जम्मू कश्मीर के कॉलेजों में सूर्य नमस्कार कराने के आदेश का ज़बरदस्त विरोध हुआ है। कश्मीर के राजनीतिक दलों ने एक ऐसे सरकारी आदेश पर आपत्ति जताई है। इस आदेश में जम्मू-कश्मीर के कॉलेजों को मकर संक्रांति पर 'बड़े पैमाने पर सूर्य नमस्कार' कार्यक्रमों में छात्रों और कर्मचारियों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए कहा गया था।
इससे पहले सूर्य नमस्कार को स्कूलों में ज़रूरी करने की बात पर विवाद होता रहा है। हाल ही में इस पर तब फिर से विवाद हुआ था जब हैदराबाद में 3 जनवरी को एक सरकारी कार्यक्रम में सूर्य नमस्कार की शुरुआत हुई थी।
आयुष मंत्रालय ने 3 जनवरी को स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आज़ादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम के तहत 75 करोड़ सूर्य नमस्कार के लिए पहल शुरू की थी। स्कूलों में सूर्य नमस्कार कराने के आदेश का ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड यानी एआईएमपीएलबी ने आधिकारिक तौर पर विरोध किया था। इसने 4 जनवरी को कहा कि सूर्य नमस्कार सूर्य की पूजा का एक रूप है और इसलाम इसकी अनुमति नहीं देता है। बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष, बहु-सांस्कृतिक और बहु-धार्मिक राष्ट्र है। हालाँकि, यूपी के मंत्री मोहसिन रजा ने मुसलिम बोर्ड और अन्य मुसलिम नेताओं के विरोध पर कड़ा ऐतराज जताया था।
इन्हीं विवादों के बीच मकर संक्रांति के दिन जम्मू कश्मीर के कॉलेजों में सूर्य नमस्कार के आदेश को लेकर भी विवाद हुआ।
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर कहा कि केंद्र के इस तरह के आदेश कश्मीरियों को अपमानित करते हैं और नीचा दिखाते हैं।
उन्होंने ट्वीट में यह भी कहा कि 'साफ़ तौर पर असुविधा के बावजूद छात्रों और कर्मचारियों पर धार्मिक अर्थों वाली किसी चीज़ को थोपने का आदेश जारी करके सूर्य नमस्कार करने के लिए मजबूर करना उनकी सांप्रदायिक मानसिकता को दिखाता है।'
नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया: '... अगर गैर-मुसलिम छात्रों को ईद मनाने का आदेश देने के लिए इसी तरह का आदेश जारी किया गया तो क्या भाजपा खुश होगी?'
बता दें कि प्रशासन के आदेश में कहा गया है कि 14 जनवरी 2022 को मकर संक्रांति के अवसर पर भारत सरकार की इच्छा है कि आजादी का अमृत महोत्सव समारोह के तहत एक बड़ा वर्चुअल सूर्य नमस्कार आयोजित किया जाए।
आदेश में कॉलेजों से यह सुनिश्चित करने के लिए भी कहा गया है कि सभी संकाय सदस्य और छात्र इस कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लें।
सूर्य नमस्कार को लेकर लोगों के अलग-अलग तर्क हैं। कुछ लोगों का कहना है कि स्कूल-कॉलेजों में हर धर्म के बच्चे पढ़ते हैं ऐसे में किसी मजहब या किसी खास पूजा पद्धति को लादना सही नहीं होगा। हालाँकि कुछ लोग तर्क देते हैं कि बच्चे ईसाई मिशनरी स्कूलों में भी पढ़ते हैं और वहाँ उनसे प्रार्थना कराई जाती है तो क्या वे सभी बच्चे ईसाई बन जाते हैं!