसा महसूस करते हैं। इन दोनों बातों में जो अंतर है उसे समझने के लिए किसी को ज़्यादा दिमाग लगाने की ज़रूरत नहीं है।’
You introduce yourself as neither prejudiced by the past nor afraid of the future living in this moment and in the same breath you say you are a refugee of partition and still a refugee . One doesn’t need a magnifying glass to see the contradiction .
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) July 28, 2019
बता दें कि शेखर कपूर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कामकाज की तारीफ़ करते रहे हैं जबकि जावेद अख़्तर मोदी सरकार के आलोचक रहे हैं। हालाँकि शेखर ने अपने ट्वीट में किसी का नाम नहीं लिया लेकिन काफ़ी ट्विटर यूज़र्स ने इसे हाल ही में प्रधानमंत्री को पत्र लिखने वाली 49 हस्तियों से जोड़ दिया।
इस पत्र में फ़िल्म निर्देशकों, अभिनेताओं, कला जगत की हस्तियों ने मॉब लिन्चिंग की घटनाओं को लेकर चिंता ज़ाहिर की थी। और कहा था कि इन घटनाओं को जल्द से जल्द रोका जाए। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में 49 हस्तियों के हस्ताक्षर हैं। इनमें अदूर गोपालकृष्णन, रामचंद्र गुहा, अनुराग कश्यप, अर्पणा सेन, कोंकणा सेन आदि शामिल हैं।
पत्र में कहा गया था कि बेहद दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि ‘जय श्री राम’ का नारा युद्धोन्माद पैदा करने वाला बन गया है और इस वजह से क़ानून व्यवस्था की स्थिति ख़राब होती जा रही है और इसके नाम पर ही हत्या की कई घटनाएँ हो चुकी हैं। पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल पूछा गया था कि आपने इस तरह की घटनाओं की संसद में कड़ी निंदा की थी लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। यह बताइए कि ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वालों के ख़िलाफ़ क्या कार्रवाई की गई है। वहीं 62 फ़िल्मी हस्तियों ने इन लोगों पर ‘गिने-चुने मामलों में ग़ुस्सा दिखाने’, ‘झूठे नैरेटिव तैयार करने’ और ‘राजनीतिक पूर्वाग्रह की भावना’ से ऐसा करने का आरोप लगाते हुए पलटवार किया था।